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'जापान यात्रा से पहले नोटबंदी करते हैं मोदी,' खड़गे का PM पर हमला

आरबीआई ने 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने की घोषणा की है. हालांकि, जनता को 30 सितंबर तक का समय दिया है. ताकि लोग नोट जमा करा सकें या बदलवा सकें. RBI के फैसले पर विपक्षी नेता काफी आलोचना कर रहे हैं. शनिवार कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस कदम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (फोटो- पीटीआई)
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (फोटो- पीटीआई)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को दो हजार रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा कर दी है. दो हजार के नोट 23 मई से 30 सितंबर 2023 तक बैंक में जाकर बदले या जमा करवाए जा सकते हैं. तब तक ये नोट वैध रहेंगे. रिजर्व बैंक के इस फैसले पर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर देखा जा रहा है. दूसरे दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने निशाना साधा और नोट वापस लेने के फैसले को पीएम मोदी की जापान यात्रा से जोड़ा. खड़गे ने कहा कि पीएम जब भी जापान यात्रा पर जाते हैं तो देश में 'नोटबंदी' करने के बाद ही निकलते हैं.

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खड़गे ने आरबीआई की घोषणा के साथ एक अजीबोगरीब संबंध बताया. उन्होंने कहा- जब भी पीएम मोदी जापान जाते हैं, यहां 'नोटबंदी' की अधिसूचना होती है. खड़गे ने इशारों में 2016 में नोटबंदी का जिक्र किया. तब 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को रातोंरात बंद करने का फैसला लिया गया था. खड़गे ने आगे कहा- पिछली बार जब वे जापान गए थे तो उन्होंने (पीएम मोदी) 1000 रुपये का नोट बंद किया था. खड़गे ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि इस बार जब वह गए हैं तो उन्होंने 2,000 रुपये का नोट बंद किया है.

बता दें कि पीएम मोदी जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए शुक्रवार (19 मई) को जापान के हिरोशिमा पहुंचे. वे तीन देशों की यात्रा पर हैं. जापान के बाद पीएम पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया भी जाएंगे.

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पहली नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को गहरा जख्म दिया: खड़गे

इससे पहले खड़गे ने इस कदम को दूसरा नोटबंदी करार दिया था. उन्होंने ट्वीट किया और पूछा- क्या यह एक गलत फैसले पर पर्दा है? निष्पक्ष जांच से ही कारनामों की सच्चाई सामने आएगी. आपने पहली नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को एक गहरा जख्म दिया था, जिससे पूरा असंगठित क्षेत्र तबाह हो गया, MSME ठप हो गए और करोड़ों रोजगार गए. अब ₹2000 के नोट वाली "दूसरी नोटबंदी"...
क्या ये गलत निर्णय के ऊपर पर्देदारी है?

'लोगों को परेशान कर रही है नोटबंदी'

शनिवार को कर्नाटक में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद सभा को संबोधित करते हुए खड़गे ने कहा, वह (पीएम) नहीं जानते कि इससे देश को फायदा होगा या नुकसान होगा. मोदी जो 'नोटबंदी' करते रहे हैं और इस बार भी की है, वह लोगों को परेशान कर रही है. कर्नाटक में नवगठित कांग्रेस सरकार को प्यार की सरकार बताया और कहा- हमारी सरकार सभी को एक साथ लाएगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि चुनाव से पहले लोगों से किए गए सभी पांच वादे पूरे किए जाएंगे.

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बता दें कि आरबीआई ने शुक्रवार को अचानक 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की है. हालांकि जनता को 30 सितंबर तक ऐसे नोटों को खातों में जमा करने या उन्हें बैंकों में बदलने का समय दिया है. 

2016 में नोटबंदी के बाद मची थी अफरा-तफरी

नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद अगले कई महीनों तक देश में काफी अफरा-तफरी का माहौल बना रहा था. लोगों को पुराने नोट जमा करने और नए नोट हासिल करने के लिए बैंकों में लंबी लाइनों में लगना पड़ा. नोटबंदी के ऐलान के बाद ऐसे भी कई मामले सामने आए थे, जिसमें चलन से बाहर हुई करोड़ों की ऐसी राशि कभी कूड़े में तो कभी नदी में बहते हुए दिखी. लेकिन इस बार 2 हजार का नोट चलन से बाहर नहीं किया गया है, इससे लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा. 

भारत में नई नहीं है नोटबंदी 

बता दें कि नोटबंदी करना भारत में नया नहीं. भारत की आजादी से पहले भी देश में नोटबंदी की गई थी. बात 1946 की है, देश में पहली बार नोटबंदी अंग्रजी हुकूमत में हुई. 12 जनवरी, 1946 को भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल, सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने उच्च मूल्य वाले बैंक नोट बंद करने का अध्यादेश प्रस्‍तावित किया. इसके साथ ही 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से 500 रुपये, 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के उच्च मूल्यवर्ग के बैंक नोट अमान्‍य हो गए.

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1978 में भी हुई नोटबंदी 

16 जनवरी 1978 को, जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने काले धन को खत्म करने के लिए 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया था. अपने इस कदम के तहत, सरकार ने घोषणा की थी कि उस दिन बैंकिंग घंटों के बाद 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को लीगल टेंडर नहीं माना जाएगा. इसके अगले दिन 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी शाखाओं के अलावा सरकारों के खजाने को बंद रखने का भी फैसला किया गया. उस समय देसाई सरकार में वित्त मंत्री एच.एम. पटेल थे जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्त सचिव थे.

 

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