भारतीय रेलवे ने मैसूर-बेंगलुरु टीपू एक्सप्रेस का नाम बदल दिया है. इस ट्रेन को अब वोडेयार एक्सप्रेस के नाम से जाना जाएगा. इसके नाम बदलने पर भी राजनीति शुरू हो गई है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वो कभी भी टीपू की विरासत को मिटा नहीं पाएगी. बीजेपी ने भी इस पर ओवैसी को जवाब दिया है.
ओवैसी ने टीपू एक्सप्रेस का नाम बदलकर वोडेयार एक्सप्रेस करने पर कहा कि टीपू ने बीजेपी को चिढ़ाया इसलिए उसने टीपू का नाम हटा दिया. ओवैसी ने निशाना साधते हुए कहा कि टीपू ने ब्रिटिश आकाओं के खिलाफ 3 युद्ध छेड़े थे. टीपू ने जिंदा रहते हुए ब्रिटिशों को डराया और अब भी डरा रहा है. इसलिए बीजेपी चिढ़ गई थी और उसने नाम बदल दिया. हालांकि वो कभी भी टीपू की विरासत को मिटा नहीं पाएगी. AIMIM नेता ने कहा कि वो एक और ट्रेन का नाम वोडेयार के नाम पर रख सकती थी.
बीजेपी ने ओवैसी को दिया जवाब
वहीं इसको लेकर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि बीजेपी टीपू की विरासत को मिटाना नहीं चाहती. इसके विपरीत हम चाहते हैं कि उनकी असली विरासत लोगों को पता चले. टीपू एक बर्बर था, जिसने कुर्ग में कोडवाओं, मैंगलोर में सीरियाई ईसाइयों, कैथोलिकों, कोंकणी, मालाबार के नायरों पर अनकही पीड़ाएं दीं. इसके अलावा मंडियन आयंगर, जिन्हें दिवाली पर सैकड़ों की संख्या में फांसी दी गई थी, जिसके कारण उनके वंशज आज तक त्योहार नहीं मनाते हैं. उसने असंख्य मंदिरों और चर्चों को तोड़ा, लोगों को जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन कराया. उनकी तलवार पर काफिरों के खिलाफ जिहाद शुरू करने का शिलालेख था.
टीपू कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं था. वह फ्रांसीसियों की मदद ले रहा था, जो अंग्रेजों से कम औपनिवेशिक नहीं थे. अगर टीपू जीत जाते तो मैसूर पांडिचेरी की तरह एक फ्रांसीसी उपनिवेश बन जाता. उसने अफगानिस्तान से जमान शाह को भारत पर आक्रमण करने और एक इस्लामी खिलाफत स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया. इसके अलावा नेपोलियन को भारत पर आक्रमण करने के लिए लिखा और अंग्रेजों के खिलाफ फ्रांस की जीत सुनिश्चित की. क्या ये स्वतंत्रता सेनानी के लक्षण हैं? और एक ऐसे व्यक्ति का ट्वीट, जिसके राजनीतिक पूर्वज रजाकार थे, जिन्होंने हैदराबाद में जातीय रूप से हिंदुओं का सफाया किया और उनका नरसंहार किया, काफी समृद्ध है!
बीजेपी ने नफरत फैलाने के लिए ऐसा किया: सिद्धारमैया
इससे पहले कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने भी नाम बदलने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि बीजेपी का एक ही काम है नफरत बोना, उनका एक ही काम है नफरत की राजनीति करना. वे वोडेयार के नाम से एक नई ट्रेन शुरू कर सकते थे, उन्हें टीपू का नाम हटाकर वोडेयार का नाम क्यों लेना पड़ा? आपको वोडेयार का सम्मान करना होगा, उसके लिए उन्हें अपने नाम पर एक नई ट्रेन शुरू करनी चाहिए थी. बीजेपी नफरत फैलाने के लिए ऐसा कर रही है.