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अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस की नीति, STF का गठन...इन कामों के लिए भी याद किए जाएंगे कल्याण सिंह

उत्तर प्रदेश में आज यूपी एसटीएफ के नाम से मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, खान मुबारक, विजय मिश्रा खौफ खाते हैं. विकास दुबे, राकेश पांडे, मुकीम काला, मुन्ना बजरंगी जैसे अपराधियों के गैंग का सफाया हो चुका है, इस यूपी एसटीएफ का गठन कल्याण सिंह के शासन में ही हुआ था.

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कल्याण सिंह (फाइल फोटो)
कल्याण सिंह (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 4 मई 1998 को एसटीएफ का हुआ था गठन
  • कल्याण सिंह कहते थे- अपराधियों की ना जाति होती है ना धर्म

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का नाम ना सिर्फ देश की राजनीति, राम मंदिर आंदोलन के इतिहास में लिखा जाएगा, बल्कि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और एसटीएफ के नाम के साथ भी कल्याण सिंह को याद किया जाएगा. उत्तर प्रदेश पुलिस की जो एसटीएफ शाखा अपराधियों के खिलाफ जो ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है वह सिर्फ दिवंगत कल्याण सिंह की देन है. 

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उत्तर प्रदेश में आज यूपी एसटीएफ के नाम से मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, खान मुबारक, विजय मिश्रा खौफ खाते हैं. विकास दुबे, राकेश पांडे, मुकीम काला, मुन्ना बजरंगी जैसे अपराधियों के गैंग का सफाया हो चुका है, इस यूपी एसटीएफ का गठन कल्याण सिंह के शासन में ही हुआ था. 

चरम पर था अपराध
90 के दशक में जब उत्तर प्रदेश में अपराध चरम पर था, बबलू श्रीवास्तव, श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे अपराधी दिनदहाड़े अपहरण, फिरौती सुपारी किलिंग जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे थे, इनके गुर्गे हर शहर में तबाही मचा रहे थे. कुख्यात 25 साल के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला ने सूबे के मुखिया कल्याण सिंह तक की 6 करोड़ में सुपारी ले ली थी. 

अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस की नीति
मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुरक्षा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस पर भारी पड़ रहे अपराधियों का था. अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने वाले कल्याण सिंह ने 3 मई 1998 की रात 11:00 बजे मुख्यमंत्री ने तत्कालीन एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अजय राज शर्मा, प्रमुख सचिव गृह राजीव रतन शाह लखनऊ के एसएसपी रहे अरुण कुमार को अपने सरकारी आवास 5 काली दास मार्ग पर बुलाया. 

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कल्याण सिंह ने संगठित अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए एक स्पेशल यूनिट बनाने को कहा और इस तरह अगले दिन 4 मई 1998 को यूपी पुलिस की स्पेशल यूनिट यूपीएसटीएफ का आदेश जारी हुआ और एसटीएफ गठित की गई. कल्याण सिंह अजय राज शर्मा और अरुण कुमार को बुलाकर साफ कहा कि एसटीएफ में उन अफसरों और कर्मचारियों को ही लिया जाए जो अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए तैयार रहें. 

3 अधिकारियों की हुई पोस्टिंग
यूपी एसटीएफ के लिए 3 अधिकारियों की सबसे पहले पोस्टिंग का आदेश हुआ. उसमें अरुण कुमार को पहला एसएसपी एसटीएफ, सत्येंद्र वीर सिंह एडिशनल एसपी एसटीएफ और तत्कालीन सीओ कैसरबाग रहे राजेश पांडे को डिप्टी एसपी एसटीएफ का आदेश जारी कर दिया गया. 

यूपी STF को 24 घंटे में मिलते थे संसाधन 
यूपी एसटीएफ ने जब वारदातों की फाइलों को देखा तो पता चला कि अपराधी तेज स्पीड कार का इस्तेमाल करते हैं. उनके पास अत्याधुनिक हथियार होते हैं. वे अपराध करने के बाद फरार हो जाते हैं. अगर पुलिस सामने आती भी है, तो वे ताबड़तोड़ फायरिंग करते हैं. वहीं, पुलिस गाड़ी और हथियारों के मामले में उनके सामने कहीं नहीं टिकती. ऐसे में एडीजी अजय राज शर्मा ने जैसे ही मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के सामने ये बात रखी, उन्होंने तत्काल उस समय की हाई स्पीड गाड़ी टाटा सूमो गोल्ड खरीदने का आदेश दिया. इस आदेश के तहत 20 सूमो खरीदी गईं. इसके अलावा उन्होंने अपराधियों से मुकाबला करने के लिए Glock पिस्टल की मांग को भी 6 महीने के भीतर पूरा कर दिया. 

