केरल में पिछले कई सालों से जमीन पर बीजेपी अपना संगठन मजबूत करने में लगी हुई है. उसके साथ कई लोग जुड़े भी हैं, लेकिन अभी भी उस समर्थन का वोट में बदलने का इंतजार है. पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल रही है. लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी को केरल विस्तार का मंत्र दे दिया है. उसी मंत्र के जरिए पार्टी जमीन पर राजनीतिक समीकरण बदलना चाहती है. इस समीकरण में ईसाई और मुस्लिम वोट अहम भूमिका निभाने वाला है.
बीजेपी का केरल ब्लूप्रिंट
असल में पीएम मोदी के कहने पर बीजेपी ने केरल में मुस्लिम और ईसाई अल्पसंख्यकों तक पहुंच बढ़ाने का कार्यक्रम बनाया है. इसके तहत दोनों ईसाई और मुस्लिम मतदाता तक जाया जाएगा. उनके हर त्योहार पर पार्टी उम्मीद उपस्थिति दर्ज करवाएगी. इसी कड़ी में नौ अप्रैल को ईस्टर संडे पर दस हज़ार बीजेपी कार्यकर्ता एक लाख ईसाइयों के घर जाएंगे. पंद्रह अप्रैल को विशु के पावन पर्व पर हिंदू कार्यकर्ताओं के घरों पर ईसाइयों को बुलाया जाएगा. इसी तरह अप्रैल के तीसरे सप्ताह में ईद पर मुसलमानों के घरों पर बीजेपी कार्यकर्ता जाएंगे. बीजेपी नेताओं के अनुसार उसकी इस पहल को लेफ्ट कांग्रेस ने नोटिस किया है और क़रीब से इस पर नज़र रखी जा रही है. वैसे पिछले साल क्रिसमस के सप्ताह में बीजेपी के 1500 कार्यकर्ताओ 15000 हज़ार ईसाइयों के घर उपहार के साथ गए थे.
लेफ्ट-कांग्रेस को चुनौती?
अब बीजेपी की ये वो पहल है जिसके जरिए वो केरल की जनता के करीब जाना चाहती है. हिंदी भाषी पार्टी वाला जो परसेप्शन है, उसे तोड़ना ही बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. उसी चुनौती के बीच इस तरह का जनसंपर्क कार्यक्रम पार्टी को जमीन पर मजबूत होने का मौका दे सकता है. आंकड़े बताते हैं कि केरल में 18% ईसाई, 28% मुसलमान और 54% हिंदू हैं. अब पार्टी हिंदू वोट तो चाहती ही है, उसकी नजर ईसाई वोटबैंक पर भी है. उसे ये मतदाता अपनी झोली में चाहिए. अगर ऐसा होता है तो केरल में लेफ्ट-कांग्रेस को तीसरी चुनौती मिल सकती है.
पीएम को क्या उम्मीद?
वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो इस बात के संकेत भी दे दिए हैं. पूर्वोत्तर के राज्यों मे जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम ने उम्मीद जताई थी कि आने वाले समय में केरल में भी भाजपा की सरकार बनेगी. उन्होंने कहा था कि केरल में लेफ्ट और कांग्रेस में कुश्ती होती है और त्रिपुरा में दोस्ती करते हैं. ये नहीं भूलना चाहिए ईसाई मतदाताओं का समर्थन बीजेपी को भी मिलता रहा है.