कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. इस तरह कांग्रेस से अब वो पूरी तरह से आजाद हो गए हैं, लेकिन उन्होंने अपने इस्तीफे में राहुल गांधी पर बड़ा हमला किया है.
गुलाम नबी ने सोनिया गांधी को लिखे पांच पन्ने के पत्र में राहुल गांधी पर बड़ा हमला किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने संघर्ष और सही दिशा में लड़ाई लड़ने की इच्छाशक्ति खो चुकी है. ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस को देशभर में जोड़ने की कवायद की जानी चाहिए थे.
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में बिताए पांच दशक के राजनीतिक जीवन का जिक्र करते हुए इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव गांधी की तारीफ की तो वहीं राहुल गांधी पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से जब से पार्टी में राहुल गांधी की एंट्री हुई और खासतौर से 2013 में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने, तब से उन्होंने पार्टी में बातचीत का पूरा खाका ही ध्वस्त कर दिया है.
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उन्होंने कहा कि राहुल की लीडरशिप में पार्टी के सभी वरिष्ठ अनुभवी नेताओं को कांग्रेस में पूरी तरह से साइडलाइन कर दिया गया. अनुभवहीन नेता पार्टी के मामले देखने लगे. इसके बाद से लगातार कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. 2014 से लेकर अभी तक कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है.
गुलाम नबी ने कहा कि 2014 से 2022 के बीच 49 विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें से 39 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस को चार राज्यों में जीत मिली तो 6 राज्यों में सहयोगी दल की सरकार बनी. मौजूदा समय में कांग्रेस सिर्फ दो राज्यों में ही सत्ता में है और दो राज्यों में सहयोगी दल के तौर पर शामिल है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्थिति को लेकर पार्टी के 23 वरिष्ठ साथियों ने शीर्ष नेतृत्व को अपने सुझाव दिए थे, लेकिन उन्हें नहीं माना गया. ऐसे में राहुल गांधी ने उसे अपने ऊपर निजी तौर पर लिया था.
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आजाद ने कहा कि कांग्रेस में कमजोरियों के बारे में बताने वाले 23 नेताओं को गाली दी गई. उन्हें अपमानित और बदनाम किया गया. कांग्रेस उस स्थिति पर पहुंच गई है, जहां से वापसी नहीं हो सकती है. पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए 'प्रॉक्सी' का सहारा लिया जा रहा है.
उन्होंने लिखा है कि संगठन के किसी भी स्तर पर किसी भी स्थान पर चुनाव नहीं हुए हैं. कांग्रेस के चुने हुए लेफ्टिनेंट्स को पार्टी चलाने वाली मंडली द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया है. पार्टी पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करने के लिए नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार है.
गुलाम नबी आजाद ने पत्र में सोनिया गांधी को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि इससे भी बदतर 'रिमोट कंट्रोल मॉडल' था, जिसने यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को ध्वस्त कर दिया. 'रिमोट कंट्रोल मॉडल' अब कांग्रेस में भी लागू हो गया है.
आजाद ने चिट्ठी में लिखा कि मैंने भारी मन से कांग्रेस छोड़ने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि 'बहुत खेद के साथ मैंने कांग्रेस से अपना दशकों पुराना रिश्ता संबंध तोड़ने का फैसला किया.
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने पार्टी चलाने वाली मंडली के संरक्षण में फिलहाल देश के लिए क्या सही है और कैसे संघर्ष करना चाहिए. इस इच्छाशक्ति और क्षमता खो दिया है. 'भारत जोड़ो यात्रा' शुरू करने से पहले पार्टी नेतृत्व को देश भर में 'कांग्रेस जोड़ो यात्रा' करनी चाहिए थी. हालांकि, आजाद ने कांग्रेस के बाहर संभावित भविष्य के बारे में संकेत दिया. उन्होंने पत्र में लिखा कि मेरे कुछ साथी और मैं उन आदर्शों को कायम रखने के लिए दृढ़ रहूंगा, जिनके लिए हमने अपना पूरा वयस्क जीवन कांग्रेस को समर्पित कर दिया था.