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'यह न्याय व्यवस्था का भारतीयकरण...', गृह मंत्री अमित शाह ने समझाया तीन नए कानूनों की जरूरत क्यों पड़ी

देश के गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस कर तीन नए कानूनों के बारे में समझाया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह न्याय व्यवस्था का भारतीयकरण है. गृहमंत्री ने आगे कहा कि इसमें महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी गई है.

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गृह मंत्री अमित शाह (फोटो-एजेंसी)
गृह मंत्री अमित शाह (फोटो-एजेंसी)

देशभर में सोमवार (1 जुलाई) से लागू किए गए नए कानून को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस की और समझाया कि आखिर नए कानूनों की जरूरत क्यों पड़ी. उन्होंने कहा कि यह न्याय व्यवस्था का भारतीयकरण है. 

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केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा,'तीनों नए कानून मध्य रात्रि से काम कर रहे हैं. इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) आ चुकी है. सबसे पहले हमने इसमें संविधान की आत्म के तहत दफाओं और चैप्टर की प्रायोरिटी तय की है. महिलाओं बच्चों को प्राथमिकता दी गई है, जो करने की जरूरत थी.' 

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राजद्रोह का केस किया खत्म

गृहमंत्री शाह ने कहा,'मॉब लिचिंग के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था. नए कानून में मॉब लिचिंग को समझाया गया. राजद्रोह ऐसा कानून था, जो अंग्रेजों ने अपनी सुरक्षा के लिए बनाया था. इसी कानून के तहत केसरी पर प्रतिबंध लगाया गया था. राजद्रोह को हमनें खत्म कर दिया है.'

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कानूनों में यह हुआ बदलाव

अमित शाह ने आगे कहा,'अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) होगी. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) होगी. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) होगा.'

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शर्मिंदगी से बचेंगी महिलाएं

गृहमंत्री ने कहा,'मेरा मानना ​​है कि यह बहुत पहले किया जाना चाहिए था. 35 धाराओं और 13 प्रावधानों वाला एक पूरा अध्याय जोड़ा गया है. अब सामूहिक बलात्कार पर 20 साल की कैद या आजीवन कारावास होगा. नाबालिग से बलात्कार पर मृत्युदंड होगा, पहचान छिपाकर या झूठे वादे करके यौन शोषण के लिए एक अलग अपराध परिभाषित किया गया है. पीड़िता का बयान उसके घर पर महिला अधिकारियों और उसके अपने परिवार की मौजूदगी में दर्ज करने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा, ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा भी दी गई है. हमारा मानना ​​है कि इस तरह से बहुत सी महिलाओं को शर्मिंदगी से बचाया जा सकता है.'

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