गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस पार्टी में नेताओं के बगावती तेवर देखने को मिल रहे हैं. कई नेता पार्टी छोड़ने का मूड बना चुके हैं. इसी बीच कांग्रेस के दो आदिवासी नेताओं ने अपने बेटों के लिए विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए बिगुल फूंक दिया है. मांग है कि उनके बेटों को टिकिट दिया जाए. इसके पीछे उनका तर्क है कि बेटे युवा हैं. अब चुनाव नही लड़ेंगे तो कब लडेंगे.
बेटों के लिए बगावत को तैयार
माना जा रहा है कि चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर तो होनी है. लेकिन कांग्रेस अपने नेताओं से ही जूझती दिख रही है. कांग्रेस के बड़े नेता अपने बेटों के लिए बगावत करने को भी तैयार हैं. गुजरात से राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री नारायण राठवाने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कह चुके हैं कि उनके बेटे को टिकट मिलनी चाहिए.
अब चुनाव नहीं लड़ूंगा- राठवा
दूसरी ओर कांग्रेस के छोटा उदयपुर के विधायक और पूर्व मंत्री मोहन सिंह राठवा ने भी कह दिया है कि अब वह चुनाव नहीं लड़ेंगे. राठवा 11 बार विधायक रहे हैं. लेकिन कहा है कि उनके बेटे को टिकिट दिया जाए. उधर, गुजरात विधानसभा के विपक्ष के नेता सुखराम राठवा ने कहा है कि गुजरात के सभी 64 के 64 विधायक हैं. उन सभी को टिकट मिलनी चाहिए.
सुखराम राठवा की उम्र हो गई- राठवा
इसके उलट सांसद नारण राठवा ने कहा है कि विपक्ष नेता सुखराम राठवा की उम्र हो चुकी है. उनको अब लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए. गौरतलब है कि छोटा उदयपुर जिले के ये तीन राठवा आदिवासी नेता हैं. गुजरात की राजनीति में कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेता के चेहरे के रूप में जाने जाते हैं.