एक जमाने में कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने पार्टी को छोड़ दिया है. एक पांच पेज की चिट्ठी लिख उन्होंने अपना इस्तीफा दिया. अब वो इस्तीफा भी सिर्फ पार्टी छोड़ने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सीधे-सीधे राहुल गांधी की कार्यशैली पर कई तरह के सवाल उठा दिए गए. पार्टी में चल रही समस्याओं पर भी जोर रहा और 'दरबारी पॉलिटिक्स' का भी जिक्र किया. अब चिट्ठी में तो गुलाम नबी आजाद ने सिर्फ कुछ घटनाओं का जिक्र किया, लेकिन आजतक से खास बातचीत में उन्होंने अपने इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी बताई, वो स्टोरी जो अभी तक लोगों के बीच नहीं पहुंची थी.
इस्तीफे का फैसला एक दिन का नहीं, 9 साल से...
गुलाम नबी आजाद ने बताया कि उनका ये इस्तीफा देना कोई एक दिन का फैसला नहीं है. वे पिछले 9 साल से इस बारे में सोच रहे थे. उनके मुताबिक ये कोई एक मुद्दे की बात नहीं है, अलग समय पर अलग मुद्दे रहे, लेकिन वे पिछले 9 सालों से इस बारे में सोच रहे थे, लेकिन कभी भी इतना खुलकर सामने नहीं आ पा रहे थे. इस बार उन्होंने एक फैसला लिया और उस पर अमल किया. अब सवाल ये भी उठता है कि अगर इस्तीफा देना था तो वे सीधे-सीधे भी दे सकते थे, आखिर उन्होंने पांच पेज लंबी चिट्ठी क्यों लिखी?
इस बारे में आजाद कहते हैं कि वो चिट्ठी लिखना मेरे लिए जरूरी था. अगर मैं ऐसा नहीं करता तो फिर ये कहते कि पार्टी ने सबकुछ दिया और ऐन वक्त पर ये छोड़कर चला गया. कुछ उदाहरण देना जरूरी था, ये बताना था कि आखिर पार्टी ने क्या नहीं किया, हमने क्या प्रयास किए, क्या उम्मीद रखी. लेकिन जब बच्चे ही बड़ों की घर में इज्जत ना करे, उनके सुझाव लेना बंद कर दें, ऐसी स्थिति में अकलमंदी इसी में है कि वो बड़ा घर से चला जाए.
40 साल में पहली बार स्टार कैंपेन लिस्ट से बाहर किया
आजाद ने आगे कहा कि मैं भागा नहीं हूं, मैं तो लड़ना चाहता था, संघर्ष करना चाहता था. लेकिन मैं ऐसी लड़ाई लड़ रहा था जहां मुझे कोई हथियार ही नहीं दिया गया. जब कोई चारा नहीं बचा तो ये चिट्ठी लिखी, पार्टी छोड़ने का फैसला लिया. अब गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस से कई मुद्दों पर नाराजगी रही, उन्हें इस बात की भी पीड़ा रही कि जिस पार्टी को उन्होंने इतने साल दिए, लगातार काम किया, उसी पार्टी ने कई मुद्दों पर उन्हें नजरअंदाज कर दिया. ऐसे एक किस्से के बारे में आजाद बताते हैं कि जब हमने 2020 में सोनिया गांधी को कहा था कि कैंपेन कमेटी अभी से बनानी चाहिए, इन्होंने स्टार कैंपेन की जो लिस्ट जारी की उसमें मेरा नाम ही नहीं था. 40 साल में पहली बार मुझे ड्रॉप कर दिया गया. 80 के दशक से मैं पार्टी का कैंपेनर था. मुझे उस कमेटी से हटा दिया गया.
अब यहां आजाद से सवाल पूछा गया कि कांग्रेस हाईकमान ने आप पर विश्वास खो दिया था, आरोप लगने लगे थे कि आप बगावती तेवर दिखा रहे हैं, इसी वजह से आपको स्टार कैंपेन वाली लिस्ट से बाहर रखा गया. इस पर गुलाम नबी आजाद ने दो टूक कहा कि जिस समय ये कमेटी बनाई गई थी, मैं तब नेता प्रतिपक्ष के पद पर था, मैं किस तरीके से अपनी ही पार्टी का विरोध कर सकता था. लोग मुझे जूते नहीं मारते, क्या मैं पार्टी की मीटिंग में पार्टी के खिलाफ बोलता.
