India Today Conclave 2023: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 20वें एडिशन में कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे और ऐसा 70 के दशक के बाद पहली बार होगा.
क्या मोदी युग अब नेहरू-इंदिरा से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि सभी ने अपने-अपने समय में अच्छा काम करने का प्रयास किया है. अपनी-अपनी समझ के हिसाब से अपनी-अपनी शक्तियों के हिसाब से अच्छा काम किया है, क्योंकि हर समय में अलग-अलग चुनौतियां होती हैं. हर व्यक्ति में हर तरह की क्षमताएं होती हैं. हर व्यक्ति का अलग प्रकार का विजन होता है.
वैश्विक समस्या पर भारत के दृष्टिकोण को दिया जाता है महत्व
अमित शाह बोले कि आज विश्व में कोई भी समस्या हो, पूरे विश्व के नेता यह राह देखते हैं कि नरेंद्र मोदी इस समस्या के बारे में क्या बोलते हैं. इसका बहुत बड़ा महत्व है. 2014 से 2023 तक ये बड़ा परिवर्तन आया है. विश्व की हर समस्या के समाधान के लिए भारत के दृष्टिकोण, भारत के पीएम के दृष्टिकोण को महत्व दिया जाता है. गृहमंत्री ने कहा कि मेरी पार्टी का विजन बहुत स्पष्ट है. हम सबको लक्ष्य रखना चाहिए कि जब देश की आजादी की शताब्दी हो, तब हर क्षेत्र के अंदर भारत दुनिया में सर्वप्रथम हो. यही नीति हम लेकर चल रहे हैं. इसी के लिए हम हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं.
गृह मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब से पीएम बने तब से उनका एक ही एजेंडा है कि इस देश के संसाधन में सभी का अधिकार है. हर एक के जीवन स्तर को ऊपर लाना है. उन्हाेंने कहा कि देश में करीब 60 करोड़ लोगों के पास बैंक खाता नहीं था. लगभग 10 करोड़ लोग बिना शौचालय के रह रहे थे और करीब 3 करोड़ घरों में बिजली नहीं थी. बीजेपी की सरकार बनने के बाद 9 साल में हर परिवार के पास बैंक खाता है और हर घर में बिजली और शौचालय है.
अमित शाह ने कहा कि कोविड से निपटने के लिए भारत की क्षमता पर संदेह करने वाले दुनिया के पंडितों को नरेंद्र मोदी ने गलत साबित कर दिया. भारत ने टीकाकरण और टेक्नोलॉजी के माध्यम से कोविड को अच्छी तरह से संभाला.
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पीएम की वजह से श्रीनगर में तिरंगा फहरा सके राहुल
अमित शाह ने कहा कि करीब चार दशक से कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और वामपंथी उग्रवाद, ये ऐसे हॉटस्पॉट थे, जो नासूर बनकर देश की आंतरिक सुरक्षा को परेशान कर रहे थे. इसका कोई समाधान नहीं दिखता था, लेकिन पिछले 9 साल में मोदी जी की नीतियों के कारण आज कश्मीर में इंवेस्टमेंट आ रहा है और पर्यटन बढ़ रहा है. एक साल में 1.80 करोड़ लोग कश्मीर घूमने गए हैं. वहां हिंसा की घटनाओं में 70% की कमी आई है. पत्थरबाजी पूरी तरह बंद हो गई है. आतंक फैलाने के लिए स्थानीय युवाओं की भर्ती लगभग बंद हो गई है.
शाह ने कहा कि जिस लाल चौक में तिरंगा फहराने के लिए मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी को सेना से घिर कर जाना पड़ा था और हेलिकॉप्टर से उन्हें वहां पहुंचाना पड़ा था. यूपीए के शासन में यह संभव नहीं था लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोदी जी की वजह से बिना किसी सुरक्षा के श्रीनगर में राष्ट्रीय ध्वज को फहरा सके.
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वामपंथी उग्रवाद से आजाद हो गया देश
अमित शाह ने कहा कि झारखंड और बिहार वामपंथी उग्रवाद से आज पूरी तरह से मुक्त हो चुके हैं. मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश आज लगभग-लगभग मुक्त हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ के चार जिलों में उग्रवाद बचा है, वहां जल्द ही हालात काबू में आ जाएंगे. इसके अलावा वामपंथी उग्रवाद वाले क्षेत्रों में करीब 65 फीसदी से ज्यादा हर प्रकार के आंकड़ों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि लोग सोचते थे कि राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और तीन तलाक जैसी समस्या का कोई समाधान नहीं है लेकिन हमारी सरकार ने कर दिखाया.
अमित शाह से जब पूछा गया कि आप कहते हैं कि राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए और विपक्ष का कहना है कि अडानी पर जेपीसी बननी चाहिए? तो संसद चलेगी या नहीं? इस पर अमित शाह ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में पार्लियामेंट को अकेला सत्ता पक्ष या विपक्ष नहीं चला सकता है. दोनों में संवाद होना चाहिए. इस बार जो विवाद हुआ, मैं उसे बारीकी से देख रहा हूं. हमारी कोशिशों के बाद भी उस ओर से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आ रहा है. हम बात किससे करें? बात मीडिया में करें?
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संसद में फ्री स्टाइल में नहीं बोल सकते राहुल
संसद में चल रहे गतिरोध पर गृह मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी संसद में फ्री स्टाइल में नहीं बोल सकते. उन्होंने कहा कि वे स्लोगन लेकर आए हैं कि पार्लियामेंट में फ्रीडम ऑफ स्पीच हो, लेकिन पार्लियामेंट में फ्रीडम ऑफ स्पीच है. आपको कोई नहीं रोक सकता, लेकिन पार्लियामेंट में फ्री स्टाइल में नहीं बोल सकते हैं. वहां नियमों के हिसाब से बोलना पड़ता है, रूल्स को समझना पड़ता है. रूल्स को पढ़ना पड़ता है, बाद में रूल्स के हिसाब से पार्लियामेंट में डिबेट होती है. जैसे रोड पर बोलते हैं वैसे पार्लियामेंट में नहीं बोल सकते हैं. इतने बेसिक कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं है तो इसमें हम क्या कर सकते हैं.
...उनकी दादी के पिता के समय से बने थे नियम
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अमित शाह ने नेहरू और इंदिरा की याद दिलाते हुए कहा कि संसद चलाने के लिए नियम बनाए हुए हैं और इसे हमने नहीं बनाया है. राहुल गांधी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी दादी के पिता जी के समय से ये नियम बने हुए हैं. वो भी इसी नियमों के तहत चर्चा करते थे. हम भी इसी नियम के तहत चर्चा कर रहे हैं. न नियम समझना और न ही कुछ करना और फिर कहते हैं कि बोलने नहीं देते. ऐसा नहीं होता है, कभी भी कोई भी खड़ा होकर नहीं बोल सकता है.
स्पीकर से राहुल गांधी को बात करनी चाहिए
अमित शाह ने कहा कि वे मानते हैं कि संसद चलनी चाहिए. स्पीकर साहब के चैंबर में जाकर उन्हें बात करनी चाहिए. दोनों ओर से चर्चा कर इसका रास्ता निकालकर इसपर बहस करनी चाहिए. अमित शाह ने कहा कि जहां तक उन्हें पता है स्पीकर साहब ने राहुल गांधी से कहा है कि आप कभी भी बोल सकते हैं, लेकिन इससे पहले उन्हें ये तय करके आना चाहिए कि उनकी पार्टी संसद को चलने देना चाहती है या नहीं.