बिहार चुनाव के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) मुसलमानों की राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन कर उभरी है और इसके अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समुदाय के सबसे बड़े नेता के रूप में सामने आए हैं. ओवैसी का राजनीतिक आधार मुस्लिम वोटों पर ही टिका है, जिसके चलते वो ऐसी ही सीटों पर अपने प्रत्याशी को उतारना पसंद करते हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं.
हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भी असदुद्दीन ओवैसी ने पुराने हैदराबाद के इलाके की सीटों पर AIMIM से 51 प्रत्याशी उतारे हैं, जिनमें से पांच टिकट हिंदुओं को दिए गए हैं. इस तरह से ओवैसी के 10 फीसदी प्रत्याशी हिंदू समुदाय के हैं. हालांकि, AIMIM के हिंदू समुदाय के प्रत्याशी उन सीटों पर है, जहां पर हिंदू-मुस्लिम आबादी लगभग बराबर यानी 50-50 फीसदी है और यहां विधानसभा सीट पर भी AIMIM विधायकों का इस इलाके में कब्जा है.
असदुद्दीन ओवैसी ने पुरानापुल से सुन्नम राज मोहन, फलकनुमा सीट के थारा भाई, कारवां से मंदागिरी स्वामी यादव, जामबाग से जाडला रवींद्र और रंगारेड्डी नगर (कुतुबुल्लापुर) से एतियाला राजेश गौड़ को मैदान में उतारा है. वहीं, ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम 2016 के चुनाव में AIMIM ने चार हिंदू समुदाय के प्रत्याशी को उतारा था, जिनमें दो जीत दर्ज की थी. इनमें कारवां से राजेंद्र यादव जामबाग से मोहन शामिल थे.
बता दें कि कारवां नगर निगम पार्षद सीट पर सभी हिंदू-मुस्लिम समुदाय की आबादी बराबर है. यहां पर बीजेपी से लेकर टीआरएस और कांग्रेस ने हिंदू प्रत्याशी उतारे हैं तो असदुद्दीन ओवैसी ने भी हिंदू उम्मीदवार उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. वहीं, फलकनुमा सीट अनुसूचित जनजाति की महिला के लिए आरक्षित है, जिसके चलते AIMIM को यहां से अनुसूचित जाति की महिला को ही उतारने का विकल्प था. फलकनुमा सीट पर भी मुस्लिम और हिंदू मतदाता बराबर हैं, जिसके चलते यहां भी कांटे की लड़ाई है.
हैदराबाद 2016 चुनाव के नतीजे
2016 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में टीआरएस ने 150 वार्डों में से 99 वार्ड में जीत दर्ज की थी, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 60 सीटों में से 44 पर जीत दर्ज की थी. वहीं, बीजेपी महज तीन नगर निगम वार्ड में जीत दर्ज कर सकी थी और कांग्रेस को महज दो वार्डों में ही जीत मिली थी. इस तरह से ग्रेटर हैदराबाद इलाके में केसीआर और पुराने हैदराबाद में ओवैसी की पार्टी ने कब्जा जमाया था.
बता दें AIMIM का गठन साल 1927 में हुआ था. शुरुआत में ये पार्टी केवल तेलंगाना तक सीमित थी. 1984 से ये पार्टी लगातार हैदराबाद लोकसभा सीट से जीतती आ रही है. तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2014 में पार्टी ने सात सीटें जीतीं और 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीती. तेलंगाना और महाराष्ट्र के बाद पार्टी की बिहार में जीत के बाद हौसले बुलंद हैं.
मुस्लिम मुद्दों पर ओवैसी मुखर रहे
हालांकि, AIMIM को जहां भी जीत मिली है, वो सभी मुस्लिम कैंडिडेट थे और मुस्लिम बहुल सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी है. इस तरह AIMIM ने अपना दर्जा एक छोटी शहरी पार्टी से हटाकर राज्य स्तर की पार्टी के रूप में स्थापित कर लिया और ओवैसी अब उसे नेशनल पार्टी बनाने की दिशा में कोशिशें कर रहे हैं, जिसके लिए उनकी नजर पश्चिम बंगाल पर है, जहां 30 फीसदी के करीब मुस्लिम मतदाता हैं. इसके अलावा ओवैसी की पार्टी के सभी प्रदेश अध्यक्ष मुस्लिम हैं. महाराष्ट्र से लेकर यूपी तक ओवैसी जय मीम-जय भीम का नारा दे चुके हैं, जिसका मतलब साफ है दलित और मुस्लिम.
असदुद्दीन ओवैसी अक्सर संसद में मुसलमान समुदाय से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं. चाहे वो बाबरी मस्जिद पर फैसले का मुद्दा हो, तीन तलाक का मुद्दा रहा हो या 'लव जिहाद का' मुद्दा हो या फिर नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी की बात हो. असदुद्दीन ओवैसी संसद से सड़क तक अपनी आवाज उठाते रहे हैं. वो अक्सर दूसरे नेताओं की तुलना में बेहतर तर्क देते सुनाई देते हैं और अपनी बात को खुलकर कहते हैं.