कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की विधान परिषद (एमएलसी) सीटों के लिए शुक्रवार को चुनाव हो रहे हैं. कर्नाटक की 25 एमएलसी सीट में से 20 और आंध्र प्रदेश की 11 सीटों पर वोटिंग है. इन सीटों पर वोट स्थानीय निकाय के चुने हुए प्रतिनिधि (शहरी और ग्रामीण) डालेंगे. आंध्र प्रदेश में टीडीपी और वाईएसआर में मुख्य मुकाबला है तो कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. दोनों ही राज्यों में हो रहा यह चुनाव कहीं न कहीं प्रदेश की भावी राजनीति को प्रभावित करने वाले साबित होंगे.
कर्नाटक में 90 उम्मीदवार मैदान में
कर्नाटक विधान परिषद की 25 सीटों में से 20 सीटों पर चुनाव हो रहे है, जिसके लिए 90 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस 20-20 और जनता दल सेक्युलर 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 33 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में है. 20 स्थानीय निकाय के एमएलसी चुनाव के लिए 6,072 मतदान केंद्रों पर 98,840 मतदाता वोट डालेंगे.
कर्नाटक की जिन 25 एमएलसी सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनसे कांग्रेस के 14, भाजपा के 7 और जेडीएस के 4 सदस्यों का कार्यकाल 5 जनवरी, 2022 को समाप्त हो रहा है. माना जा रहा है कि एमएलसी चुनाव नतीजों का सीधा असर 75 सदस्यीय उच्च सदन (विधान परिषद) में पार्टियों के समीकरण पर पड़ेगा.
बता दें कि 75 सदस्यीय सदन में अभी बीजेपी के 32, कांग्रेस के 29 और जेडीएस के 12 सदस्य हैं. उच्च सदन में नए कानून पारित कराने के लिए बीजेपी को जेडीएस पर निर्भर रहना पड़ता है. कर्नाटक में बीजेपी बहुमत पाने के प्रयास में जुटी है तो कांग्रेस भी एमएलसी चुनाव जीतकर अपने वर्चस्व को बरकरार रखना चाहती है.
आंध्र में वाईएसआर का पलरा भारी
आंध्र प्रदेश विधान परिषद की 58 सीटों में से सबसे अधिक सीटें टीडीपी के पास हैं. वाईएसआर कांग्रेस के पास 12, स्वतंत्र 4, पीडीएफ के 4, नॉमिनेटेड सदस्य 8, बीजेपी के पास एक सीट है. विधान परिषद की 14 सीटें फिलहाल खाली हैं, जिनमें 11 स्थानीय निकाय और 3 विधायकों के द्वारा चुनी जानी हैं. मौजूदा सियासी तस्वीर को देखते हुए इसकी संभावना है कि आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस बड़ी आसानी से सभी सीटें जीतकर उच्च सदन में बहुमत हासिल कर लेगी. इससे पार्टी को परिषद में अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष रखने में मदद मिलेगी.
हाल ही में वाईएसआरसी ने नगर निगम और निगम चुनावों में 86% एमपीटीसी, 98% जेडपीटीसी और 82.80% सीटें जीती हैं. एमएलसी के 14 रिक्त पदों में से तीन विधायक कोटे के अंतर्गत आते हैं और शेष 11 स्थानीय निकायों द्वारा चुने जाने हैं. माना जा रहा है कि पूर्ण बहुमत के कारण वाईएसआरसी आसानी से सभी 14 सीटों पर कब्जा कर लेगी. इसके साथ 58 सदस्यीय सदन में वाईएसआरसी की ताकत 32 सीटों तक हो जाएगी, जिससे सभी महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करना उसके लिए आसान हो जाएगा.