किसानों से जुड़े दो विधेयक विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच लोकसभा के बाद रविवार को राज्यसभा में भी पारित हो गया है. विपक्षी दलों की कार्यवाही स्थगन की मांग के बाद सदन में जिस तरह दो कृषि विधेयकों को ध्वनि मत से पास किया गया है, उसे लेकर राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ 12 विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है. उच्चसदन के इतिहास में पहली बार है कि जब किसी उपसभापति के खिलाफ इस तरह से विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है. हालांकि, लोकसभा में अभी तक कुल तीन स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है.
कृषि संबंधी विधेयक को लेकर राज्यसभा में रविवार को जोरधार हंगामा हुआ. सदन में विधेयक पर विपक्ष चर्चा के लिए अगले दिन बढ़ाने की मांग कर रहा था, लेकिन सत्तापक्ष हर हाल में इसे पास करना चाहता था. इसे लेकर विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सदन में रूल बुक फाड़ दी. उन्होंने कहा कि सदन में सारे नियम तोड़ दिए गए हैं. राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने रविवार को हंगामा करने वाले विपक्ष के आठ सांसदों को बचे हुए सत्र के लिए निलंबित कर दिया है.
सदन में हंगामा के बाद निलंबित होने वाले सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, रिपुन बोरा, सैय्यद नासिर हुसैन, केके रागेश, ए करीम, राजीव साटव, डोला सेन हैं. राज्यसभा सभापति ने कहा कि उपसभापति हरिवंश सिंह के खिलाफ विपक्षी सांसदों की तरफ से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव नियमों के हिसाब से सही नहीं है. एक तरह से सभापति ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने कहा था, 'उपसभापति हरिवंश को लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन इसके बजाय, उनके रवैये ने आज लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है. इसलिए हमने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है.' सांसद अभिषेक सिंघवी और केटी एस तुलसी ने प्रस्ताव तैयार किया था. उपसभापति के खिलाफ नोटिस देने वाले दलों में कांग्रेस, टीएमसी, सपा, टीआरएस, वामपंथी दल, एनसीपी, आरजेडी, डीएमके, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (मणि) और आम आदमी पार्टी शामिल हैं.
कृषि विधेयक पास होने के बाद कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि बीजेपी सांसदों को उपसभापति के कानों में 'फुसफुसाते हुए' देखा गया और यह जानने की मांग की कि किसके कहने पर उन्होंने लोकतंत्र को ताक पर रखकर 'साजिश' को अंजाम देने का काम किया.
बता दें कि राज्यसभा के नियम के मुताबिक उच्च सदन के उपसभापति एक संवैधानिक पद है. ऐसे में नियुक्ति जिस प्रकार होती है वैसे ही हटाने की भी प्रक्रिया है. ऐसे उपसभापति के पद से हटाने के लिए पहले नोटिस देना पड़ता है, जिसमें उनके हटाने की वजह बतानी पड़ती है. हालांकि, नोटिस कम से कम 14 दिन पहले देना होता है. इसके बाद सदन का सभापति उसे स्वीकार कर लेते हैं तो फिर बहुमत से उस पर फैसला होता है. ऐसे में अगर सदन का बहुमत उपसभापति को हटाने के पक्ष में होता है तो फिर पद से इस्तीफा देना होता है. राज्यसभा में अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.
हालांकि, लोकसभा के तीन स्पीकरों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है. इनमें पहले लोकसभा अध्यक्ष रहे जीवी मावलंकर, सरदार हुकुम सिंह और बलराम जाखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस आए हैं. संविधान के मुताबिक अगर संसद के किसी भी सदन के अंदर सभापति या फिर उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है और स्वीकार कर लिया जाता है तो सदन की अध्यक्षता फिर वो नहीं कर पाते हैं.
लोकसभा के अध्यक्ष रहे जीवी मावलंकर के खिलाफ दिसंबर 1954 को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन लोकसभा द्वारा उसे अस्वीकृत कर दिया गया था. इसके अलावा 1966 में लोकसभा अध्यक्ष रहे हुकुम सिंह जबकि बलराम जाखड़ के खिलाफ 1987 में प्रस्ताव लाए गए थे. संविधान के अनुच्छेद 90 में संसद के सभापति और उपसभापति को हटाने के संबंध में विस्तार से उल्लेख है. राज्यसभा के उपसभापति के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को सभापति ने अस्वीकार कर दिया है.