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हरसिमरत कौर ने एक और बिल पर केंद्र को घेरा, कहा- 13 लाख पंजाबियों को किया नजरअंदाज

बुधवार को राज्यसभा ने जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक, 2020 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. एक दिन पहले लोकसभा ने इस विधेयक पर मुहर लगाई थी. नए विधेयक के तहत उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाएं होंगी.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल को लेकर सवाल उठाए
  • कृषि बिल के विरोध में हरसिमरत कौर ने दिया था इस्तीफा
  • हरसिमरत कौर केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री थीं

शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार पर फिर तीखा हमला बोला है. इस बार उन्होंने जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल को लेकर सरकार की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के 13 लाख पंजाबियों की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए ये बिल संसद में पारित कर दिया गया. इस विधेयक में पंजाबी भाषा को मोदी सरकार ने शामिल नहीं किया.

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बुधवार को राज्यसभा ने जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक, 2020 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. एक दिन पहले लोकसभा ने इस विधेयक पर मुहर लगाई थी. नए विधेयक में उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाएं होंगी. इससे पहले तक सिर्फ उर्दू और अंग्रेजी को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा था.

मंगलवार को बिल पास होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा था कि ये यादगार क्षण जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इस ऐतिहासिक बिल से J&K के लोगों का लंबे समय से प्रतीक्षित सपना सच हो गया है. कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी अब J-K की आधिकारिक भाषाएं होंगी. 

बता दें कि कृषि बिल से नाराज होकर शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था. अपने ट्वीट में उन्होंने कहा था कि मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व है. हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री थीं.

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