किसान आंदोलन को नई धार देने के क्रम में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत के रास्ते पर चल पड़े हैं. पालथी मारकर जमीन पर बैठे राकेश टिकैत ने अपने हाथों से कोल्हू में गन्ने लगाए और गन्ने का रस निकालकर आंदोलनकारियों को पिलाया. 1995 में महेंद्र सिंह टिकैत ने कोल्हू को लाल किले पर तब चलाया था जब वे डब्लूटीओ के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे.
मतलब साफ है सरकार पर जब तक जोरदार दबाव नहीं पड़ेगा, वह कुछ देने वाली नहीं है. राकेश टिकैत ने बताया कि धीरे-धीरे गर्मी का मौसम आने लगा है, आंदोलन में डटे किसानों को गन्ने का जूस पिलाने के लिए यह कोल्हू लगाया गया है. इसके साथ ही यह कोल्हू इस बात का भी प्रतीक है कि सख्ती के बिना कुछ नहीं होता.
गुजरात को अब कॉर्पोरेट से आजाद कराएंगे
''गांधी के गुजरात को अब कॉर्पोरेट से आजाद कराएंगे''.... ये बात किसान नेता राकेश टिकैत ने उस समय कही जब वह गुजरात के गांधीधाम और महाराष्ट्र से आए युवाओं के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर चरखा चला रहे थे. राकेश टिकैत ने कहा, ''एक समय था जब पैसे बहुत कम थे और सुख कहीं ज्यादा. अब पैसा तो बढ गया लेकिन सुख कहीं खो गया. पहले गांव में हम हर चीज गेहूं के बदले ले लेते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. उसका बड़ा कारण देश पर कॉर्पोरेट का कब्जा होना ही है. टिकैत ने कहा कि ये तीन नए कृषि कानून जो सरकार लेकर आई है, उनके जरिए ऐसी स्थिति लाने की तैयारी है कि किसान अपने ही खेत से खाने के लिए एक गन्ना तक नहीं तोड़ पाएगा.
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने चरखा चलाकर देश की आजादी का आंदोलन चलाया था और अब हम गांधी जी के चरखे के सहारे उनके गुजरात को कॉर्पोरेट से मुक्त कराने की लड़ाई लड़ेंगे. टिकैत ने कहा कि वह जल्द ही गुजरात जाएंगे और वहां भी आंदोलन को धार देने का काम करेंगे. गुजरात के अहमदाबाद से आंदोलन स्थल पर पहुंचे देव देसाई ने बताया कि गुजरात में दबे पांव आंदोलन जगह बना रहा है.