scorecardresearch
 

आजाद की 'हाउस ऑफ एल्डर्स' से विदाई, कांग्रेस उच्च सदन में किसे बनाएगी विपक्ष का नेता?

गुलाम नबी आजाद ने संसद में लंबी सियासी पारी खेली है. वो पांच बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. ऐसे में सवाल है कि 15 फरवरी को गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद कांग्रेस उच्च सदन में उनकी जगह किसे विपक्ष का नेता बनाएगी और साथ ही उनका सियासी भविष्य क्या होगा?

Advertisement
X
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा कार्यकाल खत्म हो रहा
  • राज्यसभा में गुलाम नबी का कांग्रेस से विकल्प कौन बनेगा
  • केरल में रिक्त हो रही सीट से क्या गुलाम नबी को मिलेगा मौका

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है, जिसके लिए मंगलवार को उन्हें सदन में विदाई दी जाएगी. गुलाम नबी आजाद ने संसद में लंबी सियासी पारी खेली है. वो पांच बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. ऐसे में सवाल है कि 15 फरवरी को गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद कांग्रेस उच्च सदन में उनकी जगह किसे विपक्ष का नेता बनाएगी और साथ ही उनका सियासी भविष्य क्या होगा? 

Advertisement

जम्मू-कश्मीर से कोई राज्यसभा सदस्य नहीं होगा
गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर से राज्यसभा सदस्य हैं. राज्यसभा में 15 फरवरी के बाद जम्मू और कश्मीर का कोई प्रतिनिधि नहीं होगा. यहां से चार राज्यसभा सदस्य हैं, जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है. पीडीपी के दो सांसद नजीर अहमद लावे (10 फरवरी) और मीर मोहम्मद फैयाज (15 फरवरी) का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है. कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल 15 फरवरी और बीजेपी के शमशेर सिंह मन्हास का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है. 

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से अभी तक विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं. इसलिए वहां राज्यसभा की खाली सीटों पर चुनाव होना फिलहाल संभव भी नहीं है. इसी के साथ कयासबाजी तेज हो गई है कि गुलाम नबी आजाद की सदन में क्या वापसी होगी? या फिर पार्टी आलाकमान उच्च सदन के नेता विपक्ष की कुर्सी पर किसी और नाम पर मुहर लगाएगा. 

Advertisement

गुलाम नबी आजाद का विकल्प कौन?
राज्यसभा में विपक्ष के नेता बनने की रेस में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के करीबी और 2014-19 में कांग्रेस के लोकसभा नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है. सोमवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद खड़गे ने ही मीडिया को संबोधित किया था, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यसभा में विपक्ष की कुर्सी पर वो विराजमान हो सकते हैं. 

हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा राज्यसभा में उप कप्तान यानि उपनेता के तौर पर अभी आसीन हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि शायद G-23 की फेहरिस्त में शामिल होने के चलते उनकी ताजपोशी न हो पाए. इसके अलावा अगर वरिष्ठ नेताओं की बात करें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस पार्टी के चाणक्य कहलाए जाने वाले दिग्विजय सिंह का नाम भी चर्चा में है. 

गुलाब नबी का सियासी अनुभव
गुलाम नबी आजाद की गिनती उन नेताओं में होती है जो गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे हैं और राजनीति में उनका लंबा अनुभव है. तमिलनाडु , आंध्र प्रदेश, कर्नाटक ,केरल हो या उत्तर प्रदेश से लेकर जम्मू कश्मीर तक. देश का कोई एक ऐसा कोना नहीं जिसकी सियासत में वह सक्रिय ना रहे हों. विपक्षी दलों से लेकर सरकार की ट्रेजरी बेंच तक आजाद की नेताओं के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है. 

Advertisement

केरल से होगी दोबारा एंट्री!
गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा से रिटायरमेंट के बाद उन्हें दोबारा से राज्यसभा के लिए करीब दो महीने तक का इंतजार करना होगा. केरल की तीन राज्यसभा सीटें अप्रैल में खाली हो रही हैं, जिनमें से कांग्रेस को 1 सीट मिल सकती है. हालांकि, इसके लिए पार्टी हाईकमान की मंजूरी जरूरी होगी. केरल से राहुल गांधी खुद सांसद हैं, जिसके लिए उनकी स्वीकृति जरूरी होगी. 

केरल से गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा चुने जाने की एक बड़ी दिक्कत है कि यहां के नेता पहले भी दूसरे राज्य के लोगों को राज्यसभा भेजने की मुखालफत कर चुके हैं. पिछली बार पी चिदंबरम को भी केरल से एंट्री नहीं मिली थी. उस समय भी केरल में चुनाव सिर पर थे. लिहाजा, पार्टी आलाकमान ने स्थानीय नेताओं को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाया था. 

केरल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में गुलाम नबी आजाद के पुराने रिश्ते काम आ सकते हैं. गुलाम नबी आजाद का इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेताओं से पारिवारिक संबंध है. एक वक्त था जब आजाद केरल के इंचार्ज थे और उन्होंने अपने रिश्तों के दम पर कांग्रेस को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का समर्थन दिला केरल में सरकार बनवाई थी. फिलहाल गुलाम नबी आजाद अपने सियासी भविष्य को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के पास आजाद से बड़ा कोई चेहरा नहीं है. ऐसे में उनके सियासी भविष्य की राह जरूर बनाई जा सकती है.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement