अक्सर अपने बयानों के चलते विवादों में रहने वाले पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का एक और बयान चर्चा में है. उन्होंने राष्ट्रवाद को बीमारी बताया है. शशि थरूर की नई किताब 'द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग' के विमोचन के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि फिलहाल देश ऐसे ‘प्रकट और अप्रकट’ विचारों एवं विचारधाराओं से खतरों से गुजर रहा है जिसमें देश को 'हम और वो' के काल्पनिक श्रेणी के आधार पर बांटने की कोशिश की जा रही है.
अंसारी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी संकट से पहले ही भारत दो अन्य महामारियों ''धार्मिक कट्टरता'' और ''आक्रामक राष्ट्रवाद'' का शिकार हो चुका. उन्होंने कहा कि धार्मिक कट्टरता के लिए सरकार के साथ-साथ समाज का भी बखूबी इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने कहा कि आक्रामक राष्ट्रवाद के बारे में भी काफी कुछ लिखा गया है. इसे वैचारिक जहर भी कहा गया है, आक्रामक राष्ट्रवाद के दौरान किसी भी शख्स के अधिकारों की परवाह भी नहीं की जाती है जिससे लोगों के अधिकारों का हनन होता है.
उन्होंने कहा कि दुनियाभर के रिकॉर्ड उठाकर देखें तो पता चलता है कि यह कई बार नफरत का रूप लेता है और इसका इस्तेमाल एक टॉनिक के रूप में किया जाता है.यह व्यापक विचारधारा के रूप में प्रतिशोध को प्रेरित करता है. इसका कुछ अंश हमारे देश में भी देखा जा सकता है. इस दौरान अंसारी ने कहा कि देशभक्ति एक अधिक सकारात्मक अवधारणा है क्योंकि यह सैन्य और सांस्कृतिक दोनों तरह से रक्षात्मक है और ये आदर्श भावनाओं को प्रेरित करती है. लेकिन इसे निरंकुशता से चलाए जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
बता दें कि शशि थरूर ने अपनी किताब 'द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग' को लेकर हिंदुत्व सिद्धांत और नागरिकता संशोधन कानून पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि इन दो चीजों से भारतीय होने के सबसे बुनियादी पहलू पर ही प्रश्नचिन्ह लगता है. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का सिद्धांत धार्मिक नहीं बल्कि राजनैतिक है. उन्होंने कहा कि बीजेपी पिछले छह साल में भारत के अस्तित्व को लेकर एक ऐसा विचार उत्तपन्न कर रही है जिससे लगता है कि इस भारत के इतर एक और भारत हो सकता है.
शिया धर्मगुरू ने साधा निशाना
पूर्व राष्ट्रपति के इस बयान पर शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने वीडियो जारी करते हुए निंदा की है. शिया धर्मगुरु का कहना है कि,हमारे देश में कट्टरता नहीं है. हमारा देश एकता का प्रतीक है. जहां हिंद, मुस्लिम,सिख,ईसाई यहूदी और पारसी एक साथ रहते हैं. मेरा देश एक गुलदस्ते की तरह है.
हामिद अंसारी को अगर बोलना था तो किसी एक इंडिविजुअल शख्स पर बोलना चाहिए था,ना कि,पूरे देश को उसके अंदर शामिल करना चाहिए था. जहां देश की आजादी के लिए हमारे हिंदू,मुसलमान,सिख सभी भाइयों ने अपना खून बहाया है. हमिद अंसारी ये क्या कह रहे हैं कि,हमारे पूरे देश में कट्टरता पनप रही है? लेकिन ऐसा नहीं है. हमारे देश में कोई कट्टरता नहीं पनप रही है. क्योंकि यहां पर हिंदू का दरवाजा मुसलमान के दरवाजे से लगा हुआ है, तो वहीं मुसलमान का दरवाजा हिंदू भाई के दरवाजे से लगा हुआ है. यहां रिश्तेदार बाद में खड़े होते हैं,पहले मित्र और चाहने वाले खड़े होते हैं.
(सत्यम मिश्रा के इनपुट्स के साथ)