'चौकीदार चोर है का मैंने कभी समर्थन नहीं किया'
गुलाम नबी आजाद यहीं नहीं रुके. अब क्योंकि उन्होंने चिट्ठी में राहुल गांधी का जिक्र कई बार किया, ऐसे में इस बार उन्होंने और खुलकर उस बारे में बताया. उन्होंने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से राहुल गांधी का बहुत सम्मान करते हैं. वे चाहते हैं कि राहुल बहुत खुश रहे, स्वस्थ रहें. लेकिन संगठन के लिए वे ठीक नहीं हैं. इस बारे में आजाद ने कहा कि 2019 के चुनाव में कई मुद्दे थे, लेकिन राहुल गांधी ने एक नेरेटिव चुन लिया- चौकीदार चोर है. जब कांग्रेस कमेटी की मीटिंग हुई थी, उसमें पूछा गया था कि क्या इस नेरेटिव पर चला जाए. किसी सीनियर नेता ने इसे अप्रूव नहीं किया गया था, किसी ने हाथ खड़ा नहीं किया था. आप प्रधानमंत्री के लिए ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. रैली की शुरुआत इससे कर रहे हैं, खत्म इससे कर रहे हैं. क्या कोई दूसरा मुद्दा नहीं था. क्या महंगाई का मुद्दा नहीं था, क्या बेरोजगारी बड़ी समस्या नहीं थी.
भड़काने का काम हुआ, बदनाम करने की साजिश
आजाद ने दावा किया कि पूरी कांग्रेस को ये बात पता है कि राहुल गांधी अपने सुरक्षाकर्मी और पर्सनल स्टाफ से सलाह लेते हैं. अनुभव वाले नेताओं को साइडलाइन कर दिया जाता है. जोर देकर कहा गया कि भाषण देने से, कुछ देर के लिए किसी धरने में बैठने से, फोटो खिचवाने से कुछ नहीं होता. यहां पर गुलाम नबी आजाद ने इस बात का भी जिक्र किया कि उन्होंने अपने स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की पूरी कोशिश की. समय-समय पर सुझाव दिए. वे कहते हैं कि मुझे भड़काने का प्रयास किया गया. मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए. कांग्रेस नेताओं को फोन करके कहा जाता था कि गुलाम के खिलाफ सोशल मीडिया पर कुछ बोल दो, उस पर ये आरोप लगा दो. लेकिन मुझे खुशी है कि 95 प्रतिशत कांग्रेसी ऐसे थे जिन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया. कई ऐसे भी थे जिन्होंने मुझे बताया कि AICC ने उन्हें ऐसा करने के लिए बोला.
'राहुल का दोहरा चरित्र, मोदी से गले मिलना और फिर चिल्लाना'
अब आजाद ने कांग्रेस छोड़ने की वजह बताई, पार्टी में दिख रही खामियों पर जोर डाला, इसके अलावा उन्होंने राहुल गांधी के 'दोहरे चरित्र' पर भी विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सदन में दो मिनट के भाषण के बाद पीएम मोदी से गले मिल लेते हैं. वहां कहते हैं कि उन्हें उनसे कोई शिकाय नहीं है. कोई समस्या नहीं है. जब कोई शिकायत नहीं है, तो फिर बाहर चिल्लाते क्यों हो, क्यों शोर करते हो. कि मुद्दे को लेकर लड़ रहे हो. आजाद ने ये भी साफ कर दिया उनकी वजह से कभी कांग्रेस मुक्त भारत वाले नेरेटिव को मजबूती नहीं मिली है. उन पर जो पार्टी के नेता ऐसा लगातार आरोप लगा रहे हैं, असल में उन्होंने ही पार्टी के अंदर रहते हुए कांग्रेस मुक्त भारत की पटकथा लिखी है.
'भारत जोड़ो यात्रा से कुछ नहीं होने वाला'
वैसे गुलाम नबी आजाद को लेकर कुछ कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी अपनी सबसे बड़ी भारत जोड़ो यात्रा निकालने वाली थी, तब आजाद ने पार्टी छोड़ दी. अब इस पर भी गुलाम नबी ने मुंहतोड़ जवाब दिया. उन्होंने कांग्रेस पार्टी को आईना दिखाते हुए कहा है कि भारत को इस समय जोड़ने की जरूरत नहीं है. जोड़ने का काम 1947 के बाद कर लिया गया था. नेहरू और सरदारपटेल ने मिलकर वो काम किया था. तब पूरे भारत को साथ लाया गया था. अब इस समय ये कोई नहीं बोल सकता कि भारत अलग है. भारत जुड़ा हुआ है. वैसे भी भारत जोड़ो यात्रा से क्या कांग्रेस पार्टी में चल रही समस्याएं दूर हो जाएंगी. नहीं हो सकती. इस समय भारत जोड़ो नहीं कांग्रेस जोड़ों की जरूरत है.