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'यह लोगों को गलत संदेश देगा', असम में गौमांस बैन के फैसले पर बोले केरल BJP उपाध्यक्ष मेजर रवि

असम में अब तक बीफ खाने और परोसने पर कोई मनाही नहीं थी. हालांकि, 2021 में असम कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट लाया गया था. ये कानून उन इलाकों में स्लॉटर हाउस और बीफ की बिक्री पर रोक लगाता है, जहां हिंदू, सिख और जैन बहुसंख्यक हैं. इसके साथ ही मंदिर या सत्र (वैष्णव मठ) के पांच किलोमीटर के दायरे में भी इस पर प्रतिबंध था.

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केरल बीजेपी उपाध्यक्ष मेजर रवि (फाइल फोटो)
केरल बीजेपी उपाध्यक्ष मेजर रवि (फाइल फोटो)

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मंगलवार को राज्य में गौमांस पर पूरी तरह बैन लगाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि असम मंत्रिमंडल ने राज्य के होटलों, रेस्टोरेंट्स और सार्वजनिक स्थानों पर गौमांस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है. इसके एक दिन बाद यानी बुधवार को केरल बीजेपी उपाध्यक्ष ने असम सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं.

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केरल में बीजेपी के उपाध्यक्ष मेजर रवि ने कहा कि सबसे पहले आपको यह समझने की जरूरत है कि बीफ क्या है और गौमांस क्या है. अगर आप अचानक बीफ पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो यह बहुत से लोगों को गलत संदेश देगा. बीफ गौमांस नहीं है. (असम) सीएम को ऐसा नहीं कहना चाहिए था. अगर कोई खाना चाहता है, तो उसे खाना चाहिए. आपको जो खाना है, उसे खाने की आजादी होनी चाहिए. 

उन्होंने आगे कहा कि गाय की हम पूजा करते हैं. मैंने ऐसी कोई जगह नहीं देखी जहां गायों की हत्या की जा रही हो. बीफ भैंस और भैंसे का मांस होता है. सबसे पहले, अंतर को समझें और फिर प्रतिबंध लगाएं. हमें लोगों को गलत संदेश नहीं देना चाहिए और सांप्रदायिक मुद्दे नहीं बनाने चाहिए."

असम में अब तक बीफ पर क्या कानून था?

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असम में अब तक बीफ खाने और परोसने पर कोई मनाही नहीं थी. हालांकि, 2021 में असम कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट लाया गया था. ये कानून उन इलाकों में स्लॉटर हाउस और बीफ की बिक्री पर रोक लगाता है, जहां हिंदू, सिख और जैन बहुसंख्यक हैं. इसके साथ ही मंदिर या सत्र (वैष्णव मठ) के पांच किलोमीटर के दायरे में भी इस पर प्रतिबंध था.

इस कानून के दायरे में गाय, बैल, भैंस समेत सभी तरह के मवेशी आते हैं. हालांकि, कानून लागू होने के बाद भैंस को इससे बाहर कर दिया गया था. ये कानून किसी भी परिस्थिति में गौ हत्या पर रोक लगाता है. हालांकि, दूसरे मवेशियों को मारा जा सकता है, लेकिन उसके लिए सर्टिफिकेट जरूरी है.

2021 का ये कानून बिना परमिट के असम के भीतर और दूसरे राज्यों से आने वाले बीफ और उससे जुड़े प्रोडक्ट के ट्रांसपोर्ट पर भी रोक लगाता है. इस कानून के तहत, दोषी पाए जाने पर 3 से 8 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही दोषी पर 3 से 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाता है. 

लेकिन अब इस कानून को पूरे राज्य में लागू कर दिया गया है.

भारत की 7 फीसदी आबादी खाती है बीफ

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नेशनल सैम्पल सर्वे की 2011-12 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आठ करोड़ से ज्यादा लोग बीफ खाते हैं. यानी भारत की तकरीबन साढ़े 7 फीसदी आबादी बीफ खाती है.

सबसे ज्यादा बीफ मुसलमान खाते हैं. लगभग 6.34 करोड़ मुस्लिम बीफ खाते हैं. वहीं, 65 लाख ईसाई बीफ खाते हैं. जबकि 1.26 करोड़ हिंदू भी ऐसे हैं जो बीफ खाते हैं.

बीफ की सबसे ज्यादा खपत मेघालय में है. यहां की करीब 81 फीसदी आबादी बीफ खाती है. दूसरे नंबर पर लक्षद्वीप है, जहां की 77 फीसदी आबादी बीफ खाती है. नागालैंड की 58 फीसदी, सिक्किम की 31 फीसदी, जम्मू-कश्मीर की 30 फीसदी, केरल और अरुणाचल की 25-25 फीसदी, मणिपुर की 24 फीसदी, मिजोरम की 23 फीसदी और असम की 22 फीसदी आबादी बीफ खाती है.

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