रामचरितमानस के बाद अब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के मुखिया जीतन राम मांझी ने रामायण को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि रामायण काल्पनिक है और राम से ज्यादा कर्मठ रावण थे.
सदन में हनुमान चालीसा के पाठ को लेकर पूर्व सीएम मांझी ने कहा, 'हम रामायण को काल्पनिक मानते हैं, अगर रामायण की बात करें तो राम से ज्यादा कर्मठ रावण थे, कल्पना के आधार पर राम और रावण की बात करने से बेहतर गरीब की बात करे बीजेपी.'
वहीं जीतन राम मांझी के इस बयान पर महागठबंधन में शामिल आरजेडी ने आपत्ति जताई. मांझी के बयान पर आरजेडी नेता और प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने आपत्ति जताते हुए कहा कि भगवान राम आस्था के प्रतीक हैं, संविधान हमें आस्था सिखाता है राम पर सवाल उठाना ठीक नहीं है.
बिहार के शिक्षामंत्री भी दे चुके हैं विवादित बयान
बता दें कि जनवरी महीने में रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने विवादित बयान दिया था. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि तुलसीदास की मनुस्मृति, रामचरितमानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85% आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया है, हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस को मनुस्मृति की तरह जलाया जाना चाहिए, क्योंकि यह समाज में जाति विभाजन को बढ़ावा देता है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बताया था बकवास
मंत्री के इसी बयान के बाद से देश की सियासी उबाल आ गया जिसमें यूपी के समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी कूद गए थे. उन्होंने कहा था, 'कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.'
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.'