किसान आंदोलन में रिटायर्ड सैनिकों को यूनिफॉर्म और मेडल के साथ देखकर आर्मी ने चिंता जताई है. सेना ने केंद्रीय सैनिक बोर्ड को चिट्ठी लिखकर सेना से जुड़े नियमों की याद दिलाई है और कहा है कि आर्मी यूनिफॉर्म को पहनने और मेडल लगाने से जुड़े नियमों का पालन किया जाना जरूरी है.
सूत्रों ने कहा कि सेना की वर्दी या मेडल को पब्लिक मीटिंग में शामिल होने या फिर विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनने के दौरान पहना नहीं जा सकता है. हालांकि अधिकारियों ने कहा कि रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों के प्रदर्शन में शामिल होने पर कोई रोक नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक सैन्य मेडल को सामान्य पोशाक पर रिटायर्ड सैन्य कर्मियों के द्वारा गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, सर्विस दिवस, विजय दिवस और दूसरे आधिकारिक कार्यक्रमों के दौरान पहना जा सकता है.
बता दें कि किसानों के साथ कुछ प्रदर्शनकारी सेना के गणवेश में दिखे थे, इसके बाद सेना ने ये एडवाइजरी जारी की है और रिटायर्ड सैनिकों से इस आदेश को पालन करने को कहा है.
सेना ने कहा है कि सेना की वर्दी को पहनने को लेकर सेवानिवृत सैन्यकर्मियों में जागरुकता लाना जरूरी है.
वहीं सिख और पंजाब रेजिमेंट के मौजूदा जवानों को सेना ने कहा है कि वे मौजूदा नियमों के मुताबिक किसी भी प्रदर्शन का हिस्सा न बनें.
बता दें कि कई ऐसे मामले देखने में सामने आए थे जब कुछ सैन्यकर्मी जो छुट्टी पर थे वे धरना प्रदर्शन में शामिल हुए और इसका वीडियो भी बनाया. इस बाबत एक सैन्य अधिकारी ने कहा, "यूनिट स्तर पर सैनिकों इस बाबत ताकीद कर दिया गया है, जिन जवानों को इसकी जानकारी नहीं भी है वो ऐसे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं हो सकते हैं.
बता दें कि इससे पहले एक सैन्यकर्मी का वीडियो धरनास्थल पर वायरल हो गया था, ये जवान वर्दी में था, बाद में जांच के दौरान पता चला कि ये जवान सेना से सेवानिवृत्त हो चुका था.
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर पर 55 दिन से किसानों का धरना चल रहा है. चूंकि ज्यादातर प्रदर्शनकारी पंजाब से हैं, इसलिए एक चिंता है कि सिख बहुत पंजाब रेजिमेंट के जवानों को इस प्रदर्शन में खींचा जा सकता है.