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'बीमारी होती है तो हम शरीर को नहीं मार देते', NEET खत्म करने के संकल्प पर चर्चा के दौरान बोले जेपी नड्डा

जेपी नड्डा ने कहा कि पीएम मोदी ने इनिशिएट किया तब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू किया गया. आज नीट के कारण आपको हमारे 154 शहरों में जो परीक्षाएं होती थीं, 500 से ज्यादा शहरों में परीक्षाएं हो रही हैं. एक ही शहर में जो सेंटर होते थे, वह 2546 से यात्रा शुरू की थी. आज 4 हजार से ज्यादा सेंटर हैं. ये नीट के इम्पैक्ट की वजह से हुआ है. सोशल कैटेगरी की दृष्टि से देखें तो इसमें 65 फीसदी इजाफा हुआ.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा (फाइल फोटो)
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा (फाइल फोटो)

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने NEET को समाप्त कर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया राज्यों के क्राइटेरिया से करने को लेकर आए संकल्प पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप किया. उन्होंने कहा कि जब हम नीट की बात करते हैं तब ये एमबीबीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस में एडमिशन को देखता है. ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है जैसे विद्यार्थियों के साथ बहुत अन्याय हो गया है, राज्यों के अधिकार का हनन हुआ हो, किसी क्षेत्र के विद्यार्थियों को अधिक एडमिशन मिल गया हो. हम भूल जाते हैं कि सही में मेडिकल एजुकेशन की स्थिति क्या हुई थी. 

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उन्होंने कहा कि मेडिकल एजुकेशन एक बिजनेस का अड्डा बन गया था. जब नीट ला रहा था, पोस्ट ग्रेजुएट की एक-एक सीट आठ-आठ करोड़ में बिकती थी. रेडियोलॉजी जैसे डिपार्टमेंट में जाना हो तो 12-13 करोड़ लगते थे. ये खुला व्यापार बन गया था. बच्चों का क्या होता था, एक एग्जाम देने भुवनेश्वर, एक एग्जाम देने के लिए चेन्नई, एक एग्जाम देने के लिए मुंबई जाते थे. भयंकर करप्शन. ये दुर्गति थी मेडिकल एजुकेशन के सिस्टम की. एडमिशन लिस्ट आधे से 45 मिनट के लिए लगाई और हटाई जाती थीं और कहा जाता था कि छात्र नहीं आए इसलिए हम इसे अब अपने हिसाब से देखेंगे. 

जेपी नड्डा ने कहा कि पीएम मोदी ने इनिशिएट किया तब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू किया गया. आज नीट के कारण आपको हमारे 154 शहरों में जो परीक्षाएं होती थीं, 500 से ज्यादा शहरों में परीक्षाएं हो रही हैं. एक ही शहर में जो सेंटर होते थे, वह 2546 से यात्रा शुरू की थी. आज 4 हजार से ज्यादा सेंटर हैं. ये नीट के इम्पैक्ट की वजह से हुआ है. सोशल कैटेगरी की दृष्टि से देखें तो इसमें 65 फीसदी इजाफा हुआ. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में 102 फीसदी का इजाफा हुआ है. एसटी में 93.5 फीसदी, एससी 78.8 फीसदी और ओबीसी का 65 परसेंट रिप्रेजेंटेशन बढ़ा है. ओबीसी कैटेगरी को हमारी सरकार के दौरान जोड़ा गया. 

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनटीए में हमलोगों ने पहली बार मलयालम, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में टेस्ट शुरू किया. आज 13 भाषाओं में ये हो रही है. इसका फायदा ये हुआ कि आज सरकारी स्कूल का पढ़ा बच्चा मेडिकल एजुकेशन में आ रहा है. ये पहले एक ही सेक्शन ऑफ सोसाइटी को रिप्रेजेंट करता था. आज दूर-दराज के इलाकों के बच्चे मेडिकल एजुकेशन में इसलिए आ रहे हैं क्योंकि उनकी अपनी भाषा में परीक्षा हो रही है. अधिकतर परफेक्ट स्कोरर बच्चे केरल, यूपी, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र से आते हैं. रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और परफॉर्म, हम मोदीजी के राज में हैं. आज हमारा कोई बच्चा साउथ में दौड़कर के नहीं जा रहा है. 

उन्होंने कहा कि आज हम तय करते हैं कि कौन सा बच्चा कहां पढ़ेगा. शरीर के अंदर कई किस्म की परेशानियां गाहे-बगाहे लगती हैं. कभी हम एंटीबॉयोटिक ले लेते हैं, कभी इंजेक्शन, कभी ऑपरेशन करा लेते हैं. शरीर को नहीं मार देते. ये बहुत बड़ा रोबस्ट सिस्टम है. तरीके से तय किया गया सिस्टम है. हम अपने किए कार्यों को सेकंड ग्रेड का मान लेते हैं. अमेरिका और दूसरे देश कर दें तो पहले ग्रेड का हो जाता है. इतने बड़े देश को सिस्टम से चलाना कोई आसान काम नहीं है. नीट को हम अंडरमाइन ना करें. गांव के लोगों को मेडिकल एजुकेशन में लाने का बड़ा अच्छा माध्यम है. इसकी स्पिरिट को डैमेज ना करें.

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