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केरल में कितना चला BJP का अल्पसंख्यक कार्ड? आज चुनावी नतीजों से होगा फैसला

माना जा रहा है कि बीजेपी अगर इस फॉर्मूले के जरिए निकाय चुनाव जीतने में कामयाब रही तो विधानसभा चुनाव में बड़ा दांव खेल सकती है. हालांकि, 2014 के बाद से हर एक चुनाव में बीजेपी का राजनीतिक ग्राफ केरल में बढ़ा है. बीजेपी का राज्य में भले ही कोई सांसद और विधायक न हो, लेकिन वोट फीसद 15 के करीब पहुंच गया है. 

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केरल में तीन चरण में हुए स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे बुधवार को आएंगे. (सांकेतिक तस्वीर)
केरल में तीन चरण में हुए स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे बुधवार को आएंगे. (सांकेतिक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने 612 अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्याशियों पर दांव लगाया है
  • 2015 में तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बीजेपी ने 33 सीटें जीती थीं

केरल में तीन चरण में हुए 1199 स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे बुधवार को आएंगे. इनमें 941 ग्राम पंचायत, 152 ब्लॉक पंचायत, 14 जिला पंचायत, 86 नगर पालिका और छह नगर निगम के सदस्यों के लिए चुनाव हुए हैं. निकाय चुनाव अगले साल शुरुआत में होने वाले केरल विधानसभा का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. यही वजह है कि बीजेपी ने केरल में अपनी पैठ जमाने के लिए 612 अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्याशियों पर दांव लगाया है, जिनमें 500 ईसाई समुदाय से हैं और 112 मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवार थे. 

बीजेपी को उम्मीद है कि वह निकाय चुनाव के जरिए वामपंथी दलों के नेतृत्व वाले (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के साथ केरल के सियासी जंग को त्रिकोणीय मुकाबले में बदल सकती है. बीजेपी ने केरल की छह में से कम से कम दो नगर निगमों पर कब्जा जमाने का लक्ष्य रखा है. केरल की सियासत में बीजेपी ने इतनी बड़ी तादाद में पहली बार ईसाई और मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे. 

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बीजेपी का बढ़ा है ग्राफ

माना जा रहा है कि बीजेपी अगर इस फॉर्मूले के जरिए निकाय चुनाव जीतने में कामयाब रही तो विधानसभा चुनाव में बड़ा दांव खेल सकती है. हालांकि, 2014 के बाद से हर एक चुनाव में बीजेपी का राजनीतिक ग्राफ केरल में बढ़ा है. बीजेपी का राज्य में भले ही कोई सांसद और विधायक न हो, लेकिन वोट फीसद 15 के करीब पहुंच गया है. 

बीजेपी इस बात को बेहतर समझ रही है कि महज हिंदू मतों के सहारे केरल की जंग नहीं जीती जा सकती है, क्योंकि हिंदू मतों का बड़ा हिस्सा लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच बंटा है. केरल में अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 46 फीसदी है, जिसमें 27 फीसदी मुसलमान और 19 फीसदी के करीब ईसाई समुदाय के लोग हैं. 

बीजेपी जानती है कि केरल में अगर उसे सत्ता तक पहुंचना है तो हिंदू मतदाताओं के साथ ईसाई समुदाय को भी साधकर रखना होगा. यही वजह है कि बीजेपी ने केरल में बड़ी तादाद में इस बार अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्याशी पर दांव खेलकर अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने का दांव चला है. बीजेपी की नजर निकाय चुनाव में उन इलाकों में पर है, जहां पिछली बार वह चूक गई थी. 

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2015 में बीजेपी ने लगाई थी यूडीएफ के गढ़ में सेंध

बता दें कि केरल में 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने यूडीएफ के गढ़ में सेंध लगाते हुए तिरुवनंतपुरम नगर निगम में सफलता हासिल की थी. तिरुवनंतपुरम नगर निगम की 100 सीटों में से बीजेपी ने 33 सीटों पर जीत दर्ज की थी और  एलडीएफ को 42 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, स्थानीय सांसद होने के बाद भी  कांग्रेस को सिर्फ 20 सीटें ही मिल सकी थीं. 

2015 के केरल निकाय चुनाव में 941 ग्राम पंचायतों में से एलडीएफ 551 सीटों पर जीत हासिल कर अव्वल रही थी. एलडीएफ ने कई पंचायत सीटों को जीतकर यूडीएफ को पछाड़ दिया है. यूडीएफ ने 362 पंचायत पर कब्जा जमाया था.

एनडीए ने 17 पंचायत पर कब्जा जमाया था. 152 ब्लॉक पंचायतों में से एलडीएफ ने 88, यूडीएफ ने 62, एक एनडीए और एक अन्य ने कब्जा जमाया था. 14 जिला पंचायतों में से एलडीएफ और यूडीएफ ने 7-7 पर जीत दर्ज की थी जबकि एनडीए एक भी जिले में कब्जा नहीं जमा सकी थी.

ऐसा था पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड

बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 17 ग्राम पंचायतों पर कब्जा करने के अलावा कई निकाय के वॉर्डों में भी जीत दर्ज की थी. साथी ही बीजेपी कासरगोड जिले को बचाने में कामयाब रही है और पलक्कड़ नगर पालिका पर भी अपना कब्जा जमाया था. वहीं, नगर निगम में एलडीएफ और यूडीएफ ने तीन-तीन सीट जीती थीं. इसके अलावा 87 नगर पालिका में से 45 पर एलडीएफ, 40 पर यूडीएफ और एक पर एनडीए ने जीत हासिल की थी. 

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इस बार ये है टारगेट

बीजेपी इस बार के चुनाव में त्रिवेंद्रपुरम और त्रिचूर नगर निगम पर  कब्जा करने की उम्मीद लगाए बैठी है. इसके अलावा बीजेपी ने तीन से अधिक नगर निकाय जीतने और दो से तीन जिलों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने का लक्ष्य रखा है. 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी को कुल वोट-शेयर का 13.28 फीसदी मिला था जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का यह वोट शेयर 16 फीसदी पहुंच गया है.

 

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