केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का किसान मुखर विरोध कर रहे हैं. एक ओर जहां किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक महीने से डटे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर तमाम राज्यों में भी किसान संगठन अपने-अपने हिसाब से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं जबकि सरकार हरसंभव बदलाव को तैयार है पर कानून वापस नहीं लेना चाहती.
पंजाब और हरियाणा में इन कानूनों का बहुत ज्यादा विरोध हो रहा है. इसी क्रम में गुरुवार को हरियाणा के जींद जिले के उचाना में किसानों ने उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के आने से पहले बनाए गए हेलीपैड को फावड़े से खोद डाला था, जबकि दुष्यंत चौटाला ने मीडिया से बातचीत के दौरान किसानों से बातचीत के लिए आगे आने की गुजारिश की.
राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने किसान आंदोलन पर बयान देते हुए कहा कि आज तक कोई भी आंदोलन बिना बातचीत के खत्म नहीं हुआ है. इसलिए किसानों को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए. दुष्यंत ने आगे कहा कि जब तक किसानों को हम एमएसपी दे पाएंगे तब तक कुर्सी पर बैठे हैं, अगर एमएसपी बंद हो जाएगा तो हम कुर्सी भी छोड़ देंगे. बता दें कि दुष्यंत यह बात पहले भी कह चुके हैं कि अगर एमएसपी बंद हुई तो वे सत्ता छोड़ देंगे.
दुष्यंत चौटाला ने आगे कहा कि हम फिलहाल बड़ी स्टेबिलिटी के साथ सरकार चला रहे हैं. जिस दिन प्रदेश पर या किसानों पर आंच आएगी उस दिन इस्तीफा दे दूंगा. मैं मानता हूं कि कृषि कानूनों में कई अमेंडमेंट्स होनी चाहिए. केंद्र सरकार ने भी यूनियन के सुझावों को मानने का काम किया है.
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हरियाणा सरकार की स्थिरता पर बात करते हुए दुष्यंत ने कहा कि उनके ऊपर कोई दवाब नहीं और स्टेबिलिटी के साथ सरकार चला रहे हैं. कुछ लोग कहते थे 100 दिन में सरकार गिर जाएगी लेकिन आज 400 दिन हो गए हैं और आगे भी 5 साल सरकार चलाएंगे.
उन्होंने आगे कहा, "जब प्रदेश के ऊपर कोई आंच आएगी तो दुष्यंत और मेरे 9 विधायकों के ऊपर दबाव होगा. तब बिना किसी दबाव के ही हम राज्यपाल के पास चले जाएंगे. ये सरकार पूरी तरह अपना समय पूरा करेगी."
कांग्रेस नेताओं के कृषि कानूनों के विरोध में हस्ताक्षर पत्र राष्ट्रपति को सौंपे जाने के विरोध में गिरफ्तारी पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जो कांग्रेस के नेता विरोध के लिए जा रहे थे उनसे पूछ लिया जाए कि खरीफ की फसल कौन सी है और रवि की फसल कौन सी है.