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दिल्ली: किसान आंदोलन की वजह से पेट्रोल पंपों को नहीं मिल रहे ग्राहक, फल और सब्जी मंडियों पर भी बुरा असर

बॉर्डर एरिया में पेट्रोल-डीजल की सेल करीब 40 प्रतिशत और दिल्ली के अंदर करीब 20 प्रतिशत डाउन हो गई है. दिल्ली में करीब 400 पेट्रोल पंप हैं, जिसमें करीब 150 बॉर्डर के करीब हैं जैसे टिकरी बॉर्डर के करीब स्थित 8 पेट्रोल पंपों का कारोबार महीने भर से ठप पड़ा हुआ है.

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किसान प्रोटेस्ट का असर अब अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने लगा है
किसान प्रोटेस्ट का असर अब अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने लगा है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बॉर्डर के बहुत से पेट्रोल पंपों की कोई बिक्री ही नहीं
  • यातायात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है
  • सब्जी और फल मंडियों पर भी बुरा असर

गाजीपुर, नोएडा, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर महीने भर से किसान डेरा जमाए बैठे हैं. जिसका प्रभाव अर्थव्यवस्था के कई हिस्सों पर भी पड़ रहा है. पेट्रोल पंप एसोसिएशन ने खुलासा किया है कि इन चारों बॉर्डर पर स्थित पेट्रोल पंपों की सेल महीने भर से जीरो है. राजस्थान के पास भी पेट्रोल-डीजल के कारोबार पर गहरा असर पड़ा है.

पेट्रोल पंप एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अजय बंसल ने बताया कि करीब 27 पेट्रोल पंपों की सेल निल है. इतना ही नहीं किसान और सरकार के बीच गतिरोध को एक महीना बीत जाने के बाद अब इन पंपों से जुड़े कर्मियों की रोजी-रोटी पर भी संकट आ पड़ा है. ऐसे में इसका समाधान जल्दी निकलना चाहिए. इस समस्या का हल ना निकलने की स्थिति में पेट्रोल पंप एसोसिएशन तेल कंपनियों से सहायता की मांग करेगा.

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बंसल ने बताया कि पेट्रोल-डीजल की सेल बॉर्डर एरिया में करीब 40 प्रतिशत और दिल्ली के अंदर करीब 20 प्रतिशत डाउन हो गई है. एसोसिएशन का आंकड़ा ये कहता है कि दिल्ली में करीब 400 पेट्रोल पंप हैं, जिसमें करीब 150 बॉर्डर के करीब हैं जैसे टिकरी बॉर्डर के करीब स्थित 8 पेट्रोल पंपों का कारोबार महीने भर से ठप पड़ा हुआ है.

दिल्ली के 6 बड़े हाइवे पर किसानों ने डेरा जमाया हुआ है और आस-पास के इलाके में ट्रैफिक जाम की समस्या होने से मिनटों की यात्रा घंटे में तब्दील हो गई है तो उद्यमियों के साथ-साथ मंडी कारोबारियों के काम पर काफी असर पड़ रहा है.

सिंघु बॉर्डर के पास ही उद्यमी एसपी सिंघल की फैक्ट्री है, लेकिन नरेला के बाद ट्रैफिक का डायवर्जन सिंघु गांव की तरफ हो गया, जिसकी वजह से गांवों के अंदर कच्चे रास्तों से होकर आना जाना पड़ रहा है. जो दूरी तय करने में आधे घंटे का समय लगता था, उसमें अब दो-दो घंटे का वक्त लग रहा है, यही वजह है लोग अब कार छोड़कर स्कूटी पर चलने लगे हैं.

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एशिया की सबसे बड़ी मंडी के तौर पर मशहूर आजादपुर में सब्जी ही नहीं बल्कि फल का कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. मंडी के चेयरमैन आदिल अहमद खान का कहना है कि सब्जियों की आवक में 50 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन बॉर्डर सील होने की वजह से दूसरे राज्यों के लिए सब्जियां नही जा पा रही हैं. लिहाजा सब्जियों के दाम में कमी आ गई है.

आदिल ने आजतक को बताया कि प्याज मंडी में 12-15 प्रति किलो बिक रही है. हालांकि लोकल मंडियों में इसका दाम 25-35 रुपये प्रति किलो चल रहा है.

कौन से बॉर्डर पर किस किसान संगठन का है डेरा?

1- टिकरी बॉर्डर  

ऑल इंडिया किसान कोआर्डिनेशन कमेटी यहां पर लीड कर रही है. जिसमें करीब 250 किसान यूनियन आती हैं. 26 नवंबर से यहां पर विरोध शुरू हुआ. इससे दिल्ली-रोहतक हाइवे का ट्रैफिक प्रभावित हुआ है.

 2- यूपी गेट  

यहां भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) किसानों को लीड कर रहा है. यहां पर किसानों का विरोध प्रदर्शन 27 नवंबर को शुरू हुआ था. यहां पर लगे गतिरोध के कारण दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे एनएच-9 का ट्रैफिक प्रभावित हुआ है. 

3- जयसिंहपुर खेड़ा-  

यहां पर स्वराज इंडिया के मुखिया योगेंद्र यादव लीड कर रहे हैं. इसके कारण दिल्ली-जयपुर हाइवे का ट्रैफिक प्रभावित हुआ है.

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4- अटोहा बॉर्डर  

नवंबर 29 को यहां पर विरोध शुरू हुआ. किसान नेता शुव कुमार कक्का इसे लीड कर रहे हैं. पलवल के पास केएमपी-केजीपी चौक पर जाम लगाया गया है. इसके कारण दिल्ली-आगरा हाइवे का ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है.

5- चिल्ला बॉर्डर  

भारतीय किसान यूनियन का भानू ग्रुप इसे लीड कर रहा है जो 1 दिसंबर से शुरू हुआ है. इसके कारण दिल्ली-नोएडा लिंक रोड का ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है.

6-    सिंघु बॉर्डर  

करीब 30 किसान यूनियन के नेतृत्व में नवंबर 27 को विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ. इन्होंने दिल्ली करनाल रोड का ट्रैफिक प्रभावित किया हुआ है.

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