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कांग्रेस अभी नए कृषि कानूनों का पुरजोर विरोध कर रही है और किसानों के साथ आंदोलन में खड़ी है. लेकिन साल 2010 में हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर APMC के एकाधिकार पर अंकुश लगाने की मांग की थी.
इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा वर्किंग ग्रुप ऑन एग्रीकल्चर प्रोडक्शन के चेयरमैन भी थे. तब भूपिंदर सिंह हुड्डा ने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को एक रिपोर्ट सौंपी थी और उन्हें सुझाव दिया था कि देश में APMC के एकाधिकार पर रोक लगे और किसानों को APMC से बाहर भी बाजार वैकल्पिक व्यवस्था की जाए.
भूपिंदर सिंह हुड्डा ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2003 में कृषि मंत्रालय ने एक मॉडल एग्रीकल्चर मार्केटिंग लॉ जारी किया था. इसे सभी राज्यों में लागू करने को कहा गया था. इस कानून में कहा गया कि किसानों के लिए बाजार के वैकल्पिक चैनल मुहैया कराए गए हैं. इसके अलावा इसकी मुख्य विशेषता ये है कि प्राइवेट मार्केट की स्थापान की जाए और उपभोक्ता किसान बाजार बनाए जाएं. किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग की सुविधा दी जाए और उन्हें डायरेक्टर मार्केटिंग का अधिकार दिया जाए.
भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि राज्यों को अपने यहां ये कृषि सुधार लागू करने चाहिए, यही नहीं राज्यों को इस कानून से बाहर जाकर भी किसानों के लिए मुक्त और प्रतिस्पर्द्धात्मक बाजार की व्यवस्था किसानों के लिए करनी चाहिए.
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इस रिपोर्ट में भूपिंदर सिंह हुड्डा ने स्पष्ट रूप से मांग की थी कि कृषि उपज को हर तरह के प्रतिबंधों जैसे कि मूवमेंट, ट्रेडिंग, स्टॉकिंग, फाइनेंस, एक्सपोर्ट से मुक्त किया जाना चाहिए. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बाजार में न तो APMC का एकाधिकार होना चाहिए और न ही कॉरपोरेट घरानों का. उन्होंने कहा था कि 'किसानों के बाजार' के कॉन्सेपट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जहां किसान मुक्त रूप से अपना उत्पाद उपभोक्ताओं को बेच सकें.