कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. बीजेपी अपनी सत्ता को बचाए रखने की जद्दोजहद में जुटी है तो कांग्रेस वापसी के लिए बेताब है. ऐसे में खनन कारोबारी व पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी ने बीजेपी से दशकों पुराना नाता तोड़कर नई पार्टी बना ली है. रेड्डी ने अपनी नई पार्टी का नाम है 'कल्याण राज्य प्रगति पार्टी' रखा और 2023 में चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है. चार महीने बाद होने वाले कर्नाटक चुनाव के लिए बीजेपी के सामने 'रेड्डी ब्रदर्स' नया संकट खड़ा कर सकते हैं.
कर्नाटक की सियासत में जनार्दन रेड्डी और उनके भाइयों को 'रेड्डी ब्रदर्स' के नाम से जाना है. खनन उद्योग से जुड़े जनार्दन ने अपनी पार्टी बनाने की घोषणा ऐसे समय की है जब 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तपिश गर्म है. नेताओं का एक दल से दूसरे दल में जाने का सिलसिला चल रहा है. ऐसे में जनार्दन रेड्डी ने अपनी पार्टी से गंगावती विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की हुंकार भर दी है.
बीजेपी पर रेड्डी ने साधा निशाना
जनार्दन रेड्डी ने कहा कि पार्टी की शुरुआत एक नई राजनीतिक कड़ी है. इसके जरिए कर्नाटक के लोगों का कल्याण करने और सेवा करने के लिए आया हूं. बीजेपी का नाम लिए बिना रेड्डी ने कहा कि अगर राजनीतिक दल ने कर्नाटक में लोगों को धर्म और जाति के नाम पर बांटने की कोशिश करेंगे और उसका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे तो मैं बताना चाहता हूं कि यहां यह संभव नहीं है. राज्य के लोग हमेशा एकजुट रहे हैं और रहेंगे.
रेड्डी ने कहा कि आने वाले दिनों में मैं पार्टी को खड़े करने और लोगों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए राज्य भर में यात्रा करूंगा. मैं अपने जीवन में अब तक अपनी किसी भी काम में कभी असफल नहीं हुआ. यहां तक कि बचपन में कंचे खेलने के दिनों से, मैं उनमें से हूं जिसने कभी हार नहीं मानी. मैं आश्वस्त हूं और भविष्य में कर्नाटक के कल्याणकारी राज्य बनने में कोई संदेह नहीं है.'
बीजेपी पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
जनार्दन रेड्डी के नई राजनीतिक पार्टी बनाने से कर्नाटक की सियासत में प्रभाव पड़ सकता है और खासकर बेल्लारी के क्षेत्र में बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ा सकते हैं. रेड्डी के बड़े भाई करुणाकर रेड्डी हरपनहल्ली सीट से बीजेपी के विधायक हैं जबकि छोटे भाई सोमशेखर रेड्डी बेल्लारी ग्रामीण सीट से विधायक हैं. इसके अलावा बीजेपी नेता और कर्नाटक के मंत्री श्रीरामुलु के साथ उनकी गहरी दोस्ती है. बीजेपी 'रेड्डी ब्रदर्स को सहारे कर्नाटक की सियासत में 'कमल' खिलाने में कामयाब रही है.
बता दें कि रेड्डी ब्रदर्स पहली बार 1999 के लोकसभा चुनावों के दौरान सियासी सुर्खियों में आए, जब उन्होंने सुषमा स्वराज के लिए प्रचार किया था, जिन्होंने बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. सुषमा स्वराज भले ही चुनाव हार गई थी, लेकिन रेड्डी ब्रदर्स अपना राजनीतिक रसूख स्थापित करने में कामयाब रहे थे. बीजेपी बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में 2008 में कर्नाटक में सरकार बनाई तो उसमें अहम भूमिका रेड्डू ब्रदर्स की रही थी. यही वजह रही कि येदियुरप्पा की सरकार में रेड्डी ब्रदर्स की तूती बोलती थी.
बीजेपी के लिए बढ़ सकती है चिंता
रेड्डी के नई पार्टी बनाने और बड़े पैमाने पर चुनाव में उतरने का संकेत देने का सीधा अर्थ है कि वो बीजेपी के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं, क्योंकि वो हमेशा बीजेपी में रहे. बतौर कारोबारी पार्टी ने उन्हें प्रोजेक्ट भी किया था. इस तरह बीजेपी के वोट बैंक में उनकी पैठ है और शायद उसी पर उनकी नजर भी है. जनार्दन रेड्डी की पार्टी बनाने से उनके दोनों भाई बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं. इसके अलावा श्रीरामुलु के साथ उनके रिश्ते जगजाहिर है.
श्रीरामुलु के सवाल पर जनार्दन रेड्डी ने कहा कि बीजेपी में मेरा किसी से कोई विवाद नहीं है. श्रीरामुलु मेरे बचपन से ही घनिष्ठ मित्र रहे हैं और हमारे बीच अच्छे संबंध बने रहेंगे. 2018 के विधानसभा चुनावों में जनार्दन रेड्डी ने मोलाकलमुरु विधानसभा क्षेत्र में अपने करीबी दोस्त श्रीरामुलु के लिए प्रचार किया था. इसके अलावा बेल्लारी इलाके में जनार्दन रेड्डी का सियासी जड़े काफी मजबूत है.
बता दें कि जनार्दन रेड्डी के करीबी बी. श्रीरामुलू ने 2013 के बीएसार कांग्रेस नाम से अपनी अलग पार्टी बना थी, जिसने उस चुनाव में तीन सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले येदियुरप्पा और श्रीरामुलू अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर घर वापसी कर गए थे. आंध्र प्रदेश की सीमा पर बसे कर्नाटक के इलाकों के 'रेड्डी वोटबैंक' पर रेड्डी ब्रदर्स की मजबूत पकड़ है.
जनार्दन रेड्डी को 2011 में करोड़ों के अवैध खनन मामले में गिरफ्तार किया गया था. साल 2015 में उन्हें जमानत मिल गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करने सहित कई पाबंदिया लगा थी. कर्नाटक के बेल्लारी, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर और कडप्पा में जाने पर भी रोक लगा दी. जनार्दन रेड्डी को उनके गृह जिले बल्लारी से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है, इसलिए वह गंगावती से चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में देखना है कि बीजेपी के लिए किस तरह का सियासी संकट खड़ा करते हैं?