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किसान आंदोलन: दिग्विजय सिंह बोले- राष्ट्रपति से कोई उम्मीद नहीं, PM मोदी पर दबाव डालें नीतीश

24 राजनीतिक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने वाला है. ये राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रपति ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करेंगी.

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (फोटो- पीटीआई)
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पीएम मोदी पर दबाव डालें नीतीश- दिग्विजय सिंह
  • 24 पार्टियों के नेता राष्ट्रपति से कर रहे हैं मुलाकात
  • किसानों के आंदोलन का 14वां दिन

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव डालना चाहिए. बता दें कि किसानों के आंदोलन का आज 14वां दिन है. किसान नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर 14 दिन से दिल्ली हरियाणा की सीमा सिंधु बॉर्डर पर बैठे हुए हैं.

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मंगलवार को भारत बंद के बाद किसान नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. हालांकि सरकार किसानों के कोर्ट जाने के अधिकार, प्राइवेट प्लेयर्स का पंजीकरण, प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स से जुड़े मसले पर कानून संशोधन करने पर तैयार दिख रही है. 

अब सरकार आज अपनी तरफ से इन कानूनों में जो भी बदलाव कर सकती है, वो लिखित तौर पर गुरुवार सुबह 11 बजे तक किसानों को भेज दिया जाएगा. इसके बाद किसान आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे. 

इस बीच 24 राजनीतिक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने वाला है. ये राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रपति ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करेंगी.

एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने इस प्रस्तावित मुलाकात पर कहा है कि इस मुलाकात से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है. दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया,"राष्ट्रपति जी से किसान विरोधी कानून को वापस लेने के लिए 24 राजनैतिक दलों का डेलीगेशन आज मिलने जा रहा है. मुझे महामहिम जी से कोई उम्मीद नहीं है. इन 24 राजनैतिक दलों को NDA में उन सभी दलों से भी चर्चा करनी चाहिए जो किसानों के साथ हैं. नीतीश जी को मोदी जी पर दबाव डालना चाहिए."

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कांग्रेस नेता ने कहा कि किसानों के इस आंदोलन ने गांधी को जिंदा कर दिया है. दिग्विजय सिंह ने अपने अगले ट्वीट में लिखा, "इस किसान आंदोलन ने गांधी जी को जिंदा कर दिया. मानो जैसे गांधी जी जाग गए हों इन किसानों की रगों में लहू बनकर. गांधी जी के सत्याग्रह को अपनाकर किसानों ने समूचे देशवासियों में लड़ने की अलख जगाई है."

 

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