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'INDIA' गठबंधन की 28 में से 7 पार्टियां कांग्रेस से टूटकर बनीं, 7 दल कभी न कभी NDA में शामिल रहे

विपक्षी गठबंधन की पहली बैठक जून में पटना में हुई थी. जबकि दूसरी बैठक बेंगलुरु में जुलाई में हुई थी. पहली बैठक में जहां 15 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे वहीं दूसरी बैठक तक ये संख्या 26 तक पहुंच गई. अब मुंबई बैठक में 28 पार्टियों के नेता शामिल होने जा रहे हैं.

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आज मुंबई में INDIA गठबंधन की तीसरी बैठक
आज मुंबई में INDIA गठबंधन की तीसरी बैठक

2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लक्ष्य के साथ 28 दलों के नेता आज से मुंबई में जुट रहे हैं. 2 दिन तक चलने वाला ये जमावड़ा काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें विपक्षी गठबंधन का संयोजक चुना जाना है. बेंगलुरु की बैठक में विपक्षी गठबंधन को 'INDIA' नाम दिया गया था. गठबंधन की खास बात ये है कि इसमें शामिल 28 पार्टियों में 7 कांग्रेस से टूटकर ही बनी हैं. इसके अलावा 7 दल ऐसे हैं, जो कभी न कभी एनडीए में रहे या बीजेपी के साथ सरकार में शामिल रहे. 

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गठबंधन में कौन कौन सी 28 पार्टियां शामिल?

जुलाई में बेंगलुरु में विपक्षी गठबंधन की बैठक हुई थी. इस बैठक में 26 दल शामिल हुए थे. गठबंधन को 'INDIA' नाम दिया गया था. अब तीसरी बैठक में पीजेंट्स एंड वर्कर पार्टी ऑफ इंडिया के साथ एक और क्षेत्रीय पार्टी भी शामिल होने जा रही है. अब 'INDIA' गठबंधन में कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीआई, सीपीआईएम, जदयू, डीएमके, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, आरएलडी, सीपीआई (ML), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (M), मनीथानेया मक्कल काची (MMK), एमडीएमके, वीसीके, आरएसपी, केरला कांग्रेस, केएमडीके, एआईएफबी, अपना दल कमेरावादी और पीजेंट्स एंड वर्कर पार्टी ऑफ इंडिया शामिल हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र का एक क्षेत्रीय दल और शामिल होगा. 

गठबंधन में शामिल ये पार्टियां कांग्रेस से टूटकर बनीं

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भले ही बीजेपी के खिलाफ 28 दल एक साथ आ गए हैं. लेकिन खास बात ये है कि इस गठबंधन में शामिल 7 पार्टियां कांग्रेस से टूटकर ही बनी हैं. 

केरल कांग्रेस और केरल कांग्रेस (M): के.एम. जॉर्ज और आर. बालकृष्ण पिल्लई के नेतृत्व में केरल कांग्रेस का गठन 1964 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर किया गया था. 1979 में केरल कांग्रेस में फूट के बाद  केरल कांग्रेस (M) का गठन हुआ.
टीएमसी: ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1 जनवरी 1998 को टीएमसी का गठन किया था. 
एनसीपी: एनसीपी का गठन 10 जून 1999 को शरद पवार, पी. ए. संगमा और तारिक अनवर ने किया था. तीनों को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था. इन नेताओं ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया था. 
पीडीपी: पीडीपी की स्थापना 1999 में पूर्व केंद्रीयमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने की थी. मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कांग्रेस से निकलकर अपनी बेटी महबूबा मुफ्ती के साथ पार्टी का गठन किया था. वे राजीव गांधी सरकार में मंत्री भी रहे. 
रालोद- चौधरी अजीत सिंह कांग्रेस में थे. उन्होंने पार्टी और सांसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने भारतीय किसान कामगार पार्टी की स्थापना की और 1997 के उपचुनाव में बागपत से लोकसभा चुनाव जीते. 1999 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल नाम से पार्टी बनाई.
एआईएफबी- 1939 में कांग्रेस से अलग होकर सुभाष चंद्र बोस ने अलग होकर इस पार्टी की स्थापना की थी.

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ये पार्टियां बीजेपी या NDA में रह चुकी शामिल

शिवसेना  (उद्धव गुट)- बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट) भी शामिल है. शिवसेना (अविभाजित) लंबे समय तक बीजेपी की सहयोगी रही है. 2019 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सीएम चेहरे को लेकर बीजेपी और शिवसेना की राहें अलग हो गई थीं. इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई थी. लेकिन शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 40 विधायकों ने बगावत कर दी. इसके बाद सरकार गिर गई. शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई और राज्य के सीएम बन गए. इसी के साथ शिवसेना दो गुट शिवसेना (शिंदे गुट) और उद्धव गुट में बंट गई. शिंदे गुट एनडीए सरकार में शामिल हैं और उद्धव गुट विपक्ष में कांग्रेस और एनसीपी के साथ. 

एनसीपी- गठन के बाद से ज्यादातर समय एनसीपी यूपीए में शामिल रही है. हालांकि, अक्टूबर 2014 विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. तब एनसीपी ने बीजेपी को समर्थन देने के लिए तैयार होने की बात कही थी. हालांकि, बीजेपी और शिवसेना साथ आ गए थे और इसकी नौबत नहीं आई थी. 2019  के विधानसभा चुनाव के बाद एनसीपी ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना लिया था. हालांकि, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की ये सरकार तीन दिन ही चल सकी थी. 

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पीडीपी- 2014 में जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. पीडीपी ने बीजेपी के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई थी. मुफ्ती मुहम्मद सईद राज्य के सीएम बने थे. उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती राज्य की सीएम बनी थीं. हालांकि, बाद में बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया और महबूबा की सरकार गिर गई थी. 

जदयू- नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई है. हालांकि, इससे पहले नीतीश कुमार ने बिहार में बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी. नीतीश कुमार खुद भी केंद्र की एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं. 2013 में नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी को पीएम चेहरा बनाए जाने से नाराज होकर गठबंधन से बाहर आ गए थे. हालांकि, 2017 में वे फिर से एनडीए में आ गए. इसके बाद 2022 में उन्होंने एनडीए से नाता तोड़ लिया और विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों में जुट गए. 

टीएमसी- ममता बनर्जी को पीएम मोदी का मुखर विरोधी माना जाता है. लेकिन खास बात ये है कि ममता कभी एनडीए में रही हैं. वे 1999 में एनडीए सरकार में रेल मंत्री रही हैं. 2001 में वो कांग्रेस के साथ आ गई थीं. हालांकि, 2003 में वे एनडीए में शामिल हो गईं और कोयला मंत्री बनीं. 2004 में भी ममता एनडीए में रहकर चुनाव लड़ीं. बाद में टीएमसी यूपीए में शामिल हो गई थीं.

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रालोद- अजित सिंह ने 1999 में रालोद का गठन किया था. वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे. 2011 में वे यूपीए सरकार में शामिल हुए और केंद्रीय मंत्री भी बने. 

केएमडीके : इसके अलावा तमिलनाडु की केएमडीके पार्टी भी एनडीए में शामिल रही है.

 

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