
देश को नया संसद भवन मिल गया है. गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर नए संसद भवन में विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही हुई. इससे पहले पुराने संसद भवन में सोमवार को सत्र का आगाज हुआ. इस दौरान तमाम तस्वीरें सामने आईं. लेकिन एक तस्वीर पर लगभग हर किसी की नजर ठहर गई. और वह तस्वीर थी कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास बैठे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की.
दरअसल, लोकसभा और राज्यसभा की आखिरी बैठक के साथ-साथ पुराने संसद भवन से औपचारिक निकास के उपलक्ष्य में एक समारोह आयोजित किया गया था. इस दौरान पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में सभी सांसद मौजूद थे. इस दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया साथ बैठे दिखे.
संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित एक समारोह की शुरुआत से पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आगे की तरफ आए और आगे की पंक्ति में बैठीं कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी का अभिनंदन किया.
बीजेपी नेता सिंधिया कुछ देर तक वहीं खड़े होकर सोनिया गांधी समेत उनके बगल में बैठे लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिार्जुन खड़गे से बात करते रहे.
थोड़ी देर बाद सिंधिया दूसरी पंक्ति की अगली सीट पर जाकर बैठ गए. हालांकि, कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही सोनिया गांधी के साथ बैठे चौधरी और कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे मंच पर चले गए.
इसके बाद सिंधिया तुरंत अपनी सीट से उठे और सोनिया गांधी की सीट के पास आए, जिसके बाद सोनिया थोड़ी-सी अपनी जगह से हट गईं और उन्होंने सिंधिया के बैठने के लिए जगह बना दी. इसके बाद पूरे कार्यक्रम के दौरान सिंधिया, सोनिया गांधी के बगल में ही बैठे रहे.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले देश की राजधानी में यह बेहद दिलचस्प तस्वीर दिखने के बाद सियासी गलियारों में खूब चर्चाएं होने लगी हैं.
विदित हो कि ग्वालियर के पूर्व राजघराने के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक करियर का आगाज कांग्रेस पार्टी से ही हुआ था. यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे सिंधिया साल 2019 में अपने गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव हार गए थे. हालांकि, मध्य प्रदेश में बीजेपी को हराकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनाई. लेकिन कमलनाथ के नेतृत्व में चल रही सरकार में सिंधिया खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे. इसी के चलते सिंधिया ने मार्च 2020 में कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी का दामन थाम लिया था.
गौरतलब है कि साल 2018 में भाजपा ने मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से कांग्रेस की 114 सीटों के मुकाबले 109 सीटें जीती थीं. कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने सूबे में सरकार बनाई. लेकिन साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के साथ ही 15 महीनों की कांग्रेस सरकार गिर गई थी. सिंधिया गुट के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी बीजेपी की सदस्यता लेकर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनाई.