लोकसभा में वित्त विधेयक-2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार जीएसटी परिषद की अगली बैठक में पेट्रोल-डीजल पर चर्चा के लिए तैयार हैं. लोकसभा ने वित्त विधेयक-2021 को पारित किर दिया लेकिन जानें इस पर अपने जवाब में वित्त मंत्री ने किस-किस पर साधा निशाना...
‘राज्य चाहें तो जीएसटी परिषद मे विचार’
पेट्रोल-डीजल पर ऊंचे कर को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए जीएसटी परिषद की अगली बैठक में चर्चा करने के लिए तैयार है.
‘राज्य लाएं चर्चा का प्रस्ताव’
उन्होंने कहा कि अगर राज्य सहमत हों तो आगे बढ़कर चर्चा करने का प्रस्ताव लाएं. उन्हें परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करके खुशी होगी.
‘प्रधानमंत्री कर बढ़ाकर खर्चे पूरे करने के पक्ष में नहीं थे’
इससे पहले वित्त विधेयक-2021 पर चर्चा के बाद अपने जवाब की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट तैयार करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि कोरोना की विपत्ति से निपटने के लिए सरकार कर की दरें बढ़ाकर खर्चों को पूरा नहीं करेगी. इसी को ध्यान में रखकर आयकर की दर नहीं बढ़ाई गई और बजट को इसी आधार पर तैयार किया गया.
हालांकि कारोबार सुगमता को बढ़ाने के लिए आयकर कानून में कुछ बदलाव इस वित्त विधेयक के माध्यम से किए गए हैं.
‘कृषि अवसंरचना विकास उपकर मंडियों के लिए’
वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि अवसंरचना विकास उपकर को लेकर मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि इस राशि का उपयोग देश में कृषि के लिए बुनियादी ढांचों को और बढ़ाना है. जिसका आशय मंडियों और गोदामों में बढ़ोत्तरी करना है. कृषि राज्य का विषय है इसलिए इससे इकट्ठा होने वाला पैसा राज्यों के पास जाएगा क्योंकि इसका मकसद मंडियों में बुनियादी ढांचा सुविधाओं को बढ़ाना है.
‘फ्रीडम रिपोर्ट का संज्ञान दिया उचित जवाब’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने जवाब में विपक्ष के कुछ सदस्यों के सरकार के सिर्फ अपने पक्ष वाली अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों को लेकर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने किसी फ्रीडम रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के लिए कहा. मैं उन्हें कहना चाहती हूं कि हमने उस रिपोर्ट का सही संज्ञान लिया और सरकार के मंत्री ने उचित जवाब दिया. लेकिन मेरा उन सदस्यों से सवाल है कि फ्रीडम रिपोर्ट जारी करने वाला थिंकटैंक अपनी वेबसाइट पर भारत का नक्शा तक ठीक से नहीं दिखा सकता उसकी रिपोर्ट का हवाला आप क्यों दे रहे हैं.
‘राज्यों का वैट कम’
इससे पहले सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की बढ़ी कीमतों का मुद्दा उठाया. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि पेट्रोल की कीमत में उत्पाद शुल्क के खाते से केंद्र सरकार के पास 38 रुपये प्रति लीटर जाते हैं जबकि दिल्ली में राज्य सरकार वैट से इस पर 19 रुपये ही कमाती है. सरकार को ऊंचे उत्पाद शुल्क को नीचे लाने के बारे में सोचना चाहिए.
इसी के साथ सुप्रिया ने सरकार के लाभ कमाने वाले लोक उपक्रमों (PSU) के तेजी से विनिवेश को लेकर भी चिंता जताई.
‘प्रोविडेंट फंड पर कर को लेकर पुनर्विचार’
सुप्रिया सुले ने सदन में एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड और वॉलिएंट्री प्रोविडेंट फंड के अंशधारकों की 2.5 लाख रुपये से अधिक के अंशदान पर कर लगाए जाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया.
‘कीमतें लगा रही गरीब की जेब में आग’
बीएसपी के सांसद रितेश पांडे ने भी सदन में पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाया. उन्होंने इसे गरीब की जेब में आग लगाने वाला बताया.
जबकि तेलंगाना राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव ने सरकार से पेट्रोल डीजल की कीमतें नीचे लाने और कपास पर आयात शुल्क घटाने की मांग रखी.
‘महाराष्ट्र में सबसे अधिक कर’
वित्त मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि वह पेट्रोल-डीजल पर किसी राज्य के कम या ज्यादा कर होने का जिक्र नहीं करना चाहती लेकिन अभी महाराष्ट्र में पेट्रोल-डीजल पर सबसे अधिक राज्य कर है. उन्हें लगता है कि आज सदन की चर्चा के बाद राज्य इसे जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में सोंचेंगे.
‘रसोई गैस पर तो राज्य का कोई कर नहीं’
वित्त मंत्री के जवाब के बाद कांग्रेस के नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि मंत्री जी ने बढ़िया आवाज में अच्छा भाषण दिया लेकिन रसोई गैस और पेट्रोल डीजल को लेकर कोई ठोस बात नहीं की. पेट्रोल-डीजल पर तो आपने राज्यों के कर की बात कही लेकिन रसोई गैस पर तो राज्यों का कोई कर नहीं लगता, महिलाएं अब खाली सिलेंडरों का क्या करें.
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