scorecardresearch
 

दिल्ली में 3 सीट का फॉर्मूला मानेगी कांग्रेस? केजरीवाल पर पवार के दावे से उठा सवाल

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस को तीन सीटें देने के लिए तैयार है. अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस दिल्ली में तीन सीट का ऑफर मानेगी?

Advertisement
X
राहुल गांधी, शरद पवार और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
राहुल गांधी, शरद पवार और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन के अस्तित्व में आने के तुरंत बाद से ही इसमें आम आदमी पार्टी की मौजूदगी को लेकर सवाल उठते रहे हैं. कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब स्टेट यूनिट्स इसके खिलाफ खुलकर उतर आई थीं तो सीट बंटवारा कैसे होगा? ये भी गठबंधन की शुरुआत से लेकर अब तक अनसुलझी पहेली बना हुआ है.

Advertisement

सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर जारी चर्चा के बीच अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच से इस पर बयान दिया है. शरद पवार ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस को तीन सीटें देने के लिए तैयार हैं. इस बयान के दो दिन बाद ही शरद पवार दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मिलने पहुंचे. हालांकि, इस मुलाकात का एजेंडा क्या है? इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन माना जा रहा है कि दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं की इस बैठक में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर बात हो सकती है.

पवार के बयान को लेकर कांग्रेस की ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया है. सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस दिल्ली में तीन सीट के फॉर्मूले पर मानेगी? सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन जबरदस्त रहा हो, लोकसभा चुनाव में पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई है. कम से कम आंकड़े तो यही कहानी कहते हैं. विधानसभा चुनाव के उलट लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पोजिशन और वोट शेयर, दोनों ही आम आदमी पार्टी की तुलना में बेहतर रहे हैं.

Advertisement
शरद पवार ने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से की मुलाकात
शरद पवार ने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से की मुलाकात

साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस 22.6 फीसदी वोट शेयर के साथ बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 18.2 फीसदी रहा था. दिल्ली की सात में से पांच सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे जबकि आम आदमी पार्टी दो सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. वोटों के लिहाज से देखें तो कांग्रेस को तब 19 लाख 53 हजार 900 वोट मिले थे. आम आदमी पार्टी को दिल्ली में कुल 15 लाख 71 हजार 687 वोट मिले थे.

ये भी पढ़ें- 'दिल्ली की 7 में से 3 सीट कांग्रेस को देने के लिए तैयार हैं केजरीवाल', India Today Conclave में बोले शरद पवार 

कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ दिल्ली के नेताओं की बैठक के बाद कहा था कि पार्टी सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस की ओर से अलका लांबा के इस बयान को लेकर बाद में सफाई भी आई लेकिन चर्चा ये भी रही कि दिल्ली कांग्रेस के नेता सभी सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में उतरने के पक्ष में हैं. इसके पीछे दिल्ली में आम आदमी पार्टी से प्रतिद्वंदिता और गठबंधन कर केजरीवाल की सरकार बनवाने के बाद के खट्टे अनुभव ही नहीं,  2014 की तुलना में 2019 के चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन का चढ़ा ग्राफ भी है.

Advertisement
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शरद पवार
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शरद पवार

दरअसल, 2014 के चुनाव में कांग्रेस को 12 लाख 53 हजार  78 वोट, 15.2 फीसदी वोट शेयर के साथ सभी सातो सीटों पर तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था. तब आम आदमी पार्टी को 33.1 फीसदी वोट मिले थे. 27 लाख 22 हजार 887 मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान किया था. सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे. आंकड़े यही बताते हैं कि 2019 के चुनाव में 2014 के मुकाबले कांग्रेस का वोट शेयर करीब-करीब डेढ़ गुना हो गया. ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि वह दिल्ली की सभी सीटों पर अकेले लड़कर भी जीतने की स्थिति में आ सकती है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में राहुल गांधी से मिले शरद पवार, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के आवास पर हुई बैठक

दूसरी तरफ, कांग्रेस ये भी जानती है कि लोकसभा चुनाव के आंकड़ों में भारी रहने के बावजूद अगर केंद्र शासित प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के आधार पर आम आदमी पार्टी को दिल्ली में अधिक सीटें देने के लिए तैयार हो जाती है तो पंजाब में भी मुश्किल होगी. फिर आम आदमी पार्टी पंजाब में भी यही फॉर्मूला लागू करने की मांग करेगी जहां उसकी ही सरकार है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस को पंजाब की 13 में से आठ सीटों पर जीत मिली थी. आम आदमी पार्टी तब एक सीट पर सिमट गई थी.

Advertisement

कांग्रेस अगर दिल्ली में कम सीटों पर मान भी जाए तो आम आदमी पार्टी पंजाब में कम सीटों पर मान जाए, इसके आसार नहीं के बराबर हैं. इंडिया गठबंधन की ओर से सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर अभी आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है. ऐसे में देखना होगा कि दिल्ली का पेच किस फॉर्मूले से सुलझता है. अगर पवार की बात के मुताबिक आम आदमी पार्टी कांग्रेस को तीन ही सीट देती है तो क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी सबसे नई पार्टी के इस फॉर्मूले को मान लेगी?

Live TV

Advertisement
Advertisement