संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ. लोकसभा में कृषि कानून वापसी बिल पास हो गया. इसके बाद राज्यसभा में भी इस पर मुहर लग गई. हालांकि राज्यसभा में विपक्ष ने हंगामा किया. राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह विपक्ष की ओर से इस फैसले का स्वागत करते हैं. लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि कानूनों को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर वापस लिया गया है.
कृषि मंत्री ने कहा-किसानों के भले के लिए लाए थे बिल
संसद में कृषि कानून बिल वापस होने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों की प्रतिक्रया आई है. जहां केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (agriculture minister Narendra tomar) ने कहा कि तीनों कृषि कानून भारत सरकार किसानों की भलाई के लिए लेकर आई थी. बड़ी संवेदनशीलता के साथ किसान संगठनों से बातचीत भी की थी. लेकिन दुख इस बात का है कि हम उनको उनके लाभ समझाने में सफल नहीं हो सके. प्रधानमंत्री ने देश को ध्यान में रखते हुए इन्हें वापस लेने का फैसला लिया. लिहाजा हमने शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही तीनों कानूनों को वापस ले लिया. यह प्रधानमंत्री की कथनी करनी में एकरूपता को दिखाता है.
कृषि मंत्री ने विपक्ष की चर्चा की मांग पर कहा कि जब कृषि बिल आए थे, तब व्यापक तौर पर चर्चा हुई थी. विपक्ष भी लगातार मांग कर रहा था कि बिल को वापस करना चाहिए. आज सर्वसम्मति से बिलों को वापस ले लिया गया है. सदन में शांति होती तो इस पर चर्चा करते. बार-बार आसन की तरफ से भी विपक्ष को कहा जा रहा था कि शांति बनाए रखें. हम चर्चा करने को तैयार हैं. लेकिन हाउस में शांति नहीं हुई.
राहुल गांधी बोले-संसद में चर्चा ही नहीं होने दी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कृषि कानूनों की वापसी पर कहा कि संसद में एमएसपी (MSP) पर चर्चा नहीं होने दी. न ही शहीद अन्नदाता के लिए न्याय पर चर्चा हुई. लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्ख़ास्तगी पर भी सदन में चर्चा नहीं होने दी. उन्होंने कहा "जो छीने संसद से चर्चा का अधिकार, फ़ेल है, डरपोक है वो सरकार"
चर्चा नहीं होने दी-
MSP पर
शहीद अन्नदाता के लिए न्याय पर
लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्ख़ास्तगी पर…
जो छीने संसद से चर्चा का अधिकार,
फ़ेल है, डरपोक है वो सरकार।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 29, 2021
कैप्टन अमरिंदर ने कहा- किसानों को बधाई
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर (Capt.Amarinder Singh) सिंह ने कृषि कानूनों की वापसी पर कहा कि हमारे सभी किसानों को बधाई. केंद्र सरकार ने आज संसद के दोनों सदनों में तीनों कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से निरस्त कर दिया है. मुझे विश्वास है कि सरकार हमारे किसानों की लंबित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी.
Congratulations to all our farmers as the Central Government has formally repealed the three farm laws in both houses of the parliament today. I'm confident that the government will sympathetically look into the pending demands of our farmers.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) November 29, 2021
मायावती बोलीं- यह लोकतंत्र की जीत लेकिन सरकार की MSP पर चुप्पी बरकरार
इस मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) बोलीं कि किसानों के एक वर्ष के तीव्र आंदोलन के फलस्वरूप तीन अति-विवादित कृषि कानूनों की संसद के दोनों सदनों में वापसी किसानों को थोड़ी राहत के साथ ही देश के लोकतंत्र की वास्तविक जीत है. यह सबक है सभी सरकारों के लिए कि वे सदन के भीतर व बाहर लोकतांत्रिक आचरण करें. लेकिन देश के किसानों की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के क्रम में खासकर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारण्टी सुनिश्चित करने की मांग पर केन्द्र की चुप्पी अभी भी बरकरार है. केन्द्र इस पर भी सकारात्मक पहल करे ताकि किसान खुशी-खुशी अपने घर लौटें. मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार आंदोलित किसानों से एक बार फिर गंभीर वार्ता प्रारंभ करके देश में खेती-किसानी व किसान परिवारों के वास्तविक उत्थान के लिए ठोस उपाय के लिए सही नीति का निर्धारण करे, ताकि देश में सभी जगह नई हरित क्रान्ति की शुरुआत और किसानों का जीवन खुश व खुशहाल हो सके.
1. देश में किसानों के एक वर्ष के तीव्र आन्दोलन के फलस्वरूप तीन अति-विवादित कृषि कानूनों की आज संसद के दोनों सदनों में वापसी किसानों को थोड़ी राहत के साथ ही यह देश के लोकतंत्र की वास्तविक जीत है। यह सबक है सभी सरकारों के लिए कि वे सदन के भीतर व बाहर लोकतांत्रिक आचरण करें।
— Mayawati (@Mayawati) November 29, 2021
2.किन्तु देश के किसानों की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के क्रम में खासकर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारण्टी सुनिश्चित करने की माँग पर केन्द्र की चुप्पी अभी भी बरकरार है। केन्द्र द्वारा इसपर भी सकारात्मक पहल की जरूरत है ताकि किसान खुशी-खुशी अपने घर लौट सकें
— Mayawati (@Mayawati) November 29, 2021
3. केन्द्र सरकार आन्दोलित किसानों से पुनः गंभीर वार्ता प्रारंभ करके देश में खेती-किसानी व किसान परिवारों के वास्तविक उत्थान के लिए ठोस उपाय हेतु सही नीति का निर्धारण करे ताकि देश में सभी जगह नई हरित क्रान्ति की शुरूआत व किसानों का जीवन खुश व खुशहाल हो सके।
— Mayawati (@Mayawati) November 29, 2021
योगेंद्र यादव बोले-चार दिसंबर को लेंगे आंदोलन पर फैसला
किसान नेता योगेंद्र यादव (Yogendra yadav) ने कहा कि जब तक सरकार हमारी सारी मांगें नहीं मान लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी, जिसमें आगे आंदोलन को खत्म करना है या जारी रखना है इस पर चर्चा की जाएगी.