शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने अपने संपादकीय में अरुणाचल प्रदेश की सीमा में चीन के घुसपैठ की खबरों को ‘धक्कादायक’ बताया. उसने कहा कि अरुणाचल में हो रहे घटनाक्रम सिर्फ चिंता बढ़ाने वाले नहीं, बल्कि चिढ़ बढ़ाने वाले हैं. चीन ने देश की सीमा में घुसकर अरुणाचल प्रदेश में एक पूरा गांव बसा लिया है. उसने ऐसा एक ही गांव बसाया है या दो-तीन गांव बना लिए हैं, यह भी साफ नहीं है. सामना ने विदेश मंत्रालय से इस पर स्थिति साफ करने के लिए कहा है.
क्या एक रात में बन गया गांव?
सामना ने कहा कि यह सब एक रात में नहीं हुआ, कई महीनों से चीनी सैनिक और वहां के ‘लाल बंदरों’ की सरकार इसे बसाने में जुटी थी. सवाल ये है कि जब चीन हमारी हद में नया गांव बसा रहा था, तब हमारे प्रधानसेवक और चौकीदार कही जाने वाली शक्तिशाली सरकार क्या कर रही थी? किसी गांव में घर निर्माण करने के लिए ईंट-पत्थर, सीमेंट, स्टील और रेत के ढेर लाने पड़ते हैं. माल यातायात की शुरुआत होती है. यहां तो एक-दो घर ही नहीं बल्कि पूरा गांव ही बस गया, कोई शोर नहीं हुआ. हमारी केंद्र की सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.
लद्दाख में भी यही हुआ
सामना ने कहा कि इसी प्रकार चीन ने लद्दाख में भी कई किलोमीटर भीतर घुसकर देश की हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन हड़प ली. दुर्भाग्य यह है कि तब मोदी सरकार ने दावा किया कि चीनी सैनिक हमारी सीमा में घुसे ही नहीं. क्योंकि चीन की सरकार ने गलवान घाटी में घुसपैठ की बात से पहले इनकार किया था. बदनामी के डर से हमारी सरकार की शुरुआती भूमिका भी यही रही.
सैटेलाइट तस्वीरों पर विदेश मंत्रालय दे जवाब
सामना में अरुणाचल प्रदेश में चीन के नया गांव बसा लेने पर विदेश मंत्रालय से स्थिति साफ करने की मांग की गयी है. संपादकीय में कहा गया है कि सरकार के पास सैटेलाइट तस्वीरों के साथ इसकी शिकायत पहुंची है. कुछ चैनलों ने अगस्त 2019 में अरुणाचल के निर्जन सीमा क्षेत्र और उसी जगह की नवंबर 2020 में बसे नए गांव की सैटेलाइट तस्वीरें प्रसारित की हैं. सरकार ने अब तक इस बारे में न तो कोई निषेध व्यक्त किया है और न ही किसी प्रकार की प्रतिक्रिया दी है. ऐसा एक ही गांव बसाया है या दो-तीन गांव बना लिए हैं, यह भी साफ नहीं है. विदेश मंत्रालय ही इस पर स्थिति साफ कर सकता है.
क्या सरकार चलाएगी बुलडोजर
सामना में कहा गया है कि ‘किसी भी नगरपालिका की हद में बनाए गए अवैध निर्माण को निगम के अधिकारी बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर देते हैं, उसी प्रकार सारे अंतर्राष्ट्रीय कानून को एक तरफ रखकर हमारी सीमा में बनाए गए अवैध गांव को ध्वस्त करने का अधिकार भारत को है. हम इस अधिकार का प्रयोग करने वाले हैं या चीन की बढ़ती मनमानी को चुपचाप सहन करनेवाले हैं? सवाल सिर्फ इतना है.
क्या प्रधानमंत्री मारेंगे ‘मास्टरस्ट्रोक’?
संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक या पुलवामा हत्याकांड के बाद की गई ‘एयर स्ट्राइक’ पर निवेश और मार्केटिंग करने वाले चीन की इस नई घुसपैठ के बारे में चुप्पी नहीं साधेंगे, जनता को ऐसी आशा है. ‘आंखों में आंखें डालकर बात होगी’, ऐसी पंक्ति वाली विदेश नीति खुद प्रधानमंत्री मोदी ने घोषित की थी, इसी बयान को ध्यान में रखते हुए देश की सीमा में चीनी गांव बसाने वाले चीनियों के खिलाफ प्रधानमंत्री अवश्य एकाध ‘मास्टरस्ट्रोक’ मारेंगे, ऐसी आशा करने में कोई हर्जा नहीं है.