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जम्मू कश्मीर की राजनीति में सक्रिय हुए गुलाम नबी, समर्थन में कई दिग्गजों का इस्तीफा

गुलाम नबी आजाद ने जब से कांग्रेस छोड़ी है, जम्मू-कश्मीर में वे ज्यादा सक्रिय हो गए हैं. पूरी कोशिश की जा रही है कि विधानसभा चुनाव से पहले वहां पर अपनी स्थिति को मजबूत किया जाए. इसी कड़ी में कई दूसरी पार्टी के नेता भी इस्तीफा दे आजाद के समर्थन में आ रहे हैं. खुद पूर्व कांग्रेस नेता भी नई पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके हैं

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गुलाम नबी आजाद (पीटीआई)
गुलाम नबी आजाद (पीटीआई)

गुलाम नबी आजाद ने जब से कांग्रेस पार्टी छोड़ी है, जम्मू-कश्मीर की राजनीति में हलचल तेज चल रही है. पहले ही ऐलान किया जा चुका है कि गुलाम नबी आजाद कश्मीर में नई पार्टी बनाने वाले हैं. ऐसे में अब घाटी में उनके समर्थन में कई दूसरे नेता भी अपनी पार्टी छोड़ रहे हैं. कांग्रेस से लेकर कई दूसरे दल के नेता उनके समर्थन में आ गए हैं.

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आजाद के बाद इस्तीफों की झड़ी

इसी कड़ी में चार कांग्रेस नेताओं ने अपना इस्तीफा दे दिया है. इस लिस्ट में बानी से पूर्व विधायक, एमएलसी सुभाष गुप्ता और शाम लाल भगत ने हाई कमांड को अपना इस्तीफा सौंप दिया. वहीं जम्मू और कश्मीर कांग्रेस के महासचिव रहे माहेश्वर सिंह ने भी आजाद के पार्टी छोड़ते ही अपना इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस के अलावा कई दूसरे छोटे दलों से भी इस्तीफों की झड़ी लग गई. अपनी पार्टी के कुल 12 नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के प्रति अपने समर्थन का ऐलान किया और पार्टी छोड़ दी. इसके अलावा तारा चंद, अब्दुल माजिद, मनोहर लाल शर्मा, घरू राम जैसे कई दूसरे दिग्गजों ने भी गुलाम नबीं आजाद को सपोर्ट करने की बात कर दी.

कश्मीर में सक्रिय हुए आजाद

ऐसे में इस समय जम्मू-कश्मीर की राजनीति में इस्तीफे की झड़ी सी लग गई है. गुलाम जब से कांग्रेस से आजाद हुए हैं, उनका पूरा फोकस कश्मीर में अपनी राजनीति को मजबूत करने पर हैं. पहले ऐसी अटकलें थीं कि वे कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लेंगे. पीएम मोदी और आजाद की जैसी सियासी केमिस्ट्री देखने को मिलती है, उस वजह से उन अटकलों को ज्यादा बल मिल रहा था. लेकिन अभी के लिए गुलाम नबी आजाद ने सिर्फ इतना कहा है कि वे एक कश्मीरी हैं, ऐसे में बीजेपी के साथ कैसे जा सकते हैं.

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राहुल गांधी पर साधा था निशाना

वैसे अपनी इस्तीफे वाली चिट्ठी में गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा था.  उन्होंने कहा था कि राहुल अपने आस-पास अनुभवहीन लोगों को रखते हैं और वरिष्ठ नेताओं को साइडलाइन कर दिया. ऐसा लगता है कि कांग्रेस में राहुल गांधी के सुरक्षाकर्मी और पर्सनल स्टाफ ही सारे फैसले ले रहे हैं. दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में आने के बाद जब उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था, उन्होंने कांग्रेस के कार्य करने के तौर-तरीकों को खत्म कर दिया. उन्होंने संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया.
 

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