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AAP को लेकर कांग्रेस नेताओं की चिंता क्या है? CWC में क्यों हुई केजरीवाल की रैलियों की चर्चा

तेलंगाना में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी बात हुई. कांग्रेस के नेताओं ने विपक्षी गठबंधन में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी को लेकर चिंता व्यक्त की. दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी को लेकर कांग्रेस नेताओं की चिंता की वजह क्या है?

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CWC में उठा आम आदमी पार्टी के विपक्षी गठबंधन में शामिल होने का मुद्दा (फाइल फोटोः PTI)
CWC में उठा आम आदमी पार्टी के विपक्षी गठबंधन में शामिल होने का मुद्दा (फाइल फोटोः PTI)

तेलंगाना में चुनाव हैं और चुनावी राज्य में कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई. कांग्रेस नेतृत्व और नेताओं ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के विधानसभा चुनाव, चुनाव की तैयारियों और पार्टी की रणनीति पर मंथन किया. जिन राज्यों में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं, उन राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष ने चुनावी तैयारियों को लेकर प्रजेंटेशन दिया, रणनीति बताई और ये भी कि पार्टी की प्रदेश इकाई अभी धरातल पर किस तरह से और क्या काम कर रही है.

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चुनावी राज्यों की, चुनावी तैयारियों की बात छिड़ी तो बात नए-नवेले इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन तक भी पहुंची. 2024 चुनाव की भी चर्चा हुई और राज्यों के चुनाव में इस गठबंधन के घटक दलों की मौजूदगी को लेकर भी बात हुई. दिल्ली-पंजाब के कांग्रेस नेताओं ने गठबंधन में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी का मुद्दा उठाया. मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद हुई इस पहली सीडब्ल्यूसी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात भी हुई.

कांग्रेस नेताओं की चिंता क्या है?

दिल्ली और पंजाब के साथ ही मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों के नेताओं ने भी आम आदमी पार्टी से गठबंधन की स्थिति में अपनी चिंता नेतृत्व के सामने रखी. आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए 10-10 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर दिया है. पार्टी के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल इन राज्यों में चुनावी रैलियां भी कर रहे हैं, कांग्रेस पर हमले बोल रहे हैं.

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अजय माकन और अलका लांबा ने अरविंद केजरीवाल के मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस को भ्रष्ट बताने को लेकर नाराजगी जताई. दोनों नेताओं ने कहा कि ऐसी स्थिति में कांग्रेस केवल इसलिए चुप नहीं रह सकती कि आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल है. गठबंधन का शुरू से विरोध कर रहे पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सवालिया लहजे में कहा कि आम आदमी पार्टी पर अगर भरोसा किया जा सकता है तो पार्टी उन राज्यों में क्यों प्रचार कर रही है जिन राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है? क्या इससे बीजेपी को मदद नहीं मिलेगी?

इन सबके बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी साफ कहा कि सूबे में आम आदमी पार्टी को एक भी सीट देने का सवाल ही नहीं है. भोपाल में होने वाली इंडिया गठबंधन की पहली साझा रैली रद्द होने के पीछे भी केजरीवाल की ओर से लगातार किए जा रहे हमलों को प्रमुख कारणों में से एक माना जा रहा है. कांग्रेस नेतृत्व को नेताओं ने सीट बंटवारा विधानसभा चुनाव तक टालने का भी सुझाव दिया. नेतृत्व अब नेताओं के सुझाव पर कितना अमल करता है, ये देखने वाली बात होगी. 

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AAP को लेकर चिंता की वजह क्या है?

कांग्रेस नेताओं की चिंता के केंद्र में चुनावी राज्यों में प्रचार, अरविंद केजरीवाल के वार नजर आए. दिल्ली और पंजाब की प्रतिद्वंदिता भी वजह बनकर सामने आई. पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में है तो वहीं कांग्रेस विपक्ष में. नंबर एक और नंबर दो पार्टी के बीच गठबंधन की पेचिदगी वजह है ही, चर्चा ये भी है कि कांग्रेस नेताओं को भविष्य की चिंता सता रही है. 2014 के चुनाव से पहले दिल्ली चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के समर्थन से ही आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी, अरविंद केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. केजरीवाल ने दो महीने से भी कम समय में कांग्रेस का हाथ झटक दिया था. दिल्ली में फिर से चुनाव हुए और आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई और कांग्रेस आज विधानसभा में एक सीट के लिए तरस रही है.

पंजाब में भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को पराजित कर सत्ता पर कब्जा किया तो गुजरात चुनाव में भी कई सीटों पर डेंट किया. आम आदमी पार्टी की मौजूदगी से कांग्रेस को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है. कांग्रेस के नेताओं को यही चिंता सता रही है लेकिन नेतृत्व को भी इन्हीं तथ्यों में भविष्य का सियासी पुनरुत्थान नजर आ रहा है. शायद यही वजह है कि कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश इकाइयों को ये आश्वासन तो दिया है कि उनको भरोसे में लिए बगैर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा. लेकिन ये भी साफ कर दिया है कि 2024 का चुनाव गठबंधन में ही लड़ा जाएगा.

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