scorecardresearch
 

कृषि कानून पर केंद्र के पक्ष में आए तमिलनाडु CM पलानीस्वामी, बोले- एजेंटों से किसानों को मिली आजादी

तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इस लिहाज से सीएम पलानीस्वामी का ये बयान अहम माना जा रहा है. बता दें कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके इस कानून का विरोध कर रही है.

Advertisement
X
तमिलनाडु के सीएम ई पलानीस्वामी एक किसान के साथ (फोटो- पीटीआई)
तमिलनाडु के सीएम ई पलानीस्वामी एक किसान के साथ (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नए कृषि कानून का तमिलनाडु CM ने किया समर्थन
  • किसानों को एजेंटों से मिली आजादी: पलानीस्वामी
  • पलानीस्वामी बोले- विरोध के लिए विरोध कर रहा विपक्ष

तमिलनाडु के सीएम ई पलानीस्वामी ने केंद्र के नए कृषि कानून का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि नए कानून से किसानों की जिंदगी आसान हुई है, उनके ऊपर टैक्स का बोझ कम हुआ है. इसके अलावा सीएम पलानीस्वामी ने कहा कि विपक्ष इस कानून का विरोध सिर्फ विरोध करने के लिए कर रहा है. उसके पास कोई आधार नहीं है. 

Advertisement

तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इस लिहाज से सीएम पलानीस्वामी का ये बयान अहम माना जा रहा है. बता दें कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके इस कानून का विरोध कर रही है. 

चेन्नई में सीएम पलानीस्वामी ने कहा कि नई कृषि कानून से किसानों की जिंदगी आसान हो जाएगी और उन्हें पहले के मुकाबले कम कर का भुगतान करना पड़ेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष नए कानूनों के खिलाफ सिर्फ विरोध करने की गरज से ही विरोध कर रहा है.

देखें: आजतक LIVE TV  

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में किसान अपने उपज को सिर्फ एजेंट के जरिए ही बेच सकते हैं. किसानों को इस एजेंट को 2.5 फीसदी का टैक्स देना पड़ता है. इसलिए यदि एक किसान चावल का एक बोरा 1000 रुपये में बेचता है तो उसे 25 रुपये एजेंट को देना पड़ता है. 

Advertisement

इसके बाद किसान को 3 फीसदी मार्केट सेस और 3 फीसदी लोकल बॉडी टैक्स देना पड़ता है. इस तरह से उसे 8.5 फीसदी अतिरिक्त टैक्स देना पड़ता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका भार किसान पर पड़ता है. 

AIADMK नेता और तमिलनाडु सीएम पलानीस्वामी ने कहा कि क्या ये जरूरी है. इसी को केंद्र ने बदल दिया है. बता दें कि दिल्ली-हरियाणा की सीमा सिंघु बॉर्डर पर पिछले 14 दिनों से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान केंद्र से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. 

 

Advertisement
Advertisement