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नंबर सर्विलांस पर लगाने की व्यवस्था की गई शुरू
अपराधी उस समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने लगे थे. ऐसे में पुलिस को नंबर सर्विलांस पर लेने की जरूरत महसूस हुई. जब कल्याण सिंह को अपराधियों के नंबर listening पर लेने की जरूरत बताई गई तो उन्होंने तत्काल प्रमुख सचिव गृह राजीव रतन शाह को बुलाकर कानूनी वैधता के तहत नंबर सर्विलांस पर लेने का आदेश जारी करने को कहा. दिल्ली के बाद ये सुविधा वाला उत्तर प्रदेश दूसरा राज्य था. 

एसटीएफ टीम को दी एयर ट्रैवल की अनुमति 
अपराधियों के नंबर सुने जाने लगे तो उनकी लोकेशन भी मिलने लगी. बबलू श्रीवास्तव कोलकाता से किडनैपिंग के धंधे को ऑपरेट कर रहा था तो श्रीप्रकाश शुक्ला वारदात को अंजाम देने के बाद जल्दी-जल्दी अपनी लोकेशन बदलने में माहिर था. अपराधी की लोकेशन मिलने के बाद जब तक यूपी एसटीएफ की टीम ट्रेन से या रोड से उसके ठिकाने पर पहुंचती अपराधी वहां से निकल जाता था. यूपी एसटीएफ की टीम के तेजी से मूवमेंट कराने के लिए हवाई जहाज से यात्रा करने की सुविधा की जरूरत महसूस हुई. नियमों को पता किया गया तो एसपी या उससे ऊपर के अधिकारी को ही एयर ट्रैवल की इजाजत थी. एसपी से नीचे के पुलिस अधिकारी एयर ट्रैवल नहीं कर सकता था. मामला फिर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह तक पहुंचाया गया तो उन्होंने तत्काल यूपी एसटीएफ की पूरी टीम को कहीं भी आने-जाने के लिए एयरट्रैवल की अनुमति दे दी. 

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एसटीएफ के लिए प बंगाल सरकार से भिड़े कल्याण सिंह
एक ऑपरेशन में यूपी एसटीएफ का कोलकाता की पार्क स्ट्रीट में बबलू श्रीवास्तव के साथ शूट आउट हो गया. शूटआउट में बबलू गैंग के चार बदमाश  मारे गए और कस्टम अफसर एलडी अरोड़ा हत्याकांड का मुख्य आरोपी मनजीत सिंह मंगे दबोच लिया गया. इस शूटआउट पर पश्चिम बंगाल सरकार ने गहरी नाराजगी जताई और यूपी एसटीएफ के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने एलान कर दिया. मामला पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को बताया गया तो उन्होंने साफ कह दिया यूपी पुलिस का अपराधी कहीं भी होगा यूपी पुलिस वहां जाकर ऑपरेशन करेगी. मुख्यमंत्री का कड़ा रुख देखकर ही पश्चिम बंगाल सरकार ने बाद में यूपीएससीएच पर कार्रवाई करने का फैसला वापस लिया था. 

'अपराधी का ना धर्म होता है और ना जाति'
यूपी एसटीएफ की पहली टीम के सदस्य रहे रिटायर्ड आईजी राजेश पांडे कल्याण सिंह को याद कर कहते हैं कि मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह ने कभी किसी कार्रवाई पर सवाल नहीं पूछा. उनका साफ कहना था कि अपराधी के खिलाफ कार्रवाई करने में कभी मत हिचकिचाना, कभी कोई कार्रवाई में समस्या आए सीधे हमें बताना. अपराधी की ना कोई जाति होती है ना ही कोई धर्म. अपराधी अपराधी होता है. कल्याण सिंह के कार्यकाल में बिना किसी जाति धर्म का भेद कर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. 

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