scorecardresearch
 

BJP के लिए क्यों महत्वपूर्ण है हैदराबाद चुनाव? नड्डा-शाह-योगी लगाएंगे जोर 

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) को 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी के लिए यह चुनाव हैदराबाद में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने और तेलंगाना के भीतरी इलाकों में ज्यादा से ज्यादा सियासी आधार बढ़ाने का मौका नजर आ रहा. यही वजह है की बीजेपी ने केसीआर और असदुद्दीन ओवैसी के मजबूत दुर्ग में अपने दिग्गज नेताओं की फौज उतार दी है. 

Advertisement
X
अमित शाह और जेपी नड्डा
अमित शाह और जेपी नड्डा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हैदराबाद की 150 सीटों पर 1 दिसंबर को चुनाव
  • हैदराबाद के जरिए बीजेपी की नजर तेलंगाना पर
  • अमित शाह से लेकर सीएम योगी तक करेंगे प्रचार

हैदराबाद नगर निगम चुनाव राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बनता दिखाई दे रहा है, जिस पर देश भर की निगाहें लगी हुई है. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) चुनाव को 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी के लिए यह चुनाव हैदराबाद में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने और तेलंगाना के भीतरी इलाकों में ज्यादा से ज्यादा सियासी आधार बढ़ाने का मौका नजर आ रहा. यही वजह है की बीजेपी ने केसीआर और असदुद्दीन ओवैसी के मजबूत दुर्ग में अपने दिग्गज नेताओं की फौज उतार दी है. 

Advertisement

बता दें कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है. यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मलकजगिरी और संगारेड्डी आते हैं. इस पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और तेलंगाना के 5 लोकससभा सीटें आती हैं. यही वजह है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में केसीआर से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी तक ने ताकत झोंक दी है. 

बीजेपी को उपचुनाव से मिला हौसला
तेलंगाना में इस महीने की शुरुआत में डबका विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत ने बीजेपी के उत्साह को बढ़ा दिया है, क्योंकि इस सीट पर केसीआर की पार्टी का कब्जा था. बीजेपी ने केसीआर के मजबूत गढ़ में जीत दर्ज की है, जिसके चलते पार्टी के हौसले बुलंद हो गए हैं. अब हैदराबाद निकाय चुनाव को बीजेपी ने सभी 150 सीटों पर ताल ठोककर मुकाबले को रोचक बना दिया है. बीजेपी ने फ्री-पानी से लेकर फ्री बिजली और कोरोना वैक्सीन सहित तमाम वादे किए हैं.

Advertisement

दक्षिण भारत में बीजेपी का आधार
दरअसल, कर्नाटक के अलावा दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में बीजेपी की बहुत ज्यादा मौजूदगी नहीं है, यहां क्षेत्रीय दलों की पकड़ मजबूत है. वहीं, बीजेपी की राज्यसभा में क्षेत्रीय दलों के ऊपर से निर्भरता कम हो गई है. तेलंगाना में बीजेपी की सक्रियता के पीछे एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि अब केसीआर के बिना भी मोदी सरकार उच्च सदन में अपने अहम बिल पास करा सकती है. 

बीजेपी ने केसीआर के खिलाफ खुला मोर्चा तेलंगाना में खोल दिया है. 4 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटें जीतकर, बीजेपी तेलंगाना में अपना दायरा बढ़ने की उम्मीद कर रही है. यही वजह है कि पार्टी ने बिहार चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव को हैदराबाद चुनाव की योजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तक हैदराबाद नगर निगम चुनाव प्रचार में उतर रहे हैं. ऐसे में निगम चुनाव के जरिए बीजेपी यह साबित करना और संदेश देना चाहती है कि तेलंगाना में अब टीआरएस की मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस नहीं, बल्कि बीजेपी है.

ओवैसी बनाम बीजेपी 

हैदराबाद चुनाव प्रचार में बीजेपी रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा उठा रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार हैदराबाद के नगर निगम के नड्डा मल्कज्गिरी क्षेत्र में प्रचार करेंगे. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार और योगी आदित्यनाथ शनिवार को असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ हैदराबाद में प्रचार के लिए उतरेंगे. बीजेपी और औवैसी की पार्टी के नेताओं के बीच लगातार वार-पलटवार चल रहे हैं. ऐसे में बीजेपी शाह और योगी को उतारकर आक्रमक चुनाव प्रचार को धार देकर ओवैसी और केसीआर के गढ़ को भेदना चाहती है. 

Advertisement

बीजेपी यहां ओवैसी के बहाने केसीआर पर निशाना साध रही थी, लेकिन केसीआर ने सभी 150 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर ध्रुवीकरण की राजनीति से बचने का दांव चला है. इसके बावजूद हैदाराबाद निगम चुनाव बीजेपी बनाम ओवैसी के बीच सिमटा हुआ है. हालांकि, ओवैसी सिर्फ पुराने हैदाराबाद के इलाकी की 51 सीटों पर चुनाव लड़े रहे हैं जबकि केसीआर सभी सीटों पर है. ऐसे में बीजेपी को अपनी जीत की उम्मीद नजर आ रही है. 

हैदराबाद नगर निगम का समीकरण 

बता दें कि 2016 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में टीआरएस ने 150 वार्डों में से 99 वार्ड में जीत दर्ज की थी, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 44 जीता था. वहीं, बीजेपी महज तीन नगर निगम वार्ड में जीत दर्ज कर सकी थी और कांग्रेस को महज दो वार्डों में ही जीत मिली थी. इस तरह से ग्रेटर हैदराबाद और पुराने हैदराबाद के निगम पर केसीआर और ओवैसी की पार्टी ने कब्जा जमाया था. 

बीजेपी ने उस समय महज तीन सीटें जीती थी जब पार्टी के सात विधायक थे. 2018 के विधानसभा में बीजेपी ने हैदराबाद में छह सीटें खो दीं महज एक सीट बचा पाई थी. बीजेपी के राजा सिंह ने जीतकर बीजेपी की लाज बचाई थी. हालांकि, एक साल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तेलंगाना की चार सीटें आदिलाबाद, करीमनगर, निज़ामाबाद और सिकंदराबाद में जीत हासिल की. ऐसे में अब उसकी नजर ओवैसी के दुर्ग हैदराबाद इलाके में जीत का परचम फहराने का है. इसीलिए बीजेपी यहां किसी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement