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हर सीट पर बस 1 ऑप्शन, दावेदारी और चेहरा... आज इन 10 सवालों का हल तलाशने बैठेगा INDIA गठबंधन?

इंडिया गठबंधन में शामिल घटक दलों के शीर्ष नेताओं की दिल्ली में बैठक होनी है. लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ महीने का ही समय बचा है, ऐसे में इंडिया गठबंधन के सामने नेतृत्व से लेकर सीट शेयरिंग तक, कई सवालों के जवाब तलाशने की चुनौती होगी.

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दिल्ली में जुटे हैं विपक्ष के दिग्गज
दिल्ली में जुटे हैं विपक्ष के दिग्गज

विपक्षी इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव को लेकर एक्टिव मोड में आ गया है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन की ये पहली बैठक है. बैठक के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव से लेकर शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे तक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंच चुके हैं. इंडिया गठबंधन की ये कुल मिलाकर चौथी बैठक है.

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विपक्षी नेताओं की पहली बैठक बिहार की राजधानी पटना में हुई थी. इस बैठक में 2024 का लोकसभा चुनाव साथ लड़ने की सहमति बनी थी. नीतीश कुमार की मेजबानी में हुई पटना मीटिंग के बाद बेंगलुरु में दूसरी बैठक हुई. कांग्रेस की मेजबानी में हुई इस बैठक में गठबंधन के नाम का ऐलान किया गया. तीसरी बैठक मुंबई में हुई जिसमें कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन हुआ था. अब चौथी बैठक आज यानी 19 दिसंबर को दिल्ली में होने जा रही है.

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लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ महीने ही बचे हैं. ऐसे में इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक में क्या होगा? इसे लेकर गठबंधन की ओर से आधिकारिक तौर पर एजेंडा की जानकारी सामने नहीं आई है. पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी की 3-2 से जीत के बाद होने जा रही ये बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है. गठबंधन के चेहरे से लेकर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले और कांग्रेस के रोल तक, इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक में कई सवाल सुलझाने की चुनौती होगी. आइए, नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ सवालों पर जिनके जवाब इंडिया गठबंधन के नेताओं को तलाशने होंगे.

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इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेताओं की ये चौथी बैठक है (फाइल फोटोः पीटीआई)
इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेताओं की ये चौथी बैठक है (फाइल फोटोः पीटीआई)

1- चेहरा कौन?

इंडिया गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती चेहरा चुनने की है. नीतीश कुमार से लेकर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल तक, प्रधानमंत्री पद के लिए अब तक कई नेताओं के नाम दावेदार के रूप में सामने आ चुके हैं. कांग्रेस के नेता भी राहुल गांधी को अपना पीएम फेस बताते रहे हैं. हालांकि, ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन की बैठक से पहले ये कहा है कि प्रधानमंत्री कौन होगा, ये चुनाव के बाद तय किया जाएगा. लेकिन बैठक से पहले जेडीयू ने अपने नेता को पीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर इस बहस को और हवा दे दी है.

2- नीतीश कुमार का रोल क्या होगा?

अलग-अलग पृष्ठभूमि के विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए बिहार के मु्ख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना से दिल्ली और कोलकाता से चेन्नई तक एक कर दिया था. पहली बैठक की मेजबानी भी की. इंडिया गठबंधन की नींव का पहला पत्थर रखने वाले नीतीश कुमार ने पिछले दिनों गठबंधन की बैठकें न होने को लेकर नाराजगी भी जताई थी. नीतीश को गठबंधन का संयोजक बनाने से लेकर पीएम कैंडिडेट घोषित करने तक की मांग उठती रही है. ऐसे में इंडिया गठबंधन के नेताओं को इस सवाल का जवाब भी तलाशना होगा कि नीतीश का रोल इस गठबंधन में क्या होगा?

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

3- नेतृत्व का फॉर्मूला

इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. पहली बैठक में जहां बिहार की महागठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही जेडीयू आगे नजर आई तो वहीं बेंगलुरु में हुई दूसरी बैठक से कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर आ गई. अब गठबंधन किसी दल या नेता के नेतृत्व में आगे बढ़ेगा या सामूहिक नेतृत्व के फॉर्मूले पर, ये देखने वाली बात होगी.

4- कांग्रेस की भूमिका क्या होगी

कर्नाटक चुनाव में जीत ने गठबंधन लीड करने के लिए कांग्रेस की दावेदारी को मजबूती दी थी लेकिन अब कुछ महीने में ही तस्वीर बदल चुकी है. कांग्रेस को तेलंगाना छोड़ दें तो पांच में से चार राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मात मिली है. ये तीनों ही राज्य हिंदी पट्टी के हैं और इनमें से दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी. ताजा चुनाव परिणाम से कांग्रेस की बारगेन पावर कम हुई है. ऐसे में देखना होगा कि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका क्या होगी?  

5- सीट शेयरिंग फॉर्मूला

इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ा सवाल सीट शेयरिंग का है. सपा, जेडीयू, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, टीएमसी जैसे दल एक राज्य की सीमा से बाहर निकल अलग-अलग राज्यों में भी उम्मीदवार उतारते रहे हैं. टीएमसी त्रिपुरा समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में सक्रिय रही है तो इन राज्यों में जेडीयू के भी विधायक रहे हैं. एनसीपी का जनाधार भी झारखंड के साथ ही पूर्वोत्तर और दक्षिण के राज्यों में भी रहा है.

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इंडिया गठबंधन के लिए सीट शेयरिंग बड़ी चुनौती (फाइल फोटो)
इंडिया गठबंधन के लिए सीट शेयरिंग बड़ी चुनौती (फाइल फोटो)

सपा भी मध्य प्रदेश में मौजूदगी दर्ज कराना चाहेगी तो वहीं आम आदमी पार्टी की गुजरात को लेकर महत्वाकांक्षा भी किसी से छिपी नहीं है. दिल्ली और पंजाब की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी अधिक सीटें चाहेगी. ममता बनर्जी जो जहां मजबूत, वो वहां लड़े के फॉर्मूले की बात करती रही हैं. लेकिन क्या इस फॉर्मूले पर कांग्रेस और अन्य दूसरी पार्टियां सहमत होंगी? 

6- एक सीट पर एक उम्मीदवार कैसे

विपक्षी एकजुटता की कवायद की शुरुआत से ही नीतीश कुमार बीजेपी और एनडीए को हराने के लिए एक सीट पर एक उम्मीदवार के फॉर्मूले की बात करते रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि ऐसा संभव कैसे होगा? लेफ्ट पार्टियां साफ कह चुकी हैं कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के साथ समझौता नहीं होगा. पंजाब और दिल्ली के कांग्रेस नेता आम आदमी पार्टी से गठबंधन के खिलाफ हैं. बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं और आरजेडी-जेडीयू के साथ कांग्रेस और लेफ्ट समेत कुल छह दावेदार हैं. ऐसे में कौन कुर्बानी देगा?

7- साझा प्रचार रणनीति

इंडिया गठबंधन की चुनाव प्रचार के लिए साझा रणनीति क्या होगी और ये कैसे संभव होगा, ये भी इस बैठक का एक महत्वपूर्ण बिंदु होगा. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मुंबई में हुई तीसरी बैठक में साझा रैलियों पर सहमति बनी थी. कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक के बाद अक्टूबर के पहले हफ्ते में चुनावी राज्य मध्य प्रदेश के भोपाल में पहली रैली के आयोजन का ऐलान भी हो गया लेकिन मध्य  प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष कमलनाथ ने रैली रद्द होने का ऐलान कर दिया. ऊपर लिए गए फैसलों को जमीन पर कैसे उतारा जाए, इंडिया गठबंधन के घटक दलों के सामने इस सवाल का जवाब तलाशने की चुनौती भी होगी.

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8- साझा चुनाव रणनीति

साझा चुनाव रणनीति तय करने से लेकर उसके कार्यान्वयन तक, इंडिया गठबंधन के सामने कई चुनौतियां हैं. साझा रणनीति तय कैसे होगी, कैसे उसे जमीन पर उतारा जाएगा ये सवाल भी बड़ा है.

हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में हार के बाद बैकफुट पर है कांग्रेस (फाइल फोटोः पीटीआई)
हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में हार के बाद बैकफुट पर है कांग्रेस (फाइल फोटोः पीटीआई)

9- बयानबाजियां कैसे रोकी जाएं

इंडिया गठबंधन के घटक दल अपने नेताओं की बयानबाजियां कैसे रोकें, ये भी बड़ा सवाल होगा. डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के सनातन वाले बयान को आधार बनाकर बीजेपी ने इंडिया गठबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. बीजेपी हर चुनावी राज्य में उदयनिधि के बयान को आधार बनाकर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों को सनातन विरोधी बताती रही है. इससे भी कांग्रेस को चुनावी राज्यों में नुकसान उठाना पड़ा. लोकसभा चुनाव में इस तरह के बयान बीजेपी को अपर हैंड दे सकते हैं.

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10- आपसी तल्खी कैसे दूर हो

पटना बैठक के बाद लालू यादव ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी से बचने की सलाह दी थी. इसके बाद अधीर रंजन चौधरी जिस तरह ममता बनर्जी और टीएमसी के खिलाफ मोर्चा खोले रहे, जिस तरह से मध्य प्रदेश चुनाव के दौरान अखिलेश यादव और कांग्रेस नेताओं के बीच तल्ख बयानबाजी नजर आई, उसे देखते हुए इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच की तल्खी दूर करना बड़ी चुनौती माना जा रहा है. अरविंद केजरीवाल भी कांग्रेस पर हमलावर नजर आए हैं. देखना होगा कि इंडिया गठबंधन के नेता किस तरह से तल्खी दूर कर पाते हैं.

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