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राहुल की छवि कितनी बदली? ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का क्या असर? जानें देश का मिजाज

2024 चुनावों से पहले आजतक ने मूड ऑफ द नेशन सर्वे किया है. इस सर्वे में आजतक ने जनता से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर कुछ सवाल किए. सवाल भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े हुए भी थे. आजतक ने जनता से सवाल किया कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की छवि में बदलाव को लेकर सवाल किया.  

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राहुल गांधी (फाइल फोटो)
राहुल गांधी (फाइल फोटो)

2024 चुनावों से पहले आजतक ने मूड ऑफ द नेशन सर्वे किया है. इस सर्वे में आजतक ने जनता से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर कुछ सवाल किए. सवाल भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े हुए भी थे.

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आजतक ने जनता से सवाल किया कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की छवि में कितनी बदलाव आया है? 

राहुल की छवि में क्या बदलाव?

इसके जवाब में 44 फीसदी लोगों ने कहा कि राहुल की छवि में सुधार आया है. तो वहीं 33 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने कहा कि राहुल गांधी की छवि पहले जैसी ही है कोई बदलाव नहीं हुआ है. इसी बीच 13 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने राहुल की छवि को लेकर कहा कि इस यात्रा के बाद वो और ज्यादा खराब हुई है.

विपक्षी नेता के तौर पर राहुल का प्रदर्शन

इसके अलावा जनता से हमने जानना चाहा कि विपक्ष में बैठे हुए राहुल गांधी का काम कैसा रहा है?

इस सवाल के जवाब में 34 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी के काम और भाषणों को बेहतरीन (Outstanding) बताया. वहीं 18 फीसदी लोगों ने राहुल के काम को अच्छा (Good) बताया.

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वहीं 15 फीसदी लोगों ने राहुल को विपक्षी नेता के तौर पर ठीकठाक कहा. इस दौरान 27% लोग ऐसे थे जिन्होंने राहुल गांधी की विपक्षी नेता की भूमिका को बेकार बताया. वहीं 6 फीसदी लोगों ने 'कुछ कह नहीं सकते' का ऑप्शन चुना.  

यह भी पढ़ें- पब्लिक की नजर में क्या हैं मोदी सरकार की सबसे बड़ी खूबियां? कहां खा रही मात?  

संसद सदस्यता जाने को लेकर लोगों की राय

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल की है. SC के इस फैसले के बाद वो फिर से वायनाड के सांसद हो गए हैं. दरअसल सूरत की कोर्ट ने मोदी सरनेम केस में मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले की वजह से राहुल की संसद सदस्यता चली गई.

मूड ऑफ द नेशन में हमने जनता से राहुल की सदस्यता को लेकर भी सवाल किए. इस दौरान 31 फीसदी लोगों ने इस फैसले को सही ठहराया. वहीं 21 फीसदी लोगों ने इस फैसले को गलत कहा. इस बीच 31 फीसदी लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया. वहीं 1 फीसदी लोगों ने 'कुछ कह नहीं सकते' का ऑप्शन चुना.  

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