scorecardresearch
 

कहीं दिग्गज बड़े तो कहीं समीकरण तगड़े... कर्नाटक चुनाव की ये 11 सीटें निर्णायक

कर्नाटक चुनाव का सियासी बिगुल बज गया है. तारीखों के ऐलान के साथ राज्य की राजनीति को लेकर चर्चा तेज हो गई है. इस राज्य की 11 ऐसी सीटे हैं जिन्हें VIP कहा जा सकता है. इन सीटों पर चेहरे बड़े हैं, समीकरण तगड़े हैं और मामला निर्णायक माना जाता है.

Advertisement
X
कर्नाटक चुनाव का शंखनाद
कर्नाटक चुनाव का शंखनाद

कर्नाटक चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. 10 मई को वोटिंग होने जा रही है और 13 मई को नतीजे भी आ जाएंगे. चुनाव को लेकर जमीन पर सरगर्मी तेज है, अभी से तमाम तरह के समीकरण साधे जा रहे हैं. वैसे राज्य की 20 वीआईपी सीटें भी हैं जहां पर मुकाबला कड़ा रहता है, समीकरण तगड़े होते हैं और सभी पार्टियों के लिए जीत हार मायने रखती है. उन 20 सीटों का लेखा-जोखा समझते हैं-

Advertisement

शिगॉव- कर्नाटक विधानसभा की इस सीट से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई विधायक हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इसी सीट से उन्होंने 9,265 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था. उन्होंने कांग्रेस के सईद अजीम पीर खद्री को परास्त कर दिया था.

वरुणा- इस बार कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक बार फिर अपनी पारंपारिक सीट वरुणा से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार उन्होंने अपने बेटे के लिए इस सीट को कुर्बान कर दिया था और खुद चामुंडेश्वरी और बदामी से चुनाव लड़ा था. तब सिद्धारमैया को चामुंडेश्वरी में तो हार का सामना करना पड़ा था, वहीं बदामी में वे मात्र 1996 वोटों के अंतर से जीते थे. लेकिन इस बार सिद्धारमैया फिर अपने मजबूत गढ़ से उतरने जा रहे हैं.

रामनगर- कर्नाटक की ये सीट जेडीएस के लिए मायने रखती है. पिछली बार पूर्व सीएम कुमारस्वामी की पत्नी अनिता कुमारस्वामी यहां से चुनाव लड़ी थीं और जीत भी दर्ज की. लेकिन इस बार जेडीएस ने इस सीट से कुमारस्वामी के बेटे निखिल को उतारा है. वहीं निखिल जो 2019 में लोकसभा चुनाव हार गए थे. तब एक निर्दलीय ने उन्हें मांड्या से परास्त कर दिया था. उस निर्दलीय को बीजेपी का समर्थन भी मिला था.

Advertisement

मांड्या- जेडीएस का गढ़ माने जाने वाला मांड्या पिछले चुनाव में पार्टी की झोली में गया था. जेडीएस के एम श्रीनिवास ने कांग्रेस प्रत्याशी को बड़े अंतर से हरा दिया था. अब इस बार चुनाव से पहले इस सीट पर समीकरण बदल रहे हैं. कारण ये है कि बीजेपी को इस सीट पर निर्दलीय सांसद Sumalatha का समर्थन मिल गया है. पिछले चुनाव में बीजेपी इसी सीट पर तीसरे पायदान पर रही थी.

कनकापुरा- कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार की वजह से ये सीट हमेशा चर्चा का केंद्र रहती है. सात बार से इसी सीट से विधायक चल रहे हैं. 1989 से उनकी जीत का जो सिलसिला चल रहा है, वो पिछले चुनाव तक थमा नहीं. अब एक बार फिर कांग्रेस ने शिवकुमार को कनकापुरा से ही उतार दिया है.

हसन- कुमारस्वामी के परिवार में चल रही तकरार का केंद्र ये हसन सीट है. इस सीट से देवगौड़ा की बहू भवानी चुनाव लड़ना चाहती हैं. लेकिन पार्टी हाईकमान ने इसे माना नहीं है. वैसे पिछले चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के प्रीतम गौड़ा ने जेडीएस प्रत्याशी एच एस प्रकाश को 13000 के बड़े अंतर से हरा दिया था. अब एक बार फिर इस सीट पर मुकाबला रोमांचक होता दिख रहा है.

Advertisement

कोलर- कर्नाटक की इस सीट को भी हाई प्रोफाइल माना जाता है. खुद सिद्धारमैया इस सीट से इस बार टिकट चाहते थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. वहीं जेडीएस को इस सीट पर एक बड़ा सियासी झटका लगा है. पिछले चुनाव में उनके के श्रीनिवास इस सीट से जीत गए थे. लेकिन अब पाला बदलकर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. ऐसे में चुनौती जेडीएस के सामने है कि वो अब किसे यहां से मौका देगी.

चन्नापटना- कई बार स्थानीय नेताओं की पकड़ इतनी मजबूत रहती है कि दूसरी पार्टियों को अपने बड़े चेहरों को मैदान में उतारना पड़ता है. ये सीट उसी कहानी को बयां करती हैं, जेडीएस के एचडी कुमार स्वामी दूसरी बार इस चन्नापटना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार भी स्थानीय नेता सी योगीश्वरा को हराने के लिए उन्होंने ये दांव चला था.

शिकारपुर- कर्नाटक की राजनीति पर पकड़ रखने वाले इस सीट को कभी नहीं भूल सकते. दक्षिण में बीजेपी के लिए द्वार खोलने वाले पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा इसी सीट से कई बार चुनाव लड़ भी चुके हैं और जीते भी हैं. लेकिन अब जब वे सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान कर चुके हैं, बीजेपी किसे मौका देने वाली है, ये देखना दिलचस्प रहेगा. कहा जा रहा है कि उन्हीं के बेटे बी वाई विजेंद्र को पार्टी चुनावी मैदान में उतार सकती है.

Advertisement

शिवामोग्गा- शिवामोग्गा सीट उस समय चर्चा में आ गई थी जब रिश्वत के आरोप में इस सीट के विधायक और मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने इस्तीफा दे दिया था. वे अभी भी इस सीट से विधायक हैं. अब इस बार बीजेपी किसे यहां से मौका देती है, इस पर सभी की नजर है.

चितापुर- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियंक खड़गे इस सीट से एक बार फिर अपने दावेदारी ठोक रहे हैं. पिछली बार भी उन्हें मौका दिया गया था और उन्होंने कांग्रेस को इस सीट पर जीत दिलाई थी. चितापुर कांग्रेस के लिए मजबूत सीट मानी जाती है.
 

Advertisement
Advertisement