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Prashant Kishor: प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री नहीं, क्या इन शर्तों की वजह से अटकी बात?

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं थीं. मगर मंगलवार को उन्होंने ट्वीट कर साफ कर दिया कि वे पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं. माना जा रहा है कि कुछ शर्तों की वजह से पीके की कांग्रेस के साथ डील फाइनल नहीं हो सकी.

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प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे. फाइल फोटो
प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे. फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • KCR और ममता से संबंधों ने भी खटास डाली
  • PK चाहते थे कि कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार से ना हो

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (prashant kishor) के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर विराम लग गया है. प्रशांत किशोर ने कांग्रेस का दामन थामने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस पीके को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी में शामिल करना चाहती थी, लेकिन जिस तरह का अधिकार और बदलाव का फॉर्मूला उन्होंने रखा था, उस पर कांग्रेस में सहमति नहीं थी. यही वजह है कि पीके की कांग्रेस के साथ डील फाइनल नहीं हो सकी. 

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प्रशांत किशोर ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया, 'मैंने एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप (EAG) का हिस्सा बनने, पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. मेरी राय में पार्टी की अंदरूनी समस्याओं को ठीक करने के लिए कांग्रेस को मुझसे ज्यादा लीडरशिप और दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है.' 

कांग्रेस ने प्रशांत के प्रस्तावों को सराहा

वहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने एक एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 का गठन किया और प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी देते हुए ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने स्वीकार करने से मना कर दिया.

सुरजेवाला ने कहा कि हम पार्टी को दिए गए उनके प्रयासों और सुझावों की सराहना करते हैं. इससे साफ जाहिर है कि पीके को लेने के लिए कांग्रेस पूरी तरह तैयार थी, लेकिन उन्होंने जिस तरह से पार्टी में बदलाव करने के लिए प्रस्ताव दिए थे, उन पर कांग्रेस पूरी तैयार नहीं थी.

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विशेष ट्रीटमेंट देने के मूड में नहीं थी कांग्रेस

कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने साफ कर दिया था कि प्रशांत किशोर अगर पार्टी में शामिल होते हैं तो उन्हें कोई विशेष ट्रीटमेंट नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया था कि उनके पार्टी शामिल होने की शर्त पर संगठन में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. इसीलिए कांग्रेस ने एक दिन पहले यानी सोमवार को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी नेताओं की छह सदस्यी कमेटी गठित की थी. 

2024 के चुनाव की तैयारियों में लगी है कांग्रेस

दरअसल, 2024 के चुनाव में कांग्रेस की क्या तैयारियां रहेंगी, इसके फैसले एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप ही करेगा. पार्टी की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी के सरकारी आवास 10 जनपथ में हुई बैठक में पार्टी ने भविष्य को लेकर बड़ा फैसला लिया, जिसके तहत कांग्रेस ने 6 नई कमेटियां बनाईं. सभी कमेटियों के अलग-अलग संयोजक के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे, सलमान खुर्शीद, पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, भूपिंदर सिंह हुड्डा और अमरिंदर सिंह वाडिंग को जिम्मेदारी सौंपी गई है. 

प्रशांत के प्रस्ताव पर अमल करना नहीं था आसान

दरअसल, कांग्रेस के काम करने का अपना तरीका है, जिस पर चलते हुए पार्टी अपनी राजनीतिक दशा और दिशा तय करती है. वहीं, प्रशांत किशोर ने 2024 के चुनाव में कांग्रेस की वापसी के लिए जिस तरह का प्रस्ताव और पार्टी में बदलाव के सुझाव दिए थे, उन पर कांग्रेस के लिए अमल करना आसान नहीं था. प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल किए जाने पर पार्टी नेता एकमत नहीं थे तो दूसरी तरफ उनके प्रस्ताव पर आंख बंद करके चलना भी आसान नहीं था. 

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कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर लाना चाहते थे पीके

माना जाता है कि कांग्रेस की सियासत गांधी परिवार के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. जबकि प्रशांत किशोर के प्लान के मुताबिक, कांग्रेस की कमान गांधी परिवार से बाहर के किसी सदस्य को सौंपी जानी चाहिए थी. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व इस पर राजी नहीं था, क्योंकि 2019 के बाद से इसीलिए कांग्रेस का अध्यक्ष का चुनाव अभी तक नहीं हो सका.

राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से सोनिया गांधी पार्टी की आंतरिम अध्यक्ष हैं. यूपीए अध्यक्ष के पद पर भी प्रशांत किशोर ने किसी सहयोगी दल के नेता को जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव दिया था. 

सिर्फ सुझाव देने तक सीमित रखने के पक्ष में थी कांग्रेस

कहा जा रहा है कि पीके के शामिल होने के बाद पार्टी में जो भी फैसले लिए जाते, उसका श्रेय गांधी परिवार की बजाय प्रशांत किशोर को जाता. ऐसे में गांधी परिवार की साख को भी गहरा झटका लगता, क्योंकि कांग्रेस में हाईकमान का कल्चर है.

प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने से सबसे ज्यादा असर गांधी परिवार पर पड़ने की संभावना थी, जिसके चलते पार्टी पीके को सिर्फ सुझाव देने तक ही सीमित रखने के पक्ष में थी. 

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प्रशांत की एंट्री के लिए समिति ने दिया था ये सुझाव

प्रशांत किशोर ने अपने प्लान में कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव का सुझाव रखा था तो राज्यों में गठबंधन का भी एक फॉर्मूला दिया था. सोनिया गांधी ने प्रशांत की प्रेजेंटेशन और उनके पार्टी में शामिल होने पर विचार करने के लिए कांग्रेस नेताओं की समिति का गठन किया था. इस कमेटी ने सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसमें कहा गया कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने से पहले बाकी सभी राजनीतिक दलों से दूरी बना लें और पूरी तरह कांग्रेस के लिए समर्पित हो जाएं. 

केसीआर के साथ संबंध से नाराज थी कांग्रेस

इधर, कांग्रेस में प्रशांत के शामिल होने की बात हो रही थी तो दूसरी तरफ वे तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के साथ बैठक कर रहे थे. इतना ही नहीं, टीआरएस के साथ प्रशांत की कंपनी IPAC ने अनुबंध किया है. प्रशांत IPAC के साथ ही चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम करते थे. केसीआर के साथ पीके की मीटिंग को लेकर कांग्रेस नेताओं ने भी नाराजगी जाहिर की थी, क्योंकि तेलंगाना में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है. 

कांग्रेस को ये आशंका भी टेंशन दे रही थी

प्रशांत किशोर के केसीआर के अलावा ममता बनर्जी के साथ संबंध जगजाहिर हैं, जबकि ये दोनों ही नेता 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा बनने की कवायद में हैं. ऐसे में कांग्रेस कैसे पार्टी में प्रशांत किशोर को खुले तौर पर फैसला लेने की आजादी दे सकती थी, जिससे कांग्रेस की साख को बट्टा लग सके और गांधी परिवार के हाथों से पार्टी की कमान निकले. ऐसे में पीके के कांग्रेस में शामिल होने के अरमानों पर एक बार फिर से पानी फिर गया है.

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