दिल्ली नगर निगम उपचुनाव में कांग्रेस के खाते में एक सीट आई है और वो है सीलमपुर इलाके की चौहान बांगर. पांचों वार्डों में हुए उप चुनाव में भले चार पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा जमाया हो, लेकिन चर्चाओं में चौहान बांगर ही है. ये सीट जहां कांग्रेस के लिए संजीवनी बनी है, वहीं AAP के लिए आफत क्योंकि चौहान बांगर की विजय ने संकेत दे दिया है कि मुस्लिम वोटर कांग्रेस की ओर लौटना चाहते हैं. हालांकि, कांग्रेस इसका कितना सियासी माइलेज ले पाएगी, ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा?
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के बाद अनिल चौधरी के लिए एमसीडी उपचुनाव पहली अग्निपरीक्षा थी. यही वजह थी कि उपचुनाव में जीत का परचम फहराने के लिए कांग्रेस ने बकायदा डोर-टू-डोर कैंपने की रणनीति बनाई थी. इसके लिए सभी वार्डों के लिए एक ऑब्जर्वर नियुक्त कर रखा था. ऐसे ही सभी वार्डों में हर बूथ के लिए एक ऑब्जर्वर बनाया गया था, जिसके साथ 10 सदस्यों को लगाया था.
कांग्रेस प्रदेश कमेटी की इसी रणनीति का नतीजा था कि पूर्वी दिल्ली की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी ने चौहान बांगर सीट पर जीत दर्ज की है, जबकि बाकी कल्याणपुरी और त्रिलोकपुरी सीट पर वोट प्रतिशत बढ़ा है. पूर्वी दिल्ली की जिन तीन वार्डों में उपचुनाव हुए हैं, वहां पर 2017 में कांग्रेस का साढ़े सात फीसदी वोट था, जो बढ़कर अब 30 फीसदी पहुंच गया है. ऐसे ही उत्तरी दिल्ली की जिन दो सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, वहां पर कांग्रेस का वोट प्रतिशत 6.5 फीसदी था, जो अब बढ़कर 12 फीसदी हो गया है.
कांग्रेस को जीत दिलाने वाले किरदार
मुस्लिम बहुल सीलमपुर इलाके में चौहान बांगर सीट कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से छीन ली है. इस सीट पर कांग्रेस ने राजकुमार इंदौरिया को ऑब्जर्वर बनाया था, जिन्होंने चुनाव की रणनीति को अमलीजामा पहनाने का काम किया. चौहान बांगर सीट पर कांग्रेस ने केजरीवाल को घेरने के लिए दंगा और जमात को मुख्य मुद्दा बनाया था. साथ ही मुस्लिम वोटरों को रिझाने का जिम्मा कांग्रेस ने शायर व पार्टी नेता इमरान प्रतापगढ़ी और पूर्व विधायक अलका लांबा को सौंपा था. पार्टी के इन दोनों नेताओं ने धुंआधार प्रचार करके दिल्ली में पार्टी की ढलती सियासत में जान फूंक दी है. इमरान प्रतापगढ़ी और अलका लांबा प्रचार के लिए उतरे तो उन्होंने दिल्ली दंगा और तबलीगी जमात को अपना सियासी हथियार बनाया.
कांग्रेस की ओर से सबसे बड़ा रोड शो इमरान प्रतापगढ़ी का रहा, जिसमें हजारों की संख्या में युवा जुटे थे. इमरान का रोड शो सीएम केजरीवाल के रोड कुछ घंटे बाद ही हुआ था. वहीं, अलका लांबा ने हर जगह यही कहती नजर आ रहीं थीं कि जब आप लोगों को उनकी जरूरत थी तब केजरीवाल गायब थे. उन्होंने तबलीगी जमात के मरकज को महामारी कोरोना के नाम पर बदनाम करने और एफआईआर दर्ज कराने की बात करके एक धर्म विशेष के खिलाफ माहौल खराब करने वाला बताया था.
क्यों अहम थी चौहान बांगर सीट
चौहान बांगर दिल्ली MCD के उपचुनाव की सबसे दिलचस्प सीट थी, जिसके नतीजों पर सभी की नजरें लगी थीं क्योंकि ये सीट आम आदमी पार्टी के लिए नाक का सवाल बन गई थी यही कारण है कि राज्यसभा सांसद संजय सिंह की सभा, मंत्री इमरान हुसैन और गोपाल राय के जनसंपर्क और अमानतउल्ला के खूंटा गाड़ने वाले प्रचार के बाद भी आखिर में मुख्यमंत्री केजरीवाल को रोड शो करना पड़ा था. लेकिन इन तमाम सभाओं और राजनीतिक तैयारियों के बाद कांग्रेस के सियासी गणित को समझने में AAP चूक गई, जबकि कांग्रेस की ओर से एक भी बड़ा चेहरा उप चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचा था.
इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस की पूरी टीम इस जीत से बेहद उत्साहित है क्योंकि उसका बेस वोटर 'मुस्लिम' फिर से कांग्रेस की तरफ लौट आया है और आम आदमी पार्टी पूरी कोशिश के बाद भी उन्हें रोकने में नाकाम रही है. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि उपचुनाव में कांग्रेस की भाईचारे की जीत है. दिल्ली के लोगों ने भाजपा को और अल्पसंख्यकों समुदाय ने केजरीवाल को पूरी तरह से नकारा दिया है.
चौहान बांगर सीट पर जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी जुबैर अहमद ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और उनकी पूरी कैबिनेट ने गली-गली जाकर प्रचार किया. केजरीवाल ने इस सीट को जीतने के लिए हर जतन किए और उन्होंने अपने इसे अस्तित्व की लड़ाई बना ली थी. इसके बाद भी जनता ने उन्हें नकार दिया है, जिससे साफ है कि चौहान बांगर में कांग्रेस की जीत और केजरीवाल की हार हुई है.
बड़े मार्जिन से कांग्रेस को मिली जीत
कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी जुबेर अहमद ने 10642 वोटों के बड़े अंतराल से जीत हासिल की, जो कि 5 वार्ड में सबसे ज्यादा मार्जिन से दर्ज की गई जीत है. आदमी पार्टी के मोहम्मद इशराक को 5561 वोट ही मिले, जबकि बीजेपी तीसरे स्थान पर रही.
दिल्ली एमसीडी उपचुनाव में सीलमपुर की चौहान बांगर सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपने पूर्व विधायक हाजी इशराक खान को उतारा था जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक चौधरी मतीन के बेटे जुबैर चौधरी पर दांव लगाया था. बीजेपी ने यहां से मुस्लिम प्रत्याशी मो. नजीर अंसारी को प्रत्याशी बनाया था. इस तरह से तीन प्रमुख पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच घमासान में बाजी कांग्रेस के हाथ लगी. इस जीत ने कांग्रेस को दिल्ली में एक संजीवनी दे दी है.
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