मध्य प्रदेश सरकार पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. ये मामला एक फर्जी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने और बाद में उसे डिलीट करने का है. एमपी के गृह मंत्री ने दिग्विजय के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए हैं. सरकार इसके लिए कानूनी जानकारों की सलाह ले रही है.
दरअसल, मध्य प्रदेश के खरगोन में 10 अप्रैल को राम नवमी के मौके पर शोभायात्रा निकाली गई. इस यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने पथराव किया. पूरे क्षेत्र में हिंसा हुई. पूरे घटनाक्रम में आम जनता समेत 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए. घटना के बाद दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी.
एमपी नहीं बिहार का था फोटो
दिग्विजय सिंह ने एक फोटो शेयर किया, जिसमें कुछ युवक मस्जिद पर भगवा झंडा लगाते नजर आ रहे थे. अपने ट्विटर अकाउंट से मंगलवार को फोटो शेयर कर उन्होंने लिखा था, 'क्या खरगोन प्रशासन ने हथियारों को लेकर जुलूस निकालने की इजाजत दी थी?' शायद उन्हें कुछ देर बात पता चल गया कि फोटो एमपी का नहीं, बल्कि बिहार का है. उन्होंने कुछ देर बाद ट्वीट डिलीट कर दिया, लेकिन तब तक यह वायरल हो गया. इस घटना के बाद दिग्विजय सवालों के घेरे में आ गए हैं.
गृह मंत्री बोले- कानूनी एक्सपर्ट्स की राय ले रहे
दिग्विजय के ट्वीट करने और डिलीट करने के बाद एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान आया है. उन्होंने इस घटना को गंभीर बताया है. मिश्रा ने कहा कि 'दिग्विजय सिंह इससे पहले पाकिस्तान के पुल को भोपाल का बता चुके हैं. अब बिहार की मस्जिद का फोटो मध्य प्रदेश का बताकर भ्रम फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि विधि विशेषज्ञों की राय ली जा रही है, दिग्विजय सिंह के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जा सकती है.
गिरिराज सिंह ने भी साधा निशाना
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, 'ये वो लोग जो झूठी तस्वीरें ट्वीट करके लोगों को भड़काने का काम करते हैं और सौहार्द को बिगाड़ने का काम करते हैं. यें लोग झूंठ का एजेंडा चलाकर दंगा कराने का काम करते हैं. झूठी तस्वीरें ट्वीट करते हैं और जब पकड़े जाते हैं तों ट्वीट डिलीट कर देते हैं. आगे देखिए क्या होता है.
ओवैसी ने उठाए कार्रवाई पर सवाल
खरगोन में राम नवमी पर हुई हिंसा के बाद सरकार एक्शन में आ गई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने पथराव करने वाले आरोपियों के घर ढहा दिए. इसके बाद AIMIM प्रमुख ओवैसी ने शिवराज सरकार की इस कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए उन पर निशाना साधा. ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि एमपी में कानून के शासन पर भीड़तंत्र हावी हो चुका है. भले ही सीएम शिवराज सिंह चौहान की विचारधारा मस्जिदों को नापाक करने और बुजुर्गों पर हमले को सही ठहराती हो, लेकिन उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि वे संवैधानिक पद पर बैठे हैं. जनता की जान-माल की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है. ओवैसी ने आगे कहा कि सत्ता के नशे में गरीबों के आशियाने उजाड़े जा रहे हैं. उन्हें याद रखना चाहिए कि आज उनकी सरकार है, कल नहीं होगी.