देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा, इसके लिए अब थोड़ा और इंतजार करना होगा, क्योंकि कांग्रेस में आंतरिक चुनाव फिर टल गया है. एक तरफ जहां पार्टी के अधिकांश नेता राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस की कमान सौंपने की वकालत कर रहे हैं, तो एक धड़ा (G-23) ऐसा भी है, जिसका इससे अलग मत है. वहीं सोनिया गांधी, जो कभी राहुल गांधी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित करने के लिए उत्सुक थीं, उन्हें मजबूरन अपने हाथों में फिर से पार्टी की कमान लेनी पड़ी. कुल मिलाकर पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए तीन अलग-अलग खेमे दिखाई दे रहे हैं, एक सोनिया गांधी के पक्ष में, दूसरा राहुल गांधी के पक्ष में जबकि तीसरा इन दोनों से अलग स्वतंत्र खेमा है. ऐसे खेमे को G-23 ग्रुप का नाम दिया गया है.
फिलहाल के लिए पार्टी में वफादारों और असंतुष्टों को साधने के लिए उन्हें विभिन्न कांग्रेस पैनल में समायोजित किया जाना है, यानी पार्टी में अहम पद दिए जा सकते हैं. उधर पार्टी की कमान सोनिया गांधी के हाथ ही रहेगी. हालांकि, कुछ कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि राहुल ने ग्रैंड ओल्ड पार्टी का नेतृत्व करने के लिए नेहरू-गांधी परिवार के 6वें सदस्य बनने का मौका गंवा दिया है. यानी कि ऐसे लोगों का मानना है कि राहुल को तत्काल पार्टी की कमान फुल टाइल के लिए संभाल लेनी चाहिए.
अतीत में मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. नेहरू-गांधी परिवार के एक सदस्य संजय गांधी 1975-80 के दौरान ताकतवर थे, लेकिन पार्टी संगठन में औपचारिक रूप से कभी नहीं रहे.
सोनिया गांधी के गिरते हुए स्वास्थ्य और पार्टी के हालिया प्रदर्शन को देखें तो अगर कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव अभी होते तो ये AICC प्रमुख को प्रभावित करता. शायद, एक खेमे ने सोचा था कि कोरोना संकट और नरेंद्र मोदी सरकार की कथित रूप से स्थिति को न संभाल पाने के बीच राहुल को कांग्रेस के भीतर अधिक स्वीकार्य नेता बना दिया है. लेकिन इस बात पर पार्टी के भीतर सब एकमत नहीं थे.
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के एक वर्ग, विशेष रूप से जिन्होंने अगस्त 2020 में राहुल की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे, उन्होंने इस बार नए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में देरी के लिए कोरोना महामारी का इस्तेमाल किया.
राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि उनके पास खुद को अध्यक्ष चुने जाने का विकल्प था, लेकिन उनका कार्यकाल दिसंबर 2022 तक होगा, जब नए पार्टी प्रमुख के लिए फिर से चुनाव होगा. कांग्रेस के संविधान के अनुसार, अगला पार्टी अध्यक्ष राहुल के पांच साल के कार्यकाल के बचे हुए हिस्से को पूरा करेगा जो दिसंबर 2017 में शुरू हुआ था. बता दें कि राहुल ने 25 मई, 2019 को आम चुनाव हार के बाद इस्तीफा दे दिया था. तब से, सोनिया गांधी अंतरिम AICC प्रमुख के रूप में काम कर रही हैं.
हालांकि, यह अभी साफ नहीं है कि राहुल जून 2021 में पार्टी की कमान अपने हाथों में लेंगे या नहीं, लेकिन उनके कुछ करीबी उनके अध्यक्ष बनने के लिए कुछ शर्तें रखना चाहते थे. मोटे तौर पर, यह राहुल को फ्री हैंड देने के इर्द-गिर्द घूमता था. जबकि G-23 के लोग चाहते हैं कि सोनिया और राहुल उन्हें समायोजित करें और समझौते के आधार पर पार्टी चलाएं. दूसरे शब्दों में, वे चाहते हैं कि राहुल वफादारों और परिवार के लोगों के साथ अहम निर्णय लेने वाले गुट के बजाय कांग्रेस कार्य समिति के चुनावों का लोकतंत्रीकरण करें.
G-23 ग्रुप के लोगों की मांग या इच्छा की बात करें तो ये लिस्ट बड़ी लंबी है-
1. पार्टी के सभी स्तरों पर संगठनात्मक चुनाव आयोजित करें
2. नए पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव करें और कोषाध्यक्ष नियुक्त करें
3. प्रत्येक राज्य में स्थानीय नेतृत्व का निर्माण करें, क्योंकि दिल्ली के रास्ते राज्यों के माध्यम से है
4. हर स्तर पर गैर-प्रदर्शनकारी लोगों को हटा दें, उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया सेल, गुजरात पीसीसी अध्यक्ष, आदि.
5. उदाहरण के लिए, INC TV, सोशल मीडिया वॉरियर्स आदि, अनावश्यक चीजों पर समय और पैसा लगाना बंद करें.
6. यहां तक कि 'धरोहर' सीरीज समय, मैनपावर और धन की बर्बादी है. फोकस अतीत की बजाय वर्तमान और भविष्य पर होना चाहिए.
7. प्रियंका गांधी वाड्रा को मुख्य प्रचारक बनाया जाना चाहिए और राहुल को संगठन बनाने पर ध्यान देना चाहिए
8. प्रत्येक राज्य प्रभारी या महासचिव को अपने-अपने राज्यों में कम से कम 15 दिन बिताने चाहिए. एक से अधिक राज्यों को संभालने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन हफ्ते राज्यों में बिताने चाहिए. उन्हें वहां किराए पर मकान लेना चाहिए.
9. एक अध्यक्ष के साथ एक समन्वय समिति का गठन हो.
10. मीडिया सेल फिर से बनाएं, लोकल कनेक्शन वालों को सपोर्ट करें.
11. प्रत्येक व्यक्ति की हर स्थिति पर जवाबदेही तय करें. हर राज्य के स्टार प्रचारकों की पहचान करें. देखें कि राज्य के परिदृश्य के आधार पर प्रत्येक राज्य में उनका किस तरह का प्रभाव है, उदाहरण के लिए, धर्म, जाति, आदि.
12. G-23 के नेताओं से बात करें और मुद्दों को हल करें. वे प्रतिभाशाली हैं और उनका उपयोग किया जाना चाहिए. केवल सार्वजनिक प्लेटफ़ॉर्म पर बोलने के कारण उन्हें अनदेखा न करें.
13. गुटबाजी को नियंत्रित करने के लिए राज्य/केंद्रीय नेतृत्व से नाखुश लोगों से बात करें, उदाहरण के लिए, सचिन पायलट.
14. कांग्रेस को एक बड़े आइडिया के बारे में सोचने और उसके चारों ओर एक आंदोलन बनाने की ज़रूरत है. जैसे अन्ना हजारे और रामदेव आंदोलनों में भाजपा ने एक प्रमुख भूमिका निभाई और मीडिया को शामिल किया. कांग्रेस केवल एक बड़े विचार के जरिए मोदी-शाह को हरा सकती है.