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'मुझे गुस्सा नहीं आता, मैं परेशान हूं, हताश हूं, हैरान हूं' राज्यसभा में ऐसा क्यों बोले जगदीप धनखड़

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ विपक्ष के व्यवहार से खासे नाराज़ थे. भारत-चीन झड़प पर चर्चा की मांग करते हुए विपक्षी सांसद सदन में हंगामा कर रहे थे, जिसपर सभापति और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच काफी बात हुई.

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राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़
राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़

संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन, भारत-चीन झड़प पर चर्चा की मांग जोरों पर थी. राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष मांग करते हुए सदन में नारेबाजी करने लगा. जिसपर सभापति जगदीप धनखड़ काफी नाराज़ दिखे. 

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विपक्षी सदस्य लगातार नारे लगा रहे थे और हंगामा करते हुए वे सभापति की चेयर के सामने आ गए, जिसे लेकर सभापति बहुत नाराज़ हो गए. उन्होंने सदस्यों से कहा कि आप इस तरह का व्यवहार कैसे कर सकते हैं. आप इस तरह से चेयर के सामने नहीं आ सकते. उन्होंने सदस्यों को वापस अपनी सीट पर जाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि वेल में आए सदस्य मुझे सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर रहे हैं.

'वकील को गुस्सा करने का राइट नहीं है'

थोड़ी देर बाद, जब सदस्य अपनी सीट पर जाकर बैठे, तो विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति से कहा- 'विपक्ष के किसी भी सदस्य का मकसद आपका अपमान करना नहीं है. हम आपका सम्मान करते हैं. संसद के लोकतंत्र में ऐसा होता है. लेकिन आप गुस्से में आ जाते हैं.'

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इसपर सभापति बोले- 'मुझे गुस्सा नहीं आता खड़गे जी, क्योंकि मैंने 40 साल तक वकालत की है. वकील को गुस्सा करने का राइट नहीं है.'

इसपर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- 'आप हंसते हुए ही अच्छे लगते हैं.' तब सभापति बोले '..और आप लोग अपनी सीटों पर बैठे हुए अच्छे लगते हैं.'

'मैं आपको रूल नहीं बताउंगा तो किसे बताउंगा?'

खड़गे ने कहा- 'आपको कुछ कहना या आपकी बात न सुनने की हमारी मंशा नहीं है. सरकार अड़ी हुई है. हम बस ये चाहते हैं कि चीन सीमा पर जो हुआ उसपर चर्चा हो जाए और बिहार का जो अपमान हुआ उसपर सदन के नेता माफी मांगे. लेकिन हमें रूल बताए जाते हैं.' 

सभापति बोले- 'खड़गे जी अगर मैं आपको रूल नहीं बताउंगा तो किसे बताउंगा?' 

इसपर खड़गे बोले 'एक तरफ रूल रहता है दूसरी तरफ इस तरह की घटनाएं होती हैं. ऐसे में किस ढंग से हाउस चलाया जाता है ये भी आपको ही देखना है. सिर्फ रूल बुक नहीं है, कुछ बातें लिखी नहीं जातीं, कुछ कन्वेंशन होते हैं. हम उन्हीं के आधार पर बात कर रहे हैं और आपको गुस्सा आ जाता है.'

'मुझे गुस्सा नहीं आता, मैं परेशान हूं !

सभापति बोले-  'मुझे गुस्सा नहीं आता, मैं परेशान हूं, हताश हूं, हैरान हूं. देश भर से लोग मुझे कहते हैं कि आपने 267 की व्याख्या की. कभी कोई नोटिस 267 के तहत आएगा तो आप मानकर चलिए कि उसपर पूरा ध्यान केंद्रित होगा.'

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'ये बात कमरे में करने की नहीं है'

सदन जब व्यवस्थित नहीं था तब सभापति ने सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष दोनों से दोपहर 1 बजे उनके चेंबर में मिलने को कहा था. लेकिन नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये कमरे में करने की बात नहीं है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- 'देश की रक्षा के लिए जब हम चर्चा चाहते हैं, तो इससे बड़ा कोई और रूल नहीं होता, आप सभी रूल निकाल सकते हैं, इसलिए हम बार-बार आपको कह रहे हैं. इससे आप परेशान हो रहे हैं. आपने हमें कहा कि मुझे और लीडर ऑफ द हाउस को अंदर बुलाएंगे, लेकिन ये तो सभी को मालूम होना चाहिए, ये बात कमरे में करने की नहीं है. चर्चा ज़रूरी है, चर्चा करना चाहिए. हम देश में एकता के लिए लड़ेंगे. हम देश की हिफाज़त के लिए लड़ेंगे. हम जवानों और सेना के साथ हैं, भारत के लोगों के साथ हैं.'

हालांकि इसके बाद पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नेता प्रतिपक्ष के इस व्यवहार की कड़ी निंदा की.

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