29 नवंबर को अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक किसान का जिक्र करते हुए कहा था कि कैसे महाराष्ट्र के इस किसान ने नए कृषि कानूनों का फायदा उठाकर अपने उपज का मूल्य मात्र कुछ दिन में ही हासिल कर लिया था.
पीएम ने कहा था कि इस किसान ने नए कृषि कानून के प्रावधान का फायदा उठाकर अपनी बकाया राशि को एक व्यापारी से तुरंत हासिल कर लिया.
अब रोचक तथ्य यह है कि जितेंद्र भोईजी नाम के इसी किसान ने कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन का समर्थन किया है. जितेंद्र महाराष्ट्र के धुलै के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा है कि नए कानून में भी MSP की व्यवस्था होनी चाहिए.
आजतक से बात करते हुए किसान जितेंद्र ने कहा कि हालांकि उन्हें अपनी उपज की रकम मिल गई, इसके लिए उन्हें SDM के पास शिकायत दर्ज करवानी पड़ी, लेकिन कुल मिलाकर उन्हें इस सौदे में नुकसान ही हुआ. इसलिए वह अब दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं.
जितेंद्र भोईजी ने कहा कि वह खुद भी प्रधानमंत्री से अपील करना चाहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था को नए कृषि कानूनों में स्पष्ट किया जाए.
मन की बात में क्या कहा था पीएम मोदी ने
पीएम मोदी ने कहा था कि महाराष्ट्र के धुले जिले के एक मक्का किसान जितेंद्र भोईजी ने अपनी उपज को 3 लाख 25 हजार में व्यापारी को बेच दिया. जितेंद्र को 25 हजार रुपये एडवांस में भी मिले. तय ये हुआ था कि 15 दिन में उनका पैसा चुका दिया जाएगा, लेकिन बाद में हालात कुछ ऐसे बने कि उन्हें पैसा नहीं मिला. पीएम मोदी ने कहा था कि यह परंपरा थी कि फसल खरीद लो, भुगतान नहीं करो, इसी परंपरा का पालन वहां हो रहा था, इसी तरह जितेंद्र भोईजी को 4 महीने तक पैसा नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने SDM के पास इसकी शिकायत की और उन्हें तुरंत अपना बकाया पैसा मिला.
पीएम मोदी ने कहा था कि इस कानून में ये तय किया गया है कि किसान को उसकी उपज का पैसा माल खरीदने के तीन दिन बाद ही पूरा पेमेंट करना होगा और अगर भुगतान नहीं होता है तो किसान शिकायत कर सकता है.
किसान का पहला बयान
मक्का किसान जितेंद्र भोईजी ने कहा कि उन्होंने अपनी फसल व्यापारी को बेच दी थी लेकिन उनकी मंशा ठीक नहीं थी, और व्यापारी उन्हें भुगतान को लेकर ठग रहे हैं. इसके बाद किसान को नए कानून की जानकारी मिली, उन्होंने SDM ऑफिस में इसकी शिकायत की. इसके बाद SDM ने व्यापारियों को नोटिस भेजा. इसके बाद व्यापारी ने कुछ ही दिन में उसका भुगतान कर दिया. इसलिए वे सभी दूसरे किसानों से कहना चाहते हैं कि अगर किसी का भी पैसा व्यापारी के पास फंसा है तो वे इस कानून का सहारा ले सकते हैं.
किसान का दूसरा बयान
अब किसान ने कहा है कि इस नए कानून की मदद से उसे बकाया पैसे तो मिल गए, लेकिन अब MSP का मुद्दा आता है. किसान जितेंद्र ने कहा कि अगर मेरी उपज MSP के तहत बेची जाती तो वह लाभ में रहता. किसान ने कहा, "मक्के का MSP 1850 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन मुझे अपनी फसल 1240 रुपये में ही बेचनी पड़ी. इसलिए मुझे 600 रुपये का प्रति क्विंटल नुकसान हुआ. इसमें सिर्फ किसानों का ही नकुसान है. इसलिए मैं केंद्र सरकार को कहना चाहता हूं कि मैं किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहा हूं."
किसान जितेंद्र भोईजी ने कहा कि नए कृषि कानून में MSP का भी जिक्र रहना चाहिए. बता दें कि नेए कानूनों को खत्म करने की मांग के साथ दिल्ली में किसान 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं.