केंद्र की मोदी सरकार में कैबिनेट विस्तार (Modi Cabinet Expansion) पहले मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक साथ आठ राज्यपाल नियुक्ति किया है. इनमें से 4 राज्यपालों का ट्रांसफर किया गया तो 4 नए राज्यपाल नियुक्त किए हैं. वहीं, इससे पहले अगस्त 2018 में एक साथ 7 राज्यों के राज्यपाल बदले गए थे. मोदी सरकर में पहली बार है कि एक साथ आठ राज्यपालों की नियुक्ति की गई है.
केंद्र में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत (thawar chand gehlot) को कर्नाटक, हरि बाबू कंभमपति को मिजोरम का राज्यपाल, मंगूभाई छगनभाई पटेल को मध्य प्रदेश और राजेंद्र विश्वनाथ आरलेकर को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्ति किया गया है. वहीं, रमेश बैस को त्रिपुरा से हटाकर झारखंड के गवर्नर बनाया गया है. ऐसे ही बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल से हरियाणा, सत्यदेव नारायण आर्य के हरियाणा से त्रिपुरा और पीएएस श्रीधरन पिल्लई को मिजोरम की जगह गोवा का गवर्नर बनाया गया है.
1. थावर चंद गहलोत
मोदी कैबिनेट में दलित चेहरा माने जाने वाले थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है. 18 मई, 1948 में मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित नागदा तहसील के गांव रुपेटा में पैदा हुए थावर चंद गहलोत ने विक्रम यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद नौकरी करते हुए 1967 से 75 तक आरएसएस के भारतीय मजदूर संघ से जुड़े रहे.1975 के आपातकाल में जेल भी गए. जनसंघ से सियासी पारी शुरू करने वाले गहलोत उज्जैन जिले बीजेपी संगठन में रहे. गहलोत ने 1996 से 2009 के बीच शाजापुर लोकसभा से लगातार लोकसभा सदस्य रहे और 2012 पहली बार और 2018 में दूसरी बार राज्यसभा सदस्य बने. मोदी सरकार की दोनों ही सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. इसके अलावा बीजेपी संगठन में कई अहम जिम्मेदारी निभाने का काम किया है.
2. हरिबाबू कम्भमपति
हरिबाबू कम्भमपति को मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. कम्भमपति का जन्म 15 जून 1953 को आंध्र प्रदेश के चिराला प्रकाशम में हुआ. उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के साथ 'जय आंध्र' आंदोलन में हिस्सा लिया और जेपी आंदोलन में शामिल रहे और मीसा के तहत गिरफ्तार होकर जेल में रहे. बीजेपी के साथ अपना सियासी सफर शुरू किया और संगठन के कई पदों पर रहे हैं. आंध्र प्रदेश से दो बार विधायक और 2014 में विशाखापटट्टनम सीट से सांसद रहे. इतना ही आंध्र प्रदेश के लिए बीजेपी की कमान भी संभाल चुके हैं और अब उन्हें गवर्नर बनाया गया है.
3. राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर
राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. अर्लेकर गोवा विधानसभा अध्यक्ष रह चके हैं. साथ ही गोवा के वन और पर्यावरण एवं पंचायती राज मंत्री भी रहे. गोवा विधानसभा को पेपरलेस बनाने का क्रेडिट उन्हें दिया जाता है. वो 1980 से गोवा भाजपा से जुड़े हुए हैं और पार्टी के महासचिव रह चुके हैं. साल 2014 में जब गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को नरेंद्र मोदी ने केंद्र में रक्षा मंत्री बनाया था, तब अर्लेकर को पर्रिकर के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था. हालांकि, भाजपा ने लक्ष्मीकांत पारसेकर को सीएम बनाया और अब जाकर उन्हें राजभवन की जिम्मेदारी सौंपी गई.
4. मंगूभाई छगनभाई पटेल
मंगूभाई छगनभाई पटेल को मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. मंगूभाई छगनभाई पटेल गुजरात से हैं और वहां की नवसारी और गणदेवी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं.. मंगू भाई गुजरात सरकार की केबिनेट में वन मंत्री रह चुके हैं. 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री थे, तब मंगूभाई पटेल गुजरात विधानसभा के सभापति थे. वो जनसंघ के दौर से अपना सियासी सफर शुरू किया और बीजेपी कार्यकर्ता से नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई. वो गुजरात भाजपा पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य और प्रदेश संगठन महामंत्री रह चुके हैं.
5. रमेश बैस
रमेश बैस के त्रिपुरा के गवर्नर थे और अब उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया है. उनका का जन्म 2 अगस्त 1947 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ है. रमेश बैस 1978 में रायपुर नगर निगम के लिए चुने गए थे और 1980 से 1984 तक मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य भी थे. वे 1989 में रायपुर, मध्यप्रदेश से 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे और 2014 तक निर्वाचित हुई. उन्होंने कांग्रेस के भूपेश बागेल को 2009 में हराया था और केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्य किया. साल 2019 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था और केंद्र में दोबारा मोदी सरकार बनने के बाद रमेश बैस को त्रिपुरा का राज्यपाल बनाया गया था और उन्हें झारखंड का गवर्नर बनाया गया है.
6. बंडारू दत्तात्रेय
बंडारू दत्तात्रेय हिमाचल के गवर्नर थे, लेकिन अब उन्हें हरियाणा के राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया है. दत्तात्रेय का जन्म 12 जून 1947 को हैदराबाद में हुआ. वह 1965 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़ गए और 1989 तक संघ के प्रचारक के रूप में काम किया. आपातकाल के दौरान जेल में रहे और बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. आंध्र प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर भी काम कर चुके हैं. साल 1991 में पहली बार लोकसभा सदस्य बने और 2004 तक लगातार सांसद रहे. इतना ही अटल बिहारी वाजपेयी और बाद में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया था और बाद में उन्हें राज्य हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया था.
7. सत्यदेव नारायण आर्य
सत्यदेव नारायण आर्य को हरियाणा से हटाकर त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त कर दिया है. सत्यदेव नारायण आर्य बिहार के नालंदा के राजगीर के रहने वाले हैं. उन्होंने अपना सफर संघ के शुरू किया और जनसंघ से होते हुए बीजेपी के अहम पदों पर रहे. साल 1977 में सत्यदेव नारायण आर्य राजगीर से पहली जनसंघ के टिकट पर विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे और वो 8 बार विधायक चुने गए. बिहार सरकार में दो बार मंत्री भी रहे. 2015 के विधानसभा चुनाव हार गए थे, जिसके बाद उन्हें हरियाणा का राज्यपाल बनाया गया था.
8.पीएएस श्रीधरन पिल्लई
पीएएएस श्रीधरन मिजोरम के राज्यपाल थे, जिन्हें अब गोवा का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया है. पिल्लई का जन्म केरल के अलाप्पुझा जिले के वेनमनी पंचायत में हुआ. आपातकाल विरोध में जेल गए. पिल्लई ने अपना सियासी सफर की शुरुआत संघ के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से किया. वो साल 1978 में एबीवीपी के राज्य सचिव भी थे. उन्होंने भाजपा में कई पदों पर काम किया. कोझिकोड जिला अध्यक्ष, राज्य सचिव और महासचिव से होते हुए दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2004 में भाजपा के पीएस श्रीधरन पिल्लई के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन ने केरल और लक्षद्वीप से संयुक्त रूप से इतिहास में पहली बार 2 लोकसभा सीटे हासिल की थी. अक्टूबर 2019 को उन्हें मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है और उन्हें गोवा नियुक्त किया गया है.