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कर्नाटक: मंत्री ईश्वरप्पा देंगे इस्तीफा, भ्रष्टाचार के आरोप में येदियुरप्पा से बंगरप्पा तक गंवा चुके हैं सीएम की कुर्सी

कर्नाटक में भ्रष्टाचार का मामला एक बार फिर से बीजेपी के लिए सिरदर्द बन गया है. कर्नाटक सरकार में मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के बाद बड़ा कमीशन मांगने का आरोप लगा है, जिसके चलते अब ईश्वरप्पा मंत्री पद से इस्तीफा देंगे. कर्नाटक में भ्रष्टचार के जद में आए कई मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी भी गवांनी पड़ी थी.

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बीएस येदियुरप्पा और केएस ईश्वरप्पा
बीएस येदियुरप्पा और केएस ईश्वरप्पा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ठेकेदार की आत्महत्या के बाद ईश्वरप्पा पर लगे आरोप
  • येदियुरप्पा को 2011 में सीएम पद से देना पड़ा इस्तीफा
  • बंगरप्पा के दामन पर भी लगे चुके हैं भ्रष्टाचार के आरोप

कर्नाटक में ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के मामले में भारी दबाव का सामना कर रहे बीजेपी नेता व मंत्री केएस ईश्वरप्पा कैबिनेट से इस्तीफा देंगे. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से शुक्रवार को मिलकर ईश्वरप्पा अपना इस्तीफा सौंपेगे. ठेकेदार संतोष पाटिल अपनी सुसाइड नोट में मौत के लिए मंत्री ईश्वरप्पा को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने लिखा था कि मंत्री ईश्वरप्पा उनसे 40 फीसदी कमीशन मांग रहे थे. मंत्री ईश्वरप्पा और उनके दो खास लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई है. ऐसे में कर्नाटक में एक बार फिर से भ्रष्टाचार का जिन्न बोतल से निकल आया है, जिसे लेकर कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. 

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कर्नाटक में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते बीएस येदियुरप्पा से लेकर एस बंगरप्पा और रामकृष्ण हेगड़े जैसे कद्दावर नेताओं को मुख्यमंत्री की कुर्सी गवांनी पड़ी है. वहीं, अब कर्नाटक में ओबीसी की कुरूबा जाति से आने वाले कैबिनेट मंत्री केएस ईश्वरप्पा के दामन पर भ्रष्टाचार के दाग लगे हैं. ईश्वरप्पा के खिलाफ कर्नाटक में कांग्रेस सड़क पर है तो दूसरी ओर कर्नाटक कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. 

कर्नाटक बीजेपी की सियासत में केएस ईश्वरप्पा पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के बराबर कद के नेता हैं. इन तीनों ही नेताओं ने राज्य में बीजेपी को खड़ा करने का काम किया. ईश्वरप्पा ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री की कुर्सी को हिला दिया था. येदियुरप्पा के खिलाफ केएस ईश्वरप्पा ने पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर कर्नाटक के राज्यपाल तक से शिकायत की थी.

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इसी के कुछ दिनों के बाद ही येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाकर बसवराज बोम्मई को सत्ता की कमान सौंपी गई थी, लेकिन अब खुद ईश्वरप्पा के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. 

कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डी. केएमपन्न ने ठेकेदार संतोष पाटिल के आत्महत्या को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केएमपन्न ने आरोप लगाया कि मंत्री और विधायक सरकारी कामों के टेंडर के लिए सीधे 40 फीसदी कमीशन मांगते हैं. उन्होंने कहा कि बोम्मई सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है और पूरी सरकार यहां तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय भी कमीशन खोरी के इस रैकेट में शामिल है. हालांकि राज्य में भ्रष्टाचार का यह मामला नया नहीं है बल्कि ऐसे ही आरोपों घिर चुके कई मुख्यमंत्रियों की कुर्सी तक चली गई है. 

येदियुरप्पा को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी, जेल भी गए

कर्नाटक में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को भ्रष्टाचार के मामले में अपनी कुर्सी गवांने के साथ-साथ जेल तक जाना पड़ा था. येदियुरप्पा पर जमीन घोटाला और माइनिंग घोटाला का आरोप 2011 में लगा था और लोकायुक्त द्वारा भूमि संबंधी भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें दोषी ठहराया गया. इस कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और 20 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था.

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इस मामले में उनके दोनों बेटों के ऊपर भी आरोप लगाए गए थे. इन आरोपों के बाद येदियुरप्पा ने 2012 में अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी से अलग होकर अपनी पार्टी बना ली थी. 

हालांकि, 2013 में येदियुरप्पा की बीजेपी में फिर से वापसी हो गई. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के कई विधायकों के बगावत और पार्टी छोड़ने के बाद बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन एक साल ही बाद उनकी ही कैबिनेट में शामिल मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने मोर्चा खोल रखा था. ईश्वरप्पा के साथ बीजेपी के कई अन्य विधायक एक साथ होकर नेतृत्व परिवर्तन का दबाव बनाना शुरू कर दिया था. ऐसे में शीर्ष नेतृत्व ने येदियुरप्पा के उम्र और सेहत का हवाला देते हुए जुलाई 2021 में सीएम पद से इस्तीफा ले लिया. 

एस बंगरप्पा को भी सीएम की कुर्सी गवांनी पड़ी थी

कर्नाटक की सियासत में समाजवादी नेता के तौर पर अपनी सियासी पारी शुरू करने वाले एस बंगरप्पा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. कांग्रेस में रहते हुए बंगरप्पा 1990 में कर्नाटक में मुख्यमंत्री बने थे. उनके दो साल के कार्यकाल में कई घोटाले के मामले सामने आए थे. क्लासिक कम्प्यूटर की खरीद में हुए भ्रष्टाचार के आरोप तत्कालीन सीएम एस बंगरप्पा पर लगा था, जिसे लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया था. उन्हीं के कार्यकाल में कावेरी दंगा हुआ था, जिसे रोकने में असफल रहे थे. ऐसे में तमाम आरोप से घिरे बंगरप्पा को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके बाद वीरप्पा मोहली सीएम बने थे. 2003 में सीबीआई की विशेष अदालत ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस. बंगारप्पा सहित अन्य अभियुक्तों को क्लासिक कम्प्यूटर की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी कर दिया. 

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फोन टैपिंग के मामले में हेगड़े की चली गई कुर्सी

कर्नाटक में पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री के तौर पर रामकृष्ण हेगड़े का नाम शामिल है. 1983 में हेगड़े पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और 1985 में दोबारा से सीएम बने. हालांकि, दूसरी बार सत्ता की कमान उन्होंने संभाली तो उन पर कई आरोप लगे थे, जिनमें सीधे तौर पर भ्रष्टाचार का मामला नहीं बना पर कुछ गड़बड़ी करने के आरोप लगे थे. इन्हीं में एक था बड़े नेताओं और कारोबारियों के फोन टैंपिग कराने का आरोप, जिसके चलते 1988 में उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. 

माना जाता है कि उन्हें गैर-कांग्रेसी खेमे से प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन फोन टैपिंग और कई दूसरे आरोपों के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. केंद्र सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी के द्वारा फोन टैपिंग के जांच का आदेश दिया था, जिसमे सामने आया कि उस कर्नाटक पुलिस के डीआईजी ने कम से कम 50 नेताओं और बिजनेसमैन के फोन टेप करने के ऑर्डर दिए थे, जो सभी हेगड़े के विरोधी माने जाते थे. कर्नाटक में भ्रष्टाचार के आरोपों में बड़े-बड़े नेताओं की कुर्सी जाने के कई मामले आए हैं, जिसके चलते नेताओं के दामन पर दाग लग चुके हैं. 

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