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'कांग्रेस के UAPA प्रेम की वजह से मुसलमानों की ज़िंदगियां बर्बाद...' ओवैसी का गहलोत सरकार पर हमला

राजस्थान की हाई कोर्ट ने जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में सभी 4 दोषियों को बरी कर दिया. असादुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को अशोक गहलोत सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा, अदालत के अनुसार, कई सुबूत जाली दिखाई देते हैं, जांच अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए. गहलोत सरकार जांच करने के बजाए अपील करना चाहती है. कहां हैं वे लोग जो जयपुर में सेमिनार करके 'मोहब्बत की दुकान' लगा रहे थे? उनका स्टैंड क्या है?

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असादुद्दीन ओवैसी -फाइल फोटो
असादुद्दीन ओवैसी -फाइल फोटो

राजस्थान की हाई कोर्ट ने जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में सभी 4 दोषियों को बरी कर दिया. कोर्ट से बरी हो जाने के बाद राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला किया है. सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर करेगी. सीएम ने शुक्रवार को भी एक ट्वीट किया और कहा कि उच्च स्तरीय बैठक में परीक्षण के बाद जयपुर बम ब्लास्ट के मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील का फैसला लिया है. राज्य सरकार सर्वश्रेष्ठ वकील लगाकर पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित करेगी. इसके बाद AIMIM अध्यक्ष असादुद्दीन ओवैसी ने जयपुर बम ब्लास्ट केस को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने शनिवार को एक के बाद एक कई ट्वीट करके इस ब्लास्ट केस पर टिप्पणी की. ओवैसी ने कहा, हाईकोर्ट ने जयपुर ब्लास्ट केस में ATS के अधिकारी पर गंभीर सवाल उठाए थे. अदालत ने कहा कि कई सुबूत जाली दिखाई देते हैं, जांच अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए. गहलोत सरकार जांच करने के बजाए अपील करना चाहती है. कहां हैं वे लोग जो जयपुर में सेमिनार करके 'मोहब्बत की दुकान' लगा रहे थे? उनका स्टैंड क्या है?

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AIMIM अध्यक्ष ने कहा, कांग्रेस के UAPA प्रेम की वजह से न जाने कितने ही हज़ारों मासूम मुसलमानों की ज़िंदगियां बर्बाद हुई हैं. कुछ महीने पहले राजस्थान में हिंदुत्ववादियों ने जुनैद-नासिर की नृशंस हत्या कर दी थी, अबतक सिर्फ एक ही आरोपी पकड़ा गया. उन्होंने आगे ट्वीट किया, ख़्वाजा अजमेर दरगाह बम ब्लास्ट में जिन दोषियों को बरी किया गया था उस फ़ैसले के ख़िलाफ़ मोदी सरकार ने अपील नहीं किया. तब गहलोत सरकार चुप क्यों थी? इससे तो आपको अंदाज़ा हो गया होगा कि कांग्रेस का दिल किस के लिए धड़कता है. 

क्या था कोर्ट का फैसला
राजस्थान की हाई कोर्ट ने जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में सभी 4 दोषियों को बरी कर दिया. अदालत ने इस मामले में डेथ रेफरेंस सहित दोषियों की ओर से पेश 28 अपीलों पर फैसला सुनाया. बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दोषियों की अपील को मंजूर करते हुए उनके पक्ष में राहत भरा फैसला सुनाया. राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने मामले के दोषी एक नाबालिग का मामला किशोर बोर्ड को भेजा. बाकी सभी अभियुक्तों को बरी किया.

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CM ने बुलाई थी हाई लेवल मीटिंग
राजस्थान हाई कोर्ट से फैसला आने के बाद प्रदेश में भारी आक्रोश को देखते हुए शुक्रवार रात मुख्यमंत्री आवास में हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई थी, जहां इस पर फैसला लिया गया. सीएम गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलवाएगी. सरकार के प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) राजेंद्र यादव की सेवाएं भी समाप्त करने का फैसला किया जिन्हें इस मामले में पेश होने के लिए नियुक्त किया गया था. 

उच्च स्तरीय बैठक में जांच के बाद जयपुर बम ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया गया है. गहलोत ने ट्वीट किया, राज्य सरकार सर्वश्रेष्ठ वकीलों को शामिल करके पीड़ितों को न्याय दिलवाएगी. बैठक में मुख्य सचिव उषा शर्मा, प्रमुख सचिव (गृह) आनंद कुमार, पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

साल 2008 के ब्लास्ट में मारे गए थे 71 लोग 
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पंकज भंडारी और न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने बुधवार को चारों आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में पांचवें व्यक्ति शाहबाज हुसैन को निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने की भी पुष्टि की. बता दें कि 13 मई, 2008 को माणक चौक खंडा, चांदपोल गेट, बड़ी चौपड़, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, जौहरी बाजार और सांगानेरी गेट पर एक के बाद एक बम धमाकों से जयपुर दहल उठा था. इन धमाकों में 71 लोगों की मौत हुई थी और 185 लोग घायल हुए थे. रामचंद्र मंदिर के पास से एक जिंदा बम बरामद किया गया, जिसे बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया था.

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हाई कोर्ट ने उठाए थे ये सवाल 
इस मामले में साल 2019 में जयपुर की विशेष अदालत ने चार आरोपियों को ब्लास्ट का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. बुधवार को राजस्थान हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद निचली कोर्ट का फैसला पलट दिया. कोर्ट ने माना की जांच एजेंसी ने ठीक तरीके से जांच नहीं की थी. उन्होंने कहा कि वह किसी भी थ्योरी को अदालत में सिद्ध नहीं कर सके हैं. कोर्ट ने सवाल उठाया कि कैसे आतंकी एक ही दिन में दिल्ली पहुंचे, साइकिलें खरीदीं, बम लगाया और शताब्दी एक्सप्रेस से वापस भी चले गए. इस आधार पर हाई कोर्ट ने दोषियों को बरी कर दिया था.
 

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