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India Today Conclave 2021 South: ‘मोदी सरकार ने नहीं, नेहरू ने सबसे पहले लगाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम’: जे. नन्दकुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेता जे. नन्दकुमार ने मौजूदा सरकार पर लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित करने के आरोपों का जवाब दिया. India Today Conclave 2021 South में नन्दकुमार ने कहा कि लोगों के इस अधिकार पर सबसे पहले लगाम लगाने का काम जवाहर लाल नेहरू ने किया.

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RSS नेता जे. नन्दकुमार (Photo: India Today)
RSS नेता जे. नन्दकुमार (Photo: India Today)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिक्षा के क्षेत्र में अभी पूरी तरह काम नहीं हुआ
  • केरल में राजनीतिक हिंसा का इतिहास 1942 से जारी
  • चुनाव परिणामों से टूटेगा केरल में राजनीतिक हिंसा का चक्र

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेता जे. नन्दकुमार ने मौजूदा सरकार पर लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित करने के आरोपों का जवाब दिया. India Today Conclave 2021 South में नन्दकुमार ने कहा कि लोगों के इस अधिकार पर सबसे पहले लगाम लगाने का काम जवाहर लाल नेहरू ने किया.

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अधिनायकवादी सरकार की बात तथ्यों से परे
प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय समन्वयक जे. नन्दकुमार India Today Conclave 2021 South में ‘बिल्डिंग वन इंडिया’ सत्र में शामिल हुए. मौजूदा समय में देश के अधिनायकवाद की ओर मुड़ जाने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि ये बात तथ्यों से परे है. यह कुछ तत्वों द्वारा बनाया गया माहौल भर है.

नेहरू ने लगाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े सवाल पर नन्दकुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर तीखा हमला किया. उन्होंने नेहरू के देश का तथाकथित सबसे अधिक लिबरल इंसान होने का तंज कसा और कहा कि उन्होंने ही लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम लगाई. देश के संविधान में सबसे पहला संशोधन इसी अधिकार को सीमित करने के लिए किया गया. हम (मोदी सरकार) ऐसा कोई संशोधन नहीं लाए.

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शिक्षा के क्षेत्र में अभी पूरी तरह काम नहीं हुआ
RSS के नए भारत के लक्ष्यों को पूरा होने से जुड़े एक सवाल पर नन्दकुमार ने कहा कि मैं शिक्षा के बारे में कहूंगा, इस दिशा में काम हुआ लेकिन मैं इससे उस हद तक संतुष्ट नहीं हूं कि सब कुछ हो गया है. अभी सिर्फ शिक्षा नीति बनी है, उसकी रुपरेखा तैयार की गई लेकिन अभी इसमें बहुत काम होना बाकी है, बहुत सारा नया कंटेंट बनना बाकी है. लेकिन मैं इसे लेकर निराश नहीं हूं क्योंकि सरकार की नीयत ठीक है.

केरल में राजनीतिक हिंसा का इतिहास पुराना
केरल में राजनीतिक हिंसा से जुड़े सवाल पर जे. नन्दकुमार ने कहा कि इसका इतिहास पुराना है. केरल में RSS ने 1942 में काम करना शुरू किया. यह RSS के बहुत शुरुआती दिनों की बात है. उस समय एक कार्यक्रम हुआ जिसमें सर संघचालक गुरुजी भी केरल पहुंचे और उस कार्यक्रम में मात्र 200 से 300 लोग शामिल हुए लेकिन तब उन स्वयंसेवकों पर कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकताओं ने हमला किया.

लोकतांत्रिक तरीके से टूटेगा राजनीतिक हिंसा का चक्र
केरल में राजनीतिक हिंसा के चक्र को तोड़ने के उपाय से जुड़े एक प्रश्न पर नन्दकुमार ने कहा कि इसके दो तरीके हैं. एक है लोकतांत्रिक तरीके से बदलाव (चुनाव) का तरीका और दूसरा है आपकी संवाद का तरीका. RSS इस तरह के संवाद की कई कोशिशें लगातार करता रहा है. लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा ऐसी नहीं है. वह वर्ग संघर्ष में विश्वास रखने वाली पार्टी है.

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