कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अपने उम्मीदवारों की दो लिस्ट जारी कर चुकी है. राज्य की 224 सीटों में से बीजेपी ने 212 सीटों पर टिकटों का ऐलान कर दिया है. पार्टी के दिग्गज नेता केएस ईश्वरप्पा ने भले ही चुनावी मैदान से खुद को बाहर कर लिया है, लेकिन जगदीश शेट्टार डटे हुए हैं. शेट्टर की हुबली विधानसभा सीट पर बीजेपी ने किसी प्रत्याशी का नाम घोषित न कर अभी भी उनके लिए विकल्प खुला रखा है.
बता दें कि जगदीश शेट्टार ने मंगलवार को कहा था कि पार्टी द्वारा उन्हें दूसरों को मौका देने के लिए कहने और उन्हें टिकट नहीं दिए जाने का संकेत मिलने के बाद वह नाराज हैं. शेट्टार ने पार्टी से उस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था और यह भी कहा था कि वह किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा था, 'मैं बहुत निराश हूं, क्योंकि मैंने पहले से ही क्षेत्र में प्रचार शुरू कर दिया है और मैं इसे और तेज करूंगा. चुनाव से दूर रहने का सवाल ही नहीं है.' शेट्टार की चेतावनी के बाद अब बीएस येदियुरप्पा ने भरोसा जताते हुए कहा कि पार्टी उन्हें टिकट देगी, जिसके बाद उनके चुनाव लड़ने की चर्चा फिर से तेज हो गई है?
पांच प्वाइंट में समझिए कि शेट्टार को बीजेपी क्यों इग्नोर नहीं कर पा रही है?
जगदीश शेट्टार कर्नाटक में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं. वह छह बार विधायक और मुख्यमंत्री रह चुके हैं. कर्नाटक में
बीजेपी को मजबूत करने वाले नेताओं में शेट्टार रहे हैं. येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा पहले ही चुनावी मैदान से खुद को बाहर रखे हुए हैं, लेकिन शेट्टार चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं और बगावती रुख भी अख्तियार कर रखा है. बीजेपी ने जिन विधायकों के टिकट काटे हैं, उनके समर्थक नाराज हैं. ऐसे में बीजेपी जगदीश शेट्टार जैसे नेता को नाराज करने का जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहती है?
जगदीश शेट्टार दक्षिण-मुंबई कर्नाटक के इलाके से आते हैं. यह बीजेपी का सबसे मजबूत दुर्ग है. इस पूरे इलाके में लिंगायत समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या है. येदियुरप्पा के बाद बीजेपी में जगदीश शेट्टार लिंगायत समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. लिंगायत समुदाय पहले ही नाराज माने जा रहे हैं. ऐसे में शेट्टार का टिकट काटकर बीजेपी लिंगायतों को और भी नाराज नहीं करना चाहती है?
जगदीश शेट्टार पार्टी के पुराने और वफादार नेताओं में से एक माने जाते हैं. उन्होंने एबीवीपी से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. वह जनसंघ में रहे और उसके बाद बीजेपी में हैं. उन्हें पांच दशक का राजनतीकि अनुभव है. राज्य में जब-जब बीजेपी सत्ता में आई शेट्टार हर बार मंत्री रहे. सदानंद गौड़ा के बाद जगदीश शेट्टार ही मुख्यमंत्री बने थे. 2013 का चुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़ा गया था.
पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार स्वच्छ छवि के नेता माने जाते हैं. पांच दशक के राजनीतिक सफर में शेट्टार मंत्री से लेकर सीएम रहे, लेकिन राजनीतिक जीवन में कोई दाग नहीं लगा है. उन्होंने खुद कहा है कि मैं छह बार जीता, मेरे करियर में कोई दाग नहीं है और मुझ पर कोई आरोप नहीं है. ऐसे में मुझे बाहर क्यों किया जा रहा है? कर्नाटक की सियासत में इतने लंबी पारी में भ्रष्टाचार के आरोपों से बचे रहना अपने आप में बड़ी बात है.
जगदीश शेट्टार को सियासत विरासत में मिली है. शेट्टार के पिता एसएस शेट्टार हुबली-धारवाड़ के मेयर रहे हैं. इसके अलावा उनके भाई एमएलसी और चाचा विधायक हैं. इस तरह से शेट्टार परिवार की हुबली-धारवाड़ इलाके में मजबूत पकड़ है. ऐसे में शेट्टार के टिकट कटने से परिवार के बाकी सदस्य नाराज हो सकते हैं. इसलिए बीजेपी फिलहाल उन्हें नाराज कर पार्टी से दूर नहीं करना चाहती